सर्वोच्च न्यायालय ने डीएलएफ को 630 करोड़ रुपये का जुर्माना चुकाने का आदेश दिया

सर्वोच्च न्यायालय ने सीसीआई द्वारा रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ लिमिटेड पर लगाया गया 630 करोड़ रुपए का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया.

Aug 28, 2014, 15:39 IST

भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा रियल एस्टेट डेवलपर डीएलएफ लिमिटेड पर लगाया गया 630 करोड़ रुपए का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया. सीसीआई ने कथित अनुचित व्यापार व्यवहार के लिए डीएलएफ पर जुर्माना लगाया था.

न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई और न्यायमूर्ति एन.वी. रमना के सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने डीएलएफ कंपनी को 630 करोड़ रुपये में से 50 करोड़ रुपये तीन सप्ताह के भीतर और बाकी बची रकम को तीन महीने के भीतर चुकाने का आदेश दिया.

इससे पहले,  डीएलएफ सीसीआई द्वारा लगाए गए 630 करोड़ रुपये के जुर्माने के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में गया था.

पृष्ठभूमि
प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉम्पैट) ने 9 मई 2014 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) द्वारा रियल एस्टेट फर्म डीएलएफ पर 630 करोड़ का जुर्माना बरकरार रखा था. इससे पहले कॉम्पैट, इससे पहले 12 अगस्त 2011 को सीसीआई ने डीएलएफ पर गुड़गांव में एक आवासीय सोसायटी के संबंध में उसकी प्रमुख बाजार स्थिति का दुरुपयोग करने के लिए जुर्माना लगाया था. सीसीआई ने यह जुर्माना प्रतियोगिता अधिनियम, 2002 की धारा 4 का उल्लंधन करने के लिए लगाया था.

सीसीआई ने यह जुर्माना गुड़गांव में बेलायेर परियोजना में मकान मालिकों की शिकायत के बाद डीएलएफ पर लगाया था.
मकान मालिकों द्वारा 10 मई 2010 को सीसीआई में दायर अपनी शिकायत में यह आरोप लगाया कि परियोजना में प्रत्येक टावरों में मूल रूप से 19 मंजिलों की योजना थी लेकिन बिल्डर ने सभी भवनों में 29 मंजिलों का निर्माण किया. इस 29 मंजिल के निर्माण से क्षेत्रों और सुविधाओं में कमी हो गई थी.

प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉम्पैट)
प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (कॉम्पैट) एक वैधानिक संस्था है. इसकी स्थापना प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत की गई थी. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है. इसका गठन 15 मई 2009 को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग द्वारा जारी किए गए किसी भी निर्देश या फैसले या पारित किए गए आदेश से संबंधित शिकायत सुनने और उसके निपटारे के लिए किया गया था.

सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश डॉ. न्यायमूर्ति अरिजीत पसायत इसके पहले अध्यक्ष नियुक्त किए गए. अपीलीय न्यायाधिकरण में अध्यक्ष के अलावा केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त दो से ज्यादा सदस्य नहीं हो सकते . अपीलीय न्यायाधिकरण का अध्यक्ष सिर्फ सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश या उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायधीश ही हो सकता है.

Jagran Josh
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Education Desk

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