विश्व स्तरीय उपभोक्ता इलेक्ट्रिकल्स कंपनी हैवेल्स इंडिया लिमिटेड ने 10 दिसम्बर 2015 को यूरोपीय लाइटिंग कंपनी सिल्वेनिया में अपनी बहुलांश हिस्सेदारी 14.88 करोड़ यूरो यानी करीब 1,090 करोड़ रुपये में शांघाई फीलो अकॉस्टिक्स को बेचने की घोषणा की.
कंपनी हैवेल्स माल्टा बीवी में 80 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी. जबकि शेष 20 फीसदी हिस्सेदारी वह बाहर होने के विकल्प के साथ अगले 3 से 5 साल तक अपने पास रखेगी.
हैवेल्स और उसके व्यापारिक लक्ष्य
- हैवेल्स ने फ्रैंकफर्ट की कंपनी सिल्वेनिया का अधिग्रहण हॉलैंड की अपनी सहायक इकाई हैवेल्स नीदरलैंड्स के जरिये 2007 में 30 करोड़ डॉलर के एक सौदे के तहत किया था.
- हैवेल्स इंडिया हॉन्ग कॉन्ग की अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक इकाई हैवेल्स एग्जिम लिमिटेड में भी 80 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी.
- कंपनी ने कहा है कि दोनों कंपनियों के लिए 100 फीसदी हिस्सेदारी के लिए एकीकृत इक्विटी मूल्य 18.6 करोड़ यूरो यानी करीब 1,340 करोड़ यूरो होगा जो समायोजन पर निर्भर करेगा.
- इन दोनों कंपनियों के लिए एकीकृत निवेश का आकार 980 करोड़ रुपये है.
- कंपनी जुटाई गई रकम का इस्तेमाल नए उत्पाद खंड और बाजार में विस्तार पर किया जाएगा.
- हैवेल्स इंडिया 'मुख्य तौर पर हम भारत में बरकरार रहने पर ध्यान केंद्रित करेगी.
- कंपनी पश्चिम एशिया और दक्षिण एशियाई देशों में व्यापारिक विस्तार की संभावनाएं तलाशेगी.
- कंपनी भारत सहित अपने वैश्विक उत्पाद पोर्टफोलियो का भी विस्तार करेगी.
- कंपनी मुनाफे में चल रही अमेरिका, ब्राजील, चिली और थाइलैंड में हैवेल्स सिल्वेनिया की सहायक इकाइयों में अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बरकरार रखेगी.
- मौजूदा पोर्टफोलियो के तहत कंपनी का इरादा स्मार्ट सिटी परियोजना जैसे अन्य वेंचरों में विलय-अधिग्रहण के जरिये कारोबार बढ़ाने का है.
सिल्वेनिया के बारे में-
सिल्वेनिया लाइटिंग के सामान बनाने वाली प्रमुख कंपनी है जो करीब 48 देशों में कारोबार करती है.
इस कंपनी की हैसियत करीब 44.3 करोड़ यूरो है.
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