भारत में कुल 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इन सभी राज्यों की अपनी राजधानी है। हालांकि, यदि भारत के उत्तर में देखें, तो हमें चंडीगढ़ जैसा आधुनिक शहर देखने को मिलता है। भारत का यह शहर देश का पहला नियोजित शहर है, जिसे पूरी तरह सेक्टर प्लानिंग के आधार पर बसाया गया था। आज चंडीगढ़ शहर पंजाब और हरियाणा की राजधानी है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि आखिर चंडीगढ़ को दो राज्यों की राजधानी क्यों बनाया गया है। क्या है इसके पीछे की कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें।
1947 के बाद राजधानी की हुई जरूरत
साल 1947 में जब भारत का विभाजन हुआ, तो पंजाब की राजधानी लाहौर पाकिस्तान में चली गई। इसके बाद पंजाब को तुरंत राजधानी की जरूरत थी। इसे देखते हुए पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा एक नए शहर का सपना देखा गया और इस तरह एक फ्रांसीसी वास्तुकार ने चंडीगढ़ को बसाया। उस समय चंडीगढ़ को पंजाब की राजधानी बनाया गया।
1960 में भाषा को लेकर बढ़ा विवाद
साल 1960 आते-आते पंजाब में हिंदी और पंजाबी भाषा को लेकर विवाद बढ़ने लगा। इस दौरान हिंदी भाषा के लोग अलग राज्य की मांग कर रहे थे। इसे देखते हुए पंजाब पुनर्गठन अधिनियम के तहत पंजाब को दो हिस्सों में बांटा गया, जिससे नवंबर, 1966 को हरियाणा राज्य का गठन हुआ।
राजधानी को लेकर हुआ विवाद
पंजाब से हरियाणा राज्य अलग होने के बाद राजधानी को लेकर विवाद बढ़ गया। पंजाब का तर्क था कि चंडीगढ़ पंजाब की जमीन पर है, ऐसे में इस पर पंजाब का अधिकार होना चाहिए। वहीं, हरियाणा भी इसे प्रशासनिक रूप से अहम मानता था।
केंद्र ने लिया यह फैसला
दोनों राज्यों के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया। साथ ही, इसे दोनों राज्यों की राजधानी घोषित कर दिया। केंद्र ने स्पष्ट किया कि चंडीगढ़ को केंद्र सरकार द्वारा ही शासित किया जाएगा।
60: 40 का रखा अनुपात
केंद्र सरकार द्वारा चंडीगढ़ में 60: 40 का अनुपात रखा गया है। यहां बजट और सरकारी कर्मचारियों में 60 फीसदी हिस्सा पंजाब के पास है, जबकि 40 फीसदी हिस्सा हरियाणा के पास है। दोनों राज्यों की अलग-अलग विधानसभा और सचिवालय हैं, हालांकि दोनों ही एक ही परिसर में स्थित हैं।
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