श्री रामचरितमानस की 105 वर्ष पुरानी उर्दू भाषा की एक प्रति नई दिल्ली के एक कबाड़ी बाजार से मिली. उर्दू की यह प्रति शिव भरत लाल ने 1904 में लिखी थी जो भदोही के रहने वाले थे. बाद में इसे लाहौर के हाफ टोन प्रेस ने 1910 में प्रकाशित किया था.
संकट मोचन मंदिर के पुजारी के परिवार ने उर्दू की इस प्रति को 600 रुपये में खरीदा था. इस प्रतिलिपि में 20 पृष्ठों की एक प्रस्तावना है इसके अंदर ब्रह्मा, विष्णु और महेश के साथ-साथ भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान के चित्र भी हैं.
यह किताब किस प्रकार खोजी गई?
पुजारी का परिवार श्री रामचरितमानस की एक प्राचीन पांडुलिपि की खोज कर रहा था जिसे तुलसी घाट स्थित अखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास से चुरा लिया गया था. इनके साथ गोस्वामी तुलसीदास से जुड़े कई और लेख भी चोरी हो गए थे. इसी खोज के दौरान पुजारी के परिवार को श्री रामचरितमानस की यह उर्दू प्रति मिली.
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