इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर अप्लायड सिस्टम्स एनालिसिस (आईआईएएसए) के वैज्ञानिकों ने नए खेत की खोज में मदद के लिए नए वैश्विक मानचित्र विकसित किए हैं.
ये मानचित्र जनवरी 2015 के तीसरे सप्ताह में ग्लोबल चेंज बायोलॉजी नाम के जरनल में प्रकाशित किए गए थे. इसमें दो प्रकार के आंकड़े दिए गए हैं जिसके मुताबिक खोज के लिए विशेषज्ञों का तर्क अनिवार्य है. अब ये नए दो वैश्विक मानचित्र नए खेत की खोज में कुछ मदद कर सकते हैं.
पहला मानचित्र अंतरराष्ट्रीय और अच्छी तरह से जांचें हुए भीड़– स्रोत आंकड़े का प्रयोग कर तैयार किया गया था जिसमें 2005 के लिए एक किलोमीटर के रेजल्युशन पर वैश्विक खेत प्रतिशत दिखाया गया है.
इस आंकड़े को सटीकता के लिए क्रॉस– चेक किया गया है और पहले से मौजूद बड़े– पैमाने वाले मानचित्रों के साथ मिला कर कुछ ऐसा बनाया गया है जिसके बारे में शोधकर्ता इससे पहले देखे गए किसी भी चीज से अधिक एकीकृत्र होने का दावा कर रहे हैं.
दूसरा मानचित्र, जीयो– विकि परियोजना के जरिए पूरी तरह से ऑफ– क्राउड– सोर्स्ड आंकड़ों पर आधारित है. यह खेत में बदलाव की दर को सत्यापित करने में मदद करता है.
यह मानचित्र नागरिक वैज्ञानिकों के वैश्विक नेटवर्क द्वारा खेतों के हजारों उच्च– रेजल्युशन वाली छवियों को देखने के बाद बनाया गया है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या इलाके में 2005 में मौजूद खेत बचे हैं या नहीं.
यह कहां खेत हैं और कब खेत बाकी बचेंगे और क्या वे अभी भी प्रयोग में हैं, के निर्धारण में मदद कर सकते हैं.
टिप्पणी
खेत सीमा पर वर्तमान सूचना स्रोत अधिकांश एप्लीकेशनों के लिए सटीक नहीं हैं. विश्व के लगातार गर्म होने के साथ वैश्विक खेत मानचित्र इस जरूरत को पूरा करने वाला कम लागत का समाधान है.
इस जमीन की खोज करना ताकि उसका तुरंत इस्तेमाल किया जा सके अभी भी चुनौतीभरा है.
खेत वितरण के बारे में कुछ कठिनाइयां हैं जैसे कि विकासशील देशों में विस्तृत रिकॉर्ड नहीं हैं खासतौर पर विमान या उपग्रह से देखने में छोटे खेतों में आसपास के वनस्पति के साथ अंतर नजर नहीं आता.
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