सर्वोच्च न्यायालय ने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुनाव को चुनौती देने वाली पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा की याचिका 5 दिसंबर 2012 को खारिज कर दी. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायामूर्ति अल्तमस कबीर की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की 5 सदस्यीय संविधान पीठ ने यह निर्णय दिया. सर्वोच्च न्यायालय की 5 सदस्यीय संविधान पीठ के अन्य सदस्य न्यायाधीश न्यायामूर्ति पी सतशिवम, न्यायाधीश न्यायामूर्ति एसएस निज्जर, न्यायाधीश न्यायामूर्ति रंजन गोगोई और न्यायाधीश न्यायामूर्ति जे चेलमेश्वर हैं.
सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर, न्यायाधीश न्यायामूर्ति पी सतशिवम और न्यायाधीश न्यायामूर्ति एसएस निज्जर ने प्रारंभिक स्तर पर ही पीएम संगमा की याचिका खारिज करते हुए निर्णय दिया कि इस पर नियमित सुनवाई की जरूरत नहीं है. हालांकि, 5 सदस्यीय संविधान पीठ के न्यायधीश न्यायामूर्ति रंजन गोगोई और न्यायधीश न्यायामूर्ति जे चेलमेश्वर ने बहुमत के निर्णय से असहमति जताई, उनके अनुसार प्रारंभिक स्तर पर याचिका खारिज नहीं की जा सकती, क्योंकि प्रणब मुखर्जी के लाभ के पद पर होने के सभी तथ्य विवादित हैं. इस पर नियमित सुनवाई होनी चाहिए.
पीए संगमा ने प्रणब मुखर्जी का चुनाव निरस्त करने की मांग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल याचिका में आरोप लगाया था कि राष्ट्रपति पद हेतु चुनाव के नामांकन के समय वह भारतीय सांख्यिकी संस्थान परिषद कोलकाता के अध्यक्ष पद पर थे जो लाभ के पद की श्रेणी में आता है, लाभ के पद पर होने के कारण प्रणब मुखर्जी चुनाव लड़ने के अयोग्य थे. इसके अलावा संगमा ने प्रणब मुखर्जी के लोकसभा में नेता सदन के पद पर रहने को भी लाभ का पद बताते हुए उनका चुनाव रद्द करने की मांग की थी.
विदित हो कि सांख्यिकी संस्थान के अध्यक्ष का पद वर्ष 2006 के संशोधन कानून के जरिए संसद द्वारा लाभ के पद की श्रेणी से बाहर किया जा चुका है.
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