सर्वोच्च न्यायालय ने 16 अप्रैल 2014 को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को दूरसंचार कंपनियों के आडिट के लिए अधिकृत संस्था घोषित किया.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन की खंडपीठ ने इस संबंध में पूर्व में दिए गए दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए एसोसिएशन आफ यूनीफाएड टेलीकाम सर्विस प्रोवाइडर लिमिटेड की अपील खारिज कर दी. खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि निजी दूरसंचार कंपनियां अपने राजस्व का आडिट कैग से कराने के लिए बाध्य हैं.
विदित हो कि दूरसंचार कंपनियों और सेलुलर आपरेटर संघ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 6 जनवरी 2014 के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय ने कैग को निजी दूरसंचार कंपनियों की राजस्व प्राप्तियों की आडिट की अनुमति प्रदान की थी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं दूरसंचार कंपिनयों ने कम लाइसेंस फीस देने के लिए अपनी राजस्व प्राप्तियां कम तो नहीं दिखाई थी.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) से संबंधित मुख्य तथ्य
भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) भारतीय संविधान के अध्याय 5 द्वारा स्थापित एक प्राधिकारी है. जो भारत सरकार तथा सभी प्रादेशिक सरकारों के आय-व्यय का लेखांकन कार्य करता है. इसके साथ ही साथ कैग भारत सरकार के स्वामित्व वाली कम्पनियों का भी लेखांकन करता है.
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर सार्वजनिक लेखा समितियाँ अपना कार्य करती है. नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक ही भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा सेवा का भी मुखिया होता है.
भारत के नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक का कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है.वर्तमान समय में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) के पद पर शशिकान्त शर्मा हैं. जो भारत के बारहवें नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक हैं.
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