संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) की अधिकार समिति ने 21 नवंबर 2014 को पहली बार एक प्रस्ताव पारित करते हुए बाल विवाह रोकने हेतु सरकारों का आह्वाहन किया. इस प्रस्ताव को कनाडा और जांबिया ने पेश किया. इस प्रस्ताव पर 118 देशों ने अपनी प्रतिक्रिया दी. इसमें माली, इथियोपिया और मध्य अफ्रीकी गणराज्य जो ऐसे दस देशों में शुमार हैं जहां सबसे अधिक बाल विवाह होते हैं, ने भी हिस्सा लिया.
इस प्रस्ताव में सभी देशों से बाल, समय से पहले और जबरन विवाह को रोकने के लिए कानून बनाने का आग्रह किया गया. इससे विश्व भर में प्रति वर्ष करीब 15 मिलियन बालिकाओं को बाल वधु बनने और 700 मिलियन से अधिक लड़कियों को 18 वर्ष की आयु से पहले विवाह करने से रोका जा सकेगा.
प्रस्ताव के अनुसार, समयपूर्व विवाह शारीरिक रूप से अपरिपक्व बालिकाओं के शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है क्योंकि इससे अनभिप्रेत गर्भधारण, मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर और यौन संचरित संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है. यूएनजीए अधिकार समिति में, ब्रिटेन ने 20 देशों की तरफ से अपनी कामुकता के बारे में बालिकाओं को शिक्षित करने के पूर्व संकल्प की विफलता पर निराशा व्यक्त की.
यूएन के आंकड़ों के मुताबिक, बालिकाओं का बाल विवाह दक्षिण एशिया और उप–सहारा अफ्रीका खासकर नाइजर, बांग्लादेश और भारत में बहुत आम है.
• नाइजर में, पश्चिम अफ्रीका में समग्र दर सबसे अधिक है. यहां 20 से 49 वर्ष की उम्र की महिलाओं में से 77 फीसदी महिलाओँ का विवाह 18 वर्ष की उम्र से पहले ही हो जाता है.
• बांग्लादेश में 15 वर्ष से कम उम्र में विवाह करने वाली लड़कियों की संख्या सबसे अधिक है और दुनियाभर की कुल बालिका वधुओं की संख्या का एक तिहाई घर भारत है.
दिसंबर 2014 में यह प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा में औपचारिक अनुमोदन के लिए पेश किया जाएगा और फिर प्रस्ताव कानूनी तौर पर बाध्यकारी तो नहीं होगा लेकिन यह देशों पर राजनीतिक दवाब जरूर बढ़ाएगा.
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