उद्योग जगत के सितारे और करोड़ों दिलों पर राज करने वाले रतन टाटा ने 9 अक्टूबर, 2024 को दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके जाने से पूरे देश में शोक की लहर दौड़ पड़ी थी। क्योंकि, वह अपने आपको व्यापारी नहीं, बल्कि उद्योगपति मानते थे और अपना पैसा समाज का पैसा मानते थे।
करोड़ों रुपये दान करने के लिए मशहूर रतन टाटा के जाने के बाद समूह के नेतृत्त्व को लेकर शंका के बादल मंडरा रहे थे। हालांकि, अब समूह की जिम्मेदारी पद से पर्दा साफ हो गया है। नोयल टाटा अब टाटा ट्रस्ट की कमान संभालेंगे, उन्हें सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के लिए चुना गया है।
वह टाटा समूह की जिम्मेदारी संभालेंगे, जिसकी कंपनियों की कीमत करीब 39 लाख करोड़ रुपये है। ऐसे में इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर नोयल टाटा कौन हैं ?
शुरू से चल रही थी चर्चा
टाटा समूह के अध्यक्ष रहे रतन टाटा के गुजरने के बाद समूह की जिम्मेदारी संभालने के लिए अलग-अलग नामों पर चर्चा थी। इस बीच नोयल टाटा के नाम पर अधिक जोर दिया जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रतन टाटा के गुजरने के बाद नोयल टाटा से बात कर उन्हें सांत्वना दी थी। बोर्ड की मीटिंग कर नोयल टाटा को टाटा ट्रस्ट और समूह की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कौन हैं नोयल टाटा
अब हम यह जान लेते हैं कि नोयल टाटा कौन हैं, तो आपको बता दें कि नोयल टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई हैं। वह रतन टाटा के पिता नवल टाटा और सिमोन टाटा के बेटे हैं, जो कि वर्तमान में 67 वर्षीय हैं।
सुलझे हुए इंसान के तौर पर है पहचान
नोयल टाटा की टाटा समूह में एक सुलझे हुए और समझदार इंसान के रूप में पहचान है। टाटा संस के पूर्व बोर्ड सदस्य आर. गोपालकृष्णन ने उन्हें समझदार और बहुत सुलझा हुआ इंसान बताया है। नोयल साल 2014 से ट्रेंट लिमिटेड के अध्यक्ष रहे हैं, वहीं साल 2021 तक उन्होंने टाटा इंटरनेशनल को भी लीड किया है। ऐसे में टाटा समूह को चलाने को लेकर उनके पास एक बड़ा अनुभव है। वह इस पद रहते हुए टाटा ट्रस्ट की होल्डिंग कंपनियों का संचालन करेंगे।
नोयल टाटा का करियर प्रोफाइल
नोयल टाटा बीते चार दशक से टाटा समूह से जुड़े हुए हैं। उन्होंने टाटा स्टील और टाइटन जैसी कंपनियों के वाइस प्रेसिडेंट के रूप में काम किया है। साथ ही, वह वोल्टास, टाटा इंवेस्टमेंट और ट्रेंट के अध्यक्ष भी रहे हैं। उन्होंने टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड में बीते 10 साल में 50 करोड़ डॉलर से 3 अरब डॉलर की कमाई में अपना विशेष योगदान दिया था। साथ ही, वह बोर्ड के कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।
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