सर्वोच्च न्यायालय ने 17 दिसंबर 2014 को केंद्र सरकार से बिना उसकी (सर्वोच्च न्यायालय की) अनुमति के केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्त (वीसी) की नियुक्ति नहीं करने को कहा. न्यायालय ने इसके साथ ही इन पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया का ब्योरा भी मांगा. सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की पीठ ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
इसके साथ ही साथ सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि, ‘सीवीसी और वीसी की चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होने से पक्षपात और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा मिलता है. इन पदों के लिए सिर्फ नौकरशाहों को ही क्यों चुना जाता है? आम आदमी क्यों इन पदों पर नहीं बैठ सकता?’
पृष्ठभूमि
सेंटर फॉर इंटेग्रिटी, गवर्नेस एंड ट्रेनिंग इन विजिलेंस एडमिनिस्ट्रेशन नामक गैरसरकारी संगठन ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपनी एक याचिका में आरोप लगाया था कि, केंद्र सीवीसी और वीसी के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन बुलाने के लिए व्यापक प्रचार किए बगैर नियुक्ति की दिशा में आगे बढ़ जाता है.
नोट- केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) और सतर्कता आयुक्त (वीसी) की नियुक्ति वर्तमान समय में राष्ट्रपति द्वारा वरिष्ठ नौकरशाहों के बीच से की जाती है. इस पद हेतु नामों की सिफारिश प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक कमेटी करती है जिसमें प्रधानमंत्री के अतिरिक्त केंद्रीय गृह मंत्री एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता शामिल होते हैं.
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