सर्वोच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2014 को वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को नए गठित राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यू) द्वारा मंजूर की गईं 140 परियोजनाओं को स्थगित करने का नोटिस दिया.
न्यायालय ने यह फैसला एनबीडब्ल्यू का पुनर्गठन वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 5 ए के अनुरुप नहीं होने के कारण किया.
इसके अलावा न्यायालय ने पाया कि एनबीडब्ल्यू की स्थायी समिति भी वन्यजीव अधिनियम के अनुरुप नहीं बनाई गई थी.
इन 140 परियोजनाओं का स्थगन सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई तक जारी रहेगा. अगली सुनवाई दो सप्ताह के बाद होगी. हालांकि, एनबीडब्ल्यू अपना काम करना जारी रखेगा.
यह नोटिस सर्वोच्च न्यायालय के ग्रीन बेंच जिसमें जस्टिस जे. एस. खेहर, जस्टिस जे. चेलामलेश्वर और जस्टिस एके सीकरी थे, ने जारी किया है. नोटिस पुणे निवासी चंद्र भाल सिंह द्वारा आंशिक रुप से गठित एनबीडब्ल्यू पर दायर याचिका पर जारी किया गया. अपनी याचिका में श्री सिंह ने कहा है कि केंद्र सरकार की 22 जुलाई 2014 की अधिसूचना गैर कानूनी और असंवैधानिक है क्योंकि समिति में पांच एनजीओ होने के बावजूद अधिसूचना में उनकी संख्या को कम कर 1 कर दिया गया. इसके अलावा, केंद्र सरकार के दस सदस्यों को मनोनीत किए जाने की उम्मीद थी लेकिन सिर्फ दो सदस्यों को मनोनीत किया गया.
मुद्दा
केंद्र सरकार ने 22 जुलाई 2014 को सिर्फ तीन गैर–सरकारी विशेषज्ञों और संस्थानों के साथ जबकि वन्यजीव अधिनियम की धारा 5 ए के तहत अनिवार्य 15 हैं, एनबीडब्ल्यू के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी कर दी.
इसके अलावा, केंद्र सरकार ने एक स्वतंत्रत एजेंसी को मनोनीत करने की बजाय गुजरात पर्यावरण शिक्षा और अनुसंधान फाउंडेशन, जो कि गुजरात सरकार का संस्थान है और इसकी प्रमुख गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल हैं, को मनोनीत किया. बोर्ड में दूसरे मनोनीत सदस्य गुजरात कैडर के वन सेवा अधिकारी एच.एस. सिंह (सेवानिवृत्त) थे.
पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के अधीन बनाई गई नई समिति ने 12 अगस्त 2014 से लंबित पड़ी 140 परियोजनाओं में से अधिकांश को मंजूरी दे दी थी.
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यू)
राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड (एनबीडब्ल्यू) वनजीवों से संबंधित सभी मामलों की समीक्षा करने वाली वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के अधीन शीर्ष निकाय है. इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं और इसकी स्थायी समिति की अध्यक्षता केंद्रीय पर्यावरण मंत्री करते हैं. इस निकाय के पास राष्ट्रीय उद्यानों, वन्यजीव अभ्यारण्यों और टाइगर रिजर्व के आपपास वाली सभी परियोजनाओं का मूल्यांकन का अधिकार है.
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