यह विज्ञान, जंतु विज्ञान या प्राणिविज्ञान का वह अंग है जिसके अंतर्गत कीटों अथवा षट्पादों का अध्ययन आता है। षट्पाद (षट्=छह, पाद=पैर) श्रेणी को ही कभी-कभी कीट की संज्ञा दी जाती हैं। जंतु जगत में 20 संघ है जिनमे आर्थोपोडा सबसे बड़ा है जिनका शरीर क्रमश: सिर, वृक्ष और उदर में विभक्त होता है| सामान्य तौर पर इस संघ के कीटों में तीन जोड़ा पैर और पंख पाये जाते हैं |
पृथ्वी पर पाये जाने वाले सजीवों में आधे से अधिक कीट हैं| ऐसा अनुमान लगाया गया है कि कीट वर्ग के 3 करोड़ प्राणी ऐसे हैं जिनको अभी तक चिन्हित ही नहीं किया जा सका है अतः इस ग्रह पर जीवन के विभिन्न रूपों में कीट वर्ग का योगदान 90% है| कीट पृथ्वी पर सभी वातावरणों में पाए जाते हैं। सिर्फ समुद्रों में इनकी संख्या कुछ कम है।
Image Source:Ms. Anson's 3rd Grade Class - WordPress.com
भारत में पायी जाने वाली मृदाएं
कीटों से सम्बंधित तथ्य निम्न हैं:
1. कीट, आर्थोपोडा संघ का जीव होता है जिसका विकास एनीलिडा संघ से हुआ है |
2. कीटों के ऊपर काईटिन का बना बाह्य कंकाल और उत्सर्जन के लिए कोक्सा ग्रंथियां व मैलपीगी नलिका पायी जाती है |
3. कीट के रक्त में R.B.C. नहीं पायी जाती है जिससे इसका रक्त लाल न होकर पीलापन लिए हुए हरा होता है |
4. कीटों में यकृत नही होता है किन्तु लार ग्रंथियां पायी जाती हैं |
5. कीटों को ताप और नमी का पता ट्राईकोइड, प्लेकोइड तथा सैन्सीली के माध्यम से चलता है | इन्ही अंगों के माध्यम से चीटी को वर्षा आदि का अनुमान पहले से ही हो जाता है |
6. कीटों में परिसंचरण तंत्र खुले प्रकार का श्वसन क्रिया क्लोमों ट्रेकिया व लंग बुकों द्वारा होता है |
7. दीमक एक सामाजिक कीट है |
8. भारत में टिड्डी का प्रवेश राजस्थान से होता है |
9. निकोटिन एक वानस्पतिक कीट विष है जो तम्बाकू की पत्तियों एवं डंठलों से प्राप्त होता है |
10. कीटों के उदाहरण निम्न हैं:मच्छर, घरेलू मक्खी, मधुमक्खी, सरसों में लगने वाली माहूँ, दीमक, टिड्डी, लाख कीट और रेशम कीट आदि |
Comments
All Comments (0)
Join the conversation