मलयालम भाषा के साहित्यकार प्रो. ए अरविंदाक्षन को हिंदी भवन न्यास समिति, नई दिल्ली द्वारा वर्ष 2013 के हिंदी रत्न सम्मान से 2 अगस्त 2013 को सम्मानित किया गया. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी ने उन्हें यह पुरस्कार हिंदी भवन सभागार (नई दिल्ली) में आयोजित एक समारोह में प्रदान किया.
प्रो. ए अरविंदाक्षन
• वह महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के प्रतिकुलपति हैं.
• उनकी मलयालम, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं में 50 से भी अधिक पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.
• उन्हें गंगा शरण सिंह पुरस्कार (2008), विशिष्ट हिंदी सेवा पुरस्कार (न्यूयार्क - 2007), मीरा स्मृति सम्मान जैसे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है.
• उनकी मुख्य कृतियाँ हैं- बाँस का टुकड़ा, आस-पास, सपने सच होते हैं, घोड़ा, राग लीलावती, भद्र पुरुष, महादेवी वर्मा के रेखाचित्र, अज्ञेय की उपन्यास यात्रा, समकालीन हिंदी कविता, कविता का कल और काल, आधारशिला, कविता सबसे सुंदर सपना है, भारतीय कथाकार प्रेमचंद, समकालीन कविता की भारतीयता.
• उनका जन्म 10 जून 1949 को हुआ था.
हिंदी रत्न सम्मान
हिंदी रत्न सम्मान किसी गैर हिन्दी भाषी व्यक्ति को राजभाषा हिन्दी में योगदान के लिए प्रदान किया जाता है. यह पुरस्कार हिन्दी भवन द्वारा पंडित भीमसेन विद्यालंकार की स्मृति में दिया जाता है. इसमें पुरस्कार स्वरुप प्रशस्ति पत्र, शाल, रजत श्रीफल, प्रतीक चिन्ह के रूप में सरस्वती की प्रतिमा तथा एक लाख रुपये की सम्मान राशि प्रदान की जाती है.
इससे पहले हिंदी रत्न सम्मान से नामगिरि राजगोपालन, बी एस शांताबाई, राधागोविंद थोड़ाम, बालशौरि रेड्डी, चमनलाल सप्रू, जसदेवसिंह, पद्मा सचदेव, डॉ. वेणुगोपाल कृष्ण, साइजी माकिनो, अमीन सयानी, नवजोतसिंह सिद्धू, इब्राहिम अलकाजी और सरोजनी महिषी सम्मानित हो चुके हैं.
14वां हिन्दी रत्न सम्मान कन्नड़ लेखिका डा सरोजनी महिषी को दिया गया...
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