11 अक्टूबर: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस
विश्वभर में तीसरा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (आईडीजीसी) 11 अक्टूबर 2014 को मनाया गया. जिसका विषय ‘किशोरियों का सशक्तीकरण: हिंसा के चक्र की समाप्ति था. आईडीजीसी द्वारा इस विषय का चयन किशोरावस्था के दौरान किशोरियों को सशक्त बनाने और उनके द्वारा अनुभव किये जा रहे हिंसा के विभिन्न रूपों को समाप्त करने के महत्व के कारण किया गया.
इस दिन सरकारें, संयुक्त राष्ट्र संघ, नागरिक समाज, सार्वजनिक और निजी संस्थानों का आव्हान किया जाता हैं की वो सब मिलकर कार्य करें एवं और किशोर लड़कियों के खिलाफ हिंसा के इस अभिशाप को समाप्त करने व उनके सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि निम्न कार्यों से करें.
- किशोरियों को परिवार, स्कूल, तकनीकी, व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण, स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक समर्थन प्रणाली के माध्यम से कौशल पूर्ण बनाने के लिए, आत्मविश्वास, और जीवन विकल्प प्रदान करने में सहायता प्रदान करें.
- बुनियादी सुविधाओं, सेवाओं, और लड़कियों के लिए सुलभ प्रौद्योगिकी बनाने साथ ही सुरक्षा, संपर्क और गतिशीलता के लिए उनकी जरूरतों को पूरा करने में प्रभावी सुविधाओं को प्रदान करने में सहायता.
- किशोरियों को नागरिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन में नियुक्ति करके आगे बढ़ाने में मदद करके.
- लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा को निजी और सार्वजनिक कार्यक्षेत्र दोनों में अस्वीकार्य बनाने और पक्षसमर्थक बनने को जारी रखकर.
- किशोरियों के सशक्तिकरण और हिंसा के संबंध में आंकड़ों, माप और साक्ष्य के आधार को और मजबूत बनाना.
- भारत में आईडीजीसी के एक भाग के रूप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पर विचारों को आमंत्रित किया साथ ही भारत के लोगों से बालिकाओं के लिए समानता का एक माहौल बनाने के लिए प्रतिज्ञा करने व भारत में लिंग आधारित भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान किया.
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के बारे में
संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2011 में एक प्रस्ताव पारित किया और किशोरियों के अधिकारो को बढ़ावा देने के लिए व उनके द्वारा सामना की जा रही अद्वितीय चुनौतियों के समाधान के लिए 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में नामित किया.
- आईडीजीसी इस निर्विरोध तथ्य की और कि विश्व में प्रत्येक जगह लड़कियों से किसी न किसी प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यव्हार किया जाता हैं की ओर ध्यान आकर्षित करना है.
- पहला अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन वर्ष 2012 में बाल विवाह की समाप्ति विषय पर किया गया था जबकि दूसरा अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का आयोजन वर्ष 2013 में किया गया था जिसका विषय बालिका शिक्षा के लिए नवाचार था.
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