अमेरिका स्थित कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक शोध के आधार पर एक मिनी हृदय (कार्डियक माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम) बनाये जाने की घोषणा की है जिसमें उन्होंने मानव कोशिकाओं का प्रयोग किया है.
कार्डियक माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम की चौड़ाई मनुष्य के सिर के बाल जितनी है इसलिए वैज्ञानिकों ने कयास लगाया है कि इसका प्रयोग गैर-मानव प्रयोगों में किया जा सकता है.
इस आविष्कार की जानकारी मार्च 2015 में साइंटिफिक रिपोर्ट्स पत्रिका में “आईपीएससी – बेस्ड कार्डियक माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम फॉर ड्रग स्क्रीनिंग एप्लीकेशन्स” शीर्षक से प्रकाशित किया गया.
माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम
माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम इंजीनियर ऑर्गन हैं जो फार्माकोलोजिकल एवं फिजियोलॉजिकल अंतर के विकास को विभाजित करने के साथ जानवरों एवं मनुष्यों के बीच अंतर को दर्शाते हैं.
कार्डियक माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम फेफड़े, यकृत और आंत के बाद प्रयोगशाला में विकसित किये गये नवीनतम मानव अंग हैं.
मिनी ह्रदय में कार्डियक माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम कैसे विकसित किया गया
इसे मनुष्यों की प्लूरी पोटेंट कोशिकाओं को इस्तेमाल करके विकसित किया गया जिससे विभिन्न टिशुओं का निर्माण हो सकता है. एक बार हृदय के ऊतकों के गठन में शामिल होने के पश्चात् यह एक विशेष सिलिकॉन माइक्रोचिप के आसपास बड़े होते पाए गए.
कार्डियक माइक्रोफिसियोलॉजिकल सिस्टम का महत्व
जानवरों पर दवा के विकास के प्रयोग का विकल्प मिलने के अतिरिक्त वैज्ञानिक भविष्य में लोगों के लिए उनकी निजी आवश्यकता के अनुसार दवाएं तैयार कर सकेंगे. इससे विभिन्न बीमारियों पर काबू पाया जा सकेगा तथा उसके संक्रमण की भी आसानी से रोकथाम की जा सकेगी.
इससे वैज्ञानिक रोगी की शारीरिक अवस्था तथा आवश्यकता के अनुसार उसे उचित मात्रा में दवा भी दे सकेंगे जो हृदय रोगियों के लिए वरदान साबित हो सकता है.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
Comments
All Comments (0)
Join the conversation