रॉ के 7 प्रमुख ऑपरेशन
रॉ (रिसर्च एंड एनालाइसिस विंग) का गठन 1962 के भारत-चीन युद्ध और 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद किया गया था| रॉ का सिद्धांत “धर्मो रक्षति रक्षितः” है, अर्थात “जो शख्स धर्म की रक्षा करता है, वह हमेशा सुरक्षित रहता हैं|” रॉ अपनी रिपोर्ट सीधे प्रधानमंत्री को भेजती है| इसके डायरेक्टर का चुनाव, सेक्रेटरी (रिसर्च) द्वारा होता हैं| ऐसे प्रत्याशी जिनका चुनाव रक्षा बलों से होता है उन्हें इसमें शामिल होने से पहले अपने मूल विभाग से इस्तीफा देना आवश्यक हैं|
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क्या आप जानते हैं कि सिक्किम को भारत में शामिल करने का श्रेय भी बहुत हद तक रॉ को जाता हैं। रॉ ने वहाँ के नागरिकों को भारत समर्थक (प्रो इंडियन) बनाने में अहम भूमिका निभाई थी| इसके आलावा भारत के परमाणु कार्यक्रम को गोपनीय रखना भी रॉ की जिम्मेदारी होती हैं| आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि रॉ में ड्यूटी पर तैनात अधिकारी को बंदूक नहीं मिलती है। वे बचाव के लिए अपनी तेज बुद्धि का इस्तेमाल करते हैं|
आएये अब रॉ के 8 प्रमुख ऑपरेशनों पर एक नज़र डालते हैं:
1. स्नैच ऑपरेशन
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रॉ के इस ऑपरेशन के बारे में दुनिया को पता भी नहीं चलता, अगर खोजी पत्रिका ‘दी वीक’ ने इसके बारे में सूचना प्रकाशित नहीं किया होता। इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के दो शीर्ष खुफिया संस्थान रॉ और आईबी ने नेपाल, भूटान और बांग्लादेश में चार सौ से अधिक ठिकानों पर दबिश देकर लश्कर के कई आतंकवादियों का खात्मा किया था। ‘रिक महमूद’ और ‘शेख अब्दुल ख्वाजा’ जैसे मुम्बई हमले में शामिल आतंकवादियों को इस ऑपरेशन के तहत पकड़ा गया था| इस ऑपरेशन के तहत संदिग्ध व्यक्तियों को विदेशों में गिरफ्तार किया जाता है और भारत लाया जाता है| इसके बाद अज्ञात स्थलों पर उनसे पूछताछ की जाती है और अंततः औपचारिक रूप से एक हवाई अड्डे पर या सीमा चौकी पर उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता है|
2. स्माइलिंग बुद्धा
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“स्माइलिंग बुद्धा” भारत के पहले परमाणु कार्यक्रम का नाम रखा गया था| यह वास्तव में बेहद खुफिया और गुप्त मिशन था। यह पहला वाकया था जब रॉ को भारत के अंदर किसी परियोजना में शामिल किया गया था| 18 मई, 1974 को भारत में सफलतापूर्वक 15 किलोटन प्लूटोनियम डिवाइस का पोखरण में परीक्षण किया गया था और भारत भी परमाणु-क्षमता वाले राष्ट्रों के विशिष्ट समूह का सदस्य बन गया था| रॉ की विशिष्ट कार्य योजना के कारण भारत में चल रहे इस परीक्षण के बारे में चीन और अमेरिका जैसे देशों की खुफिया एजेंसियों को भी पता नहीं चल सका था|
3. ऑपरेशन चाणक्य
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कश्मीर में शांति बहाल करने के लिए और अलगाववादी समूहों के घुसपैठ को रोकने के लिए रॉ द्वारा इस ऑपरेशन को चलाया गया था| यह मिशन का उद्देश्य “फुट डालो और विजय प्राप्त करो” थी जो चाणक्य की नीति थी, इसीलिए इस ऑपरेशन का नाम “ऑपरेशन चाणक्य” रखा गया था| इस ऑपरेशन के द्वारा घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को बेअसर करने में सफलता मिलीं थी| इसी ऑपरेशन के तहत रॉ के एक एजेंट को ISI के बीच में छोड़ दिया था और फिर रॉ के उस एजेंट ने ISI के खिलाफ सबूतों को खोजा और उनमें फूट भी डाली जिसकी वजह से उन्ही के संगठन में भारत के कुछ समर्थक भी पैदा हो गये थे और आखिर में भारतीय सैनिकों ने उन पर विजय हासिल कर ली थी| इस ऑपरेशन के तहत आतंकवादी संगठन हिज्ब-उल-मुजाहिदीन को विभाजित कर कश्मीर समर्थक भारतीय समूह बनाने में सफलता प्राप्त हुई थी|
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4. सिक्किम का भारत में विलय
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सिक्किम को भारत में शामिल करने का श्रेय बहुत हद तक रॉ को जाता है। रॉ ने वहाँ के नागरिकों को भारत समर्थक (प्रो इंडियन) बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। जैसा की हम जानतें हैं कि भारत की आजादी के बाद भी सिक्किम इससे अलग था। इंदिरा गांधी ने 1972 में सिक्किम को अधिकृत रूप से भारतीय लोकतंत्र का हिस्सा बनाने की जिम्मेवारी रॉ को दी थी| रॉ के प्रयासों की वजह से ही 26 अप्रैल 1975 को अर्थात ठीक तीन साल बाद सिक्किम भारतीय संघ का 22वां राज्य बना था|
5. ऑपरेशन कैक्टस
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पीपुल्स लिबरेशन ऑफ तमिल ईलम (PLOTE) नामक एक तमिल आतंकवादी संगठन ने नवंबर 1988 में मालदीव पर आक्रमण किया था| जिसके कारण मालदीव के राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम ने भारत से मदद मांगी थी| तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भारतीय सेना के 1600 सैनिकों को मालदीव में व्यवस्था बहाल करने के लिए मालदीव के हुल्हुले द्वीप पर हवाई मार्ग से भेजने का आदेश दिया था और रॉ ने सेना को आवश्यक खुफिया सूचनाएं प्रदान की थी| अंततः भारतीय सैनिको ने कुछ ही घंटों के भीतर वहाँ शासन बहाल कर दिया था|
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6. आपरेशन काहुटा
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यह ऑपरेशन बेहद ही साहसिक अभियान था। इस ऑपरेशन में रॉ ने पाकिस्तान के लॉन्ग रेंज मिसाइल प्रोग्राम का पता उस मिशन में लगे वैज्ञानिकों के बालों के माध्यम से लगा लिया था| रॉ एजेंट्स ने 1978 के पहले ही पकिस्तान के खूंखार परमाणु क्षमता से लैस होने की तैयारी का पता लगा लिया था, लेकिन यह मिशन देश के तत्कालीन नेतृत्व की कूटनीतिक खामी की वजह से कामयाब नहीं हो सका था|
7. ऑपरेशन मेघदूत
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1984 में रॉ ने भारतीय सेना को पाकिस्तान के बारे में एक मत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई थी जिसके अनुसार पाकिस्तान सियाचिन ग्लेशियर के साल्टोरो रिज पर कब्जा करने के लिए ऑपरेशन “अबाबील” नाम से आक्रमण की योजना बना रहा था| अतः भारतीय सेना ने ऑपरेशन मेघदूत की शुरूआत की थी और करीब 300 सैनिकों को साल्टोरो रिज में तैनात किया गया था| परिणामस्वरूप पाकिस्तान की सेना को पीछे हटना पड़ा था|