Election Commission Of India: भारत में कैसे होती है मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति, क्या है प्रक्रिया, जानें

Election Commission Of India: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश यानि भारत में समय-समय पर चुनाव होते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि भारत में चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कैसी होती है। आयुक्त की चुनाव की पूरी प्रक्रिया क्या है, यदि नहीं, तो जानने के लिए यह लेख पढ़ें।
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति
चुनाव आयुक्त की नियुक्ति

Election Commission Of India: दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश यानि भारत में समय-समय पर चुनाव होते हैं। वहीं, चुनाव कराने का काम भारतीय निर्वाचन  आयोग का होता है। चुनाव की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग के मुखिया यानि मुख्य चुनाव आयुक्त की होती है। लेकिन, क्या आपको पता है कि आयुक्त की नियुक्ति कैसे होती है। वहीं, नियुक्ति में किन-किन बातों का ध्यान रखा जाता है। यदि नहीं, तो यह जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें। 

 

क्या है निर्वाचन आयोग

सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारतीय निर्वाचन आयोग क्या है, तो आपको बता दें कि भारतीय निर्वाचन आयोग एक स्थायी संवैधानिक और स्वतंत्र निकाय है। आयोग की स्थापना 25 जनवरी, 1950 को की गई थी। वहीं, आयोग द्वारा कोई भी निर्णय लेने में सभी चुनाव आयुक्तों की बराबर जिम्मेदारी होती है। शुरुआत में इसमें एक मुख्य  चुनाव आयुक्त का पद हुआ करता था, हालांकि बाद में इसमें दो अन्य चुनाव आयुक्त का पद बढ़ा दिया गया था। 

 

कैसे होती है नियुक्ति

मुख्य चुनाव आयुक्त  व चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति करते हैं। नियुक्ति के लिए यह शक्तियां केवल राष्ट्रपति को ही दी गई हैं, जो कि भारतीय संविधान के 324(2) में उल्लेखित है।

 

कितना होता है कार्यकाल

चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष या 65 वर्ष की आयु तक होता है। इसमें जो भी पहले हो जाएगी, तब अधिकारी अपने पद से सेवानिवृत्त हो जाएगा। 

 

आयुक्त के निर्णय पर दे सकते हैं चुनौती

मुख्य चुनाव आयुक्त व चुनाव आयुक्त का पद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के बराबर होता है। यही वजह है कि इन्हें मिलने वाली सुविधाएं व लाभ भी सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश को मिलने वाले लाभ के बराबर ही दिए जाते हैं। हालांकि, यदि कोई व्यक्ति आयुक्त के फैसले से खुश नहीं है, तो वह इनके फैसले को कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दे सकते हैं। 



हटाना नहीं होता आसान

मुख्य चुनाव आयुक्त एक संवैधानिक पद पर कार्यरत होते हैं। इसके साथ ही ये राजनीति से भी दूर होते हैं। हालांकि, यदि किसी परिस्थिति में आयुक्त को हटाना पड़े, तो केवल संसद द्वारा महाभिायोग के माध्यम से ही मुख्य चुनाव आयुक्त को हटाने का प्रस्ताव पारित किया जा सकता है। 

 

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