संगम युग का कालक्रम तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से चौथीं शताब्दी ईस्वी तक था और इस युग को संगम युग इसलिए कहा जाता है क्योंकि उस समय कवियों और विद्वानों का एक परिषद् था जिसे संगम कहा जाता था| इसके अलावा, यह प्राचीन दक्षिणी भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अवधि है, जिसे “तमिलकम” भी कहा जाता है| यहाँ हम संगम युग के प्रमुख राजवंशों का संक्षिप्त विवरण दे रहे हैं जो UPSC, SSC, State Services, NDA, CDS और Railways जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए बहुत ही उपयोगी है|
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संगम युग के साम्राज्यों का संक्षिप्त विवरण
पांड्य साम्राज्य
1. मेगास्थनीज के अनुसार यह साम्राज्य “मोती” के लिए प्रसिद्ध था|
2. इस साम्राज्य का विस्तार वर्तमान तिरूनेलवेली, रामनद और मदुरै जिलों तक था|
3. इस साम्राज्य की राजधानी वैगई नदी के किनारे स्थित मदुरै शहर था|
4. इस साम्राज्य का व्यापार संबंध रोमन साम्राज्य के साथ था और रोमन शासकों ने ऑगस्टस और ट्रोज्जन को दूत के रूप में चोल शासकों के पास भेजा था|
5. इस साम्राज्य का प्रारम्भिक शासक
6. इस साम्राज्य का प्रारम्भिक प्रसिद्ध शासक “मुडुकुड़मी” था| उसने “कोल्वन” पर चोरी का आरोप लगाया| नतीजतन, मदुरै शहर कोल्वन की पत्नी “कण्णगी” के अभिशाप से ग्रस्त हो गया था|
7. इस साम्राज्य का राजकीय चिन्ह “मछली” था|
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चोल साम्राज्य
1. इस साम्राज्य को “चोलमण्डलम” भी कहा जाता है|
2. यह साम्राज्य पांड्य साम्राज्य के उत्तर-पूर्व में पेन्नार और वेल्लार नदी के बीच स्थित था|
3. इस साम्राज्य का विस्तार वर्तमान तंजौर और तिरूचिरापल्ली जिले तक था|
4. इस साम्राज्य की अंतर्देशीय राजधानी उरियुर और बंदरगाह राजधानी कावेरीपट्टनम था|
5. यह साम्राज्य कपास के व्यापार के लिए प्रसिद्ध था|
6. इस साम्राज्य के शासक ‘एलारा’ श्रीलंका पर विजय प्राप्त करने वाले प्रारम्भिक शासकों में से एक थे|
7. कारिकाल इस साम्राज्य का महान राजा था एवं उसका पैर जला हुआ था| उसने ‘पुहार’ की स्थापना की थी और कावेरी नदी के किनारे पर 160 किमी लम्बा तटबंध का निर्माण करवाया था|
8. चोलों के पास उस समय भी बहुत ही कुशल नौसेना थी|
9. इनका राजकीय चिन्ह “बाघ” था|
चेर साम्राज्य
1. यह साम्राज्य वर्तमान केरल एवं तमिलनाडु दोनों राज्यों में फैला हुआ था|
2. इसकी राजधानी वन्जी थी|
3. इस साम्राज्य का मुख्य बंदरगाह “मुजरिस” और “टोंडी” था|
4. रोमन शासकों ने मुजरिस (कारंगनुर के नाम से प्रसिद्ध) में दो रेजिमेंट की स्थापना कि थी| उन्होंने मुजरिस में “ऑगस्टस का मंदिर” भी बनवाया था|
5. इस साम्राज्य का प्रारम्भिक शासक “उदियनजेरल” था|
6. इस साम्राज्य का सबसे महान शासक “शेनगुट्टवन” या “लाल चेर” था जिसने प्रसिद्ध “पत्तिनी” पूजा की प्रथा की शुरूआत की थी जो सती “कण्णगी” की पूजा से संबंधित था|
7. इनका राजकीय चिन्ह “धनुष” था|
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