वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक-2014 (Environmental Performance Index 2014, ईपीआई) 25 जनवरी 2014 को जारी किया गया. वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक के अनुसार भारत को पर्यावरण संबंधी चुनौतियों के समाधान के अपने प्रयासों में सूचकांक-स्कोर 31.23 पॉइंट्स के साथ 178 देशों में से 155वां स्थान प्राप्त हुआ.
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक में चीन को 118वां, पाकिस्तान को 148वां और नेपाल को 139वां स्थान प्राप्त हुआ. भारत अपने इन सभी पड़ोसी देशों से इस सूचकांक में पीछे है.
ब्रिक्स देशों में से दक्षिण अफ्रीका को 72वां स्थान प्राप्त हुआ, जबकि रूस 73वें, ब्राजील 77वें और चीन 118वें स्थान पर रहा.
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक में देशों के स्थान-निर्धारण पर्यावरण से होने वाले नुकसान से मानव-स्वास्थ्य की रक्षा और पारिस्थितिक तंत्र (ईको-सिस्टम) की सुरक्षा के क्षेत्रों में सम्बंधित देशों द्वारा उच्च प्राथमिकताप्राप्त पर्यावरणीय मुद्दों के संबंध में उनके निष्पादन के आधार पर किया जाता है.
ईपीआई की अन्य विशेषताएँ
• ईपीआई 2014 की सर्वसमावेशक संरचना उपलब्ध करने वाले दो उद्देश्य हैं पर्यावरणीय स्वास्थ्य और पारिस्थितिक तंत्र का स्थायित्व.
• सूचकांक में शामिल 178 देश 99 प्रतिशत वैश्विक जनसंख्या, 98 प्रतिशत विश्व के कुल भूमि-क्षेत्र और 97 प्रतिशत वैश्विक जीडीपी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
• सर्वोच्च ईपीआई वाला देश स्विट्जरलैंड है, जिसके बाद लग्जमबर्ग, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और चेक रिपब्लिक आते हैं.
• ईपीआई के सबसे निचले निष्पादक देश हैं-सोमालिया, माली, हैती, लेसोथो और अफगानिस्तान. ये सभी न्यून निष्पादक देश जन-आंदोलन, आर्थिक विकास के भरी दबावों और राजनीतिक अशांति से ग्रस्त हैं.
• हवा की गुणवत्ता, जैव-विविधता और प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा की दृष्टि से पर्यावरणीय सुरक्षा-उपायों में पर्याप्त निवेश किए बिना होने वाला शहरीकरण उभरती अर्थव्यवस्थाओं के खराब प्रदर्शन का मुख्य कारण है.
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक (ईपीआई)
वैश्विक पर्यावरण निष्पादन सूचकांक (ईपीआई) येल और कोलंबिया यूनिवर्सिटीज द्वारा विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के सहयोग से और साथ ही सैमुअल फैमिली फाउंडेशन तथा माइककॉल माइकबेन फाउंडेशन की सहायता से तैयार किया जाता है.
पर्यावरण निष्पादन सूचकांक (ईपीआई) राष्ट्र-स्तरीय पर्यावरण-डाटा को प्रतिबिंबित करने वाले 20 संकेतकों की गणना और समूहन द्वारा संरचित किया जाता है. इन संकेतकों को नौ मुद्दों की श्रेणी में संयुक्त किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक मुद्दा दो सर्वसमावेशक उद्देश्यों में फिट होता है.
नौ संकेतकों की सूची
I – पर्यावरणीय स्वास्थ्य
i) स्वास्थ्यगत प्रभाव
a) बाल-मृत्युदर
ii) हवा की गुणवत्ता
a) घर की हवा की गुणवत्ता
b) वायु-प्रदूषण पीएम 2.5 एक्सपोजर
iii) जल और स्वच्छता
a) स्वच्छता तक पहुँच
b) पेय जल तक पहुँच
II- पारिस्थितिक तंत्र का स्थायित्व
iv) जल-संसाधन
a) अपशिष्ट जल उपचार
v) कृषि
a) कृषि-सब्सिडियाँ
b) कीटनाशक-विनियमन
vi) वन
a) वन-सुरक्षा में बदलाव
vii) मत्स्य-क्षेत्र
a) तटीय मत्स्य-ग्रहण दबाव
b) मत्स्य स्टाक
viii) जैवविविधता और प्राकृतिक आवास
a) स्थलीय संरक्षित क्षेत्र
b) महत्त्वपूर्ण प्राकृतिक आवास संरक्षण
c) समुद्री संरक्षित क्षेत्र
ix) जलवायु और ऊर्जा
a) जलवायु + ऊर्जा
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