भारतीय सेना ने परमाणु हमला करने में सक्षम अग्नि-2 बैलेस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण सेना की रणनीतिक बल कमान (एसएफसी) ने ओडिशा के व्हीलर द्वीप स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज (आइटीआर) के लांचिंग काम्प्लेक्स-4 में रेल मोबाइल प्रणाली से 9 अगस्त 2012 को किया गया. यह सतह से सतह पर मार करने वाली मध्यम दूरी की मिसाइल है.
स्वदेश निर्मित 2000 किमी. तक मार करने में सक्षम यह मिसाइल 21 मीटर लम्बी तथा 1 मीटर चौड़ी है. इसका वजन 17 टन है. यह अपने साथ 1000 किग्रा वजन तक के विस्फोटक पदार्थ ले जाने की क्षमता रखती है. यह दो स्तर के ठोस ईधन द्वारा संचालित होती है. डीआरडीओ की मदद से सेना के सामरिक बल कमाड ने इसका परीक्षण किया.
बैलेस्टिक मिसाइल: तकनीकी दृष्टि से बैलेस्टिक प्रक्षेपास्त्र या मिसाइल उसको कहते हैं, जिसका प्रक्षेपण पथ सब अर्बिटल (बैलेस्टिक पथ) होता है. इसका उपयोग नाभकीय अस्त्र को पूर्व निर्धारित लक्ष्य पर दागने के लिए किया जाता है. यह मिसाइल प्रक्षेपण के प्रारंभिक चरण में ही केवल निर्देशित की जाती है. इसके बाद पथ अर्बिटल मैकेनिज्म के सिंद्धांतों से इसका निर्धारण होता है. अभी तक इन्हें रासायनिक राकेट इंजनों द्वारा प्राणोदित किया जाता है.
विदित हो कि अग्नि- 2 का पहला परीक्षण 11 अप्रैल 1999 को किया गया था. व्हीलर आईलैंड से 19 मई 2009 को हुए पहले परीक्षण और 23 नवंबर 2009 को हुए रात्रि परीक्षण में यह सभी मानकों पर खरी नहीं उतरी थी. अग्नि- 2 का विकास, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की प्रयोगशालाओं और भारत डायनमिक्स हैदराबाद के साथ एडवांस सिस्टम प्रयोगशाला में किया गया.
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