केंद्रीय सूचना आयोग की पूर्ण पीठ ने 3 जून 2013 को राजनीतिक दलों को सार्वजनिक संस्थाएं करार देते हुए यह निर्णय दिया है कि देश के प्रमुख राजनीतिक दल आरटीआई कानून के दायरे में आते है. इस फैसले के तहत इन सभी राजनीतिक दलों को छः हफ्ते के भीतर सूचना अधिकारी नियुक्त करने के कहा गया है.
आयोग ने जिन पार्टियों के संदर्भ में यह निर्णय दिया है वे पार्टियां हैं - कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और बहुजन समाज पार्टी.
मुख्य सूचना आयुक्त सत्येन्द्र मिश्र, सूचना आयुक्त एम एल शर्मा और सूचना आयुक्त अन्नपूर्णा दीक्षित की पीठ ने एक आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई के दौरान राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार कानून की धारा 2(एच) में सार्वजनिक संस्थाएं करार देते हुए यह निर्णय दिया.
राजनीतिक दलों के सार्वजनिक संस्थाएं होने के मापदण्ड
• राजनीतिक दलों का गठन चुनाव आयोग में पंजीकरण के बाद किया जाता है.
• राजनीतिक दल केंद्र सरकार से विभिन्न माध्यमों के जरीए वित्तीय सहायता लेते हैं – रियायती दरों पर भूमि, बंगलो का आवंटन, आयकर में छूट, चुनावों के दौरान सार्वजनिक प्रसारकों (आकाशवाणी एवं दूरदर्शन) पर मुफ्त एयर टाइम, आदि.
• राजनीतिक दल आम नागरिकों के हितों के लिए कार्यरत होते हैं.
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