साख सूचना के संबंध में सिफारिश देने के लिए आदित्य पुरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने रिपोर्ट सौंपी

Mar 31, 2014, 14:07 IST

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख सूचना के संबंध सिफारिश देने के लिए आदित्य पुरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट 22 मार्च 2014 को सौंपी.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा साख सूचना के संबंध सिफारिश देने के लिए आदित्य पुरी की अध्यक्षता में गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट 22 मार्च 2014 को सौंपी. इस रिपोर्ट का शीर्षक है – साख सूचना कंपनियों को साख सूचना देने हेतु आकड़ा प्रारूप (Data Format for Furnishing of Credit Information to Credit Information Companies).

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आदित्य पुरी समिति ने अपनी रिपोर्ट में साख सूचना के संबंध में कई सिफारिशें की हैं; जैसे - साख सूचना का बढ़ता प्रसार, रिपोर्ट का प्रारूप तथा साथ संस्थाओं द्वारा अपनाया जाने वाला सर्वोपयुक्त प्रचालन, साख सूचना कंपनियां (सीआईसी) और भारतीय रिजर्व बैंक.

साख सूचना के संबंध में की कई मुख्य सिफारिशें

•    ग्राहकों को उनकी साख सूचना के संबंध में नि:शुल्क रिपोर्ट उपलब्ध करायी जानी चाहिए. इससे उनमें साख संबंधी तथ्यों व उनकी आवश्यकताओं के बारे में जागरूकता बढ़ेगी और पहचान चोरी जैसी परिस्थितियों का आरंभिक चरण में ही पता चल जाएगा.

•    एक सामूहिक आकड़ा गुणवत्ता सूचकांक बनाया जाना चाहिए जो कि साख संस्थाओं को उनके आकड़ों में अंतर का पता लगाने में मदद मिलेगी और साथ ही एक निश्चित समयांतराल में उनकी कार्यक्षमता में सुधार करने में मदद मिलेगी.

•    एक ऐसे उभयनिष्ठ आकड़ा प्रारूप के इस्तेमाल को प्रयोग में लाया जाना चाहिए जिसमें अतिरिक्त सूचनाओं का उल्लेख होगा; जैसे – विवाद कूट, विवादों पर ग्राहकों की प्रतिक्रिया, जमानती वस्तुओं या राशि का विवरण तथा आकड़ों में परिवर्तन की एक ऐसी प्रणाली जिसके माध्यम से आकड़ों की गुणवत्ता में सुधार हेतु आकड़ों के प्रारूप में यथासंभव परिवर्तन किये जा सकें.

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•    साख सूचनाओं की सदस्य संस्थाओं तथा निर्देशित उपयोगकर्ताओं के द्वारा निम्न प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए सदस्यता तथा उत्पादों के संबंध में साख सूचनाओं के प्रसार का दायरा बढ़ाया जाना चाहिए. सभी साख संस्थाएं एक संयुक्त सीआईसी समूह की सदस्य होनी चाहिए. साथ ही साख सूचना रिपोर्ट (सीआईआर) के बारे में जागरूकता फैलायी जानी चाहिए.

•    सीआईसी में क्रेडिट स्कोर के संबंध में आकड़ों का समान वर्गीकरण होना चाहिए ताकि उन्हें समझने एवं व्याख्या करने में आसानी हो.

•    विभिन्न सीआईसी किसी भी कर्जदार के संबंध में एक ही सीआईआर जारी करें, फिर चाहे उस कर्जदार के अलग-अलग पते हों. इसके लिए किसी उभयनिष्ठ पहचान प्रणाली, जैसे – पैन कार्ड तथा आधार संख्या, का इस्तेमाल किया जा सकता है.

•    विभिन्न सीआईसी को गिरवी से संबंधित सूचनाएं रखने वाली भारतीय प्रतिभूतिकरण परिसंपत्ति पुनर्निर्माण तथा सुरक्षा हित केंद्रीय पंजीकरण (Central Registry of Securitisation Asset Reconstruction and Security Interest of India, CERSAI) के डेटाबेस का लिंक मिलना चाहिए ताकि सीआईआर में ग्राहकों के गिरवी संपत्तियों का भी ब्यौरा दिया जा सके.

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