हज़रत मुहम्मद, जिन्हें इश्वर का इस्लामी पैगंबर कहा जाता है का जन्म 570-571 ईस्वी में मक्का (सऊदी अरब में एक शहर) में पैदा हुआ था. छह साल की उम्र तक वह अपने माता पिता दोनों को खो चुके थे. उनका पालन पोषण उनके अपने चाचा द्वारा किया गया था. 25 वर्ष की उम्र में उन्होंने ख़ादीजा नाम की एक विधवा के घर काम करना आरंभ किया और बाद में ख़ादीजा बिन खुवैलिद से विवाह किया जोकि उनके इस्लाम धर्म अपनाने के पश्चात् पहली मुस्लिम बनी. 40 वर्ष की उम्र में, उन्होंने इश्वर से खुद के मिलन का रहस्योद्घाटन किया और इश्वर एक है इस बात का उपदेश देना शुरू कर दिया. मुसलमान मानते हैं कि मक्का की पहाड़ियों में इन्हे परम ज्ञान सन् 610 ईस्वी के आसपास प्राप्त हुआ.
उनके पैगंबर के रूप में उपदेश को सुनकर मक्का की कुछ जनजातियां इनकी कट्टर दुश्मन बन गई. इस घटना के कारण उन्हें मक्का छोड़ना पड़ा और मदीना की तरफ स्थानांतरित होना पड़ा. इस्लाम धर्म में इस घटना को हिजरा कहा जाता है.
इस्लामी कैलेंडर इसी हिजरा शब्द से बना है जिसे, हिजरी कैलेंडर कहा जाता है. पैगंबर मुहम्मद के उपदेश के कारण उनके अनुयायियों की संख्या में वृद्धि होना शुरू हो गया. सन् 630 ईस्वी में मुहम्मद साहब ने अपने अनुयायियों के साथ मक्का पर चढ़ाई कर दी. इस युद्ध में उन्हें जीत हासिल हुई और इसके बाद मक्कावासियों ने इस्लाम कबूल कर लिया. मक्का में स्थित काबा को इस्लाम का पवित्र स्थल घोषित कर दिया गया.
पैगंबर मुहम्मद का निंधन 632 ईसवी में उस समय हुआ जब इस्लाम धर्म अपने प्रचार-प्रसार के चरण में था. उनकी मृत्यु तक लगभग सम्पूर्ण अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था. इनकी मृत्यु के पश्चात् मुहम्म्द साहब के दोस्त अबू बकर को मुहम्मद साहेब का उत्तराधिकारी घोषित किया गया.
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