संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 सितंबर 2015 को गैर– सदस्य देशों के झंडों को भी लगाने के संकल्प को पारित कर दिया. यह संकल्प सितंबर 2015 माह के लिए अरब समूह के अध्यक्ष के तौर पर इराक ने पेश किया था.
संकल्प के अनुसार फिलिस्तीन जैसे गैर– सदस्य प्रेक्षक देशों के झंडों को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालयों और संयुक्त राष्ट्र के कार्यालयों में संगठन के सदस्य देशों के झंडों के साथ लगाया जाना चाहिए.
इसके साथ ही गैर–सदस्य पर्यवेक्षक देश फिलिस्तीन और वेटिकन संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में अपने झंडे लगा सकेंगे.
इस संकल्प को यूएनजीए में रिकॉर्ड मतों के साथ अपनाया गया. संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों में से भारत समेत 119 देशों ने इसके पक्ष में वोट डाला जबकि आठ देशों ने फिलिस्तीन के मसौदे वाले संकल्प के खिलाफ वोट डाला. मतदान में 45 देशों ने हिस्सा नहीं लिया.
संकल्प के खिलाफ वोट देने वाले देश थे– ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, इस्राइल, मार्शल द्वीप, फेडरेटेड स्टेट्स ऑफ माइक्रोनेशिया, पलाउ, तुवालु और संयुक्त राज्य अमेरिका.
इसके अलावा यूएनजीए ने संप्रभु ऋण पुनर्गठन की प्रक्रिया पर बुनियादी सिद्धांतों वाले प्रस्ताव को भी पारित किया.
संकल्प में कहा गया है कि संप्रभु ऋण पुनर्गठन प्रक्रियाओं को तदर्थ समिति की रिपोर्ट के अनुसार बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाना चाहिए. इसके पक्ष में 136 देशों ने वोट डाला जबकि 6 देशों ( कनाडा, जर्मनी, इस्राइल, जापान, यूनाइटेड किंग्डम, संयुक्त राज्य अमेरिका) ने इसके खिलाफ वोट डाले और 41 देश अनुपस्थित रहे.
टिप्पणी
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित संकल्प बड़े और छोटे सभी देशों की समानता पर जोर देता है, का बहुत अधिक प्रतीकात्मक महत्व है. बतौर पर्यवेक्षक देश फिलिस्तीन ने कहा, "झंडा लगाने से काम खत्म नहीं होगा, यह दुनिया के किसी भी कोने में रहने वाले फिलिस्तीन के लोगों को बताएगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उन्हें अपना समर्थन दिया है."
इसके अतिरिक्त इराक, जिसने इस संकल्प को यूएनजीए में बतौर अरब समूह अध्यक्ष के तौर पर पेश किया था, ने कहा, " फिलिस्तीनी लोगों के समर्थन, आत्मनिर्णय के उनके अधिकार और उनके अधिकार की जगह उन्हें दिलाने की जरूरत की दिशा में कदम बढ़ाना महत्वपूर्ण है." फ्रांस के मुताबिक, "वोट दो– देश समाधान के लिए है."
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2012 में फिलिस्तीन को गैर–सदस्य पर्यवेक्षक देश का दर्जा दिया गया था.
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