यूएपीए विधेयक, 2019 राज्यसभा में पारित हुआ था, जिसमें 147 सांसदों ने यूएपीए संशोधन विधेयक 2019 के पक्ष में मतदान किया था, जबकि केवल 42 ने इसके खिलाफ मतदान किया था।
देश में बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के मद्देनजर एनडीए सरकार ने देश में आतंकवाद और नक्सलवाद से निपटने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया है।
आइए जानते हैं कि इस कानून के तहत कौन-सी गतिविधियां गैरकानूनी मानी गई हैं और इस अधिनियम में क्या बदलाव किए गए हैं ?
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 व्यक्तियों और संगठनों की कुछ गैरकानूनी गतिविधियों की अधिक प्रभावी रोकथाम तथा आतंकवादी गतिविधियों और अन्य संबंधित मामलों से निपटने में सक्षम बनाता है।
इस अधिनियम का विस्तार और अनुप्रयोग
-यह पूरे देश में लागू है
-यूएपीए के तहत आरोपित कोई भी भारतीय या विदेशी नागरिक इस अधिनियम के तहत दंड के लिए उत्तरदायी है, चाहे अपराध/अपराध का स्थान कुछ भी हो
-यूएपीए अपराधियों पर उसी तरह लागू होगा, भले ही अपराध भारत से बाहर विदेशी धरती पर किया गया हो
-इस अधिनियम के प्रावधान भारत और विदेश के नागरिकों पर भी लागू होंगे।
-भारत में पंजीकृत जहाजों और वायुयानों पर सवार व्यक्ति, चाहे वे कहीं भी हों, इस अधिनियम के दायरे में आएंगे।
भारत में गैरकानूनी गतिविधि की परिभाषा
"गैरकानूनी गतिविधि" का तात्पर्य किसी व्यक्ति या संगठन द्वारा की गई किसी भी कार्रवाई से है (चाहे वह किसी कार्य को करके हो या मौखिक या लिखित शब्दों के द्वारा या संकेतों के माध्यम से, भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता पर प्रश्नचिह्न लगाता हो, उसे अस्वीकार करता हो, बाधित करता हो या बाधित करने का इरादा रखता हो)।
यह अधिनियम भारत के किसी भाग को संघ से हस्तांतरित करने या भारत के किसी भाग को संघ से पृथक करने, या किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को ऐसा हस्तांतरण या पृथक्करण लाने के लिए उकसाने पर भी प्रतिबंध लगाता है।
मौलिक अधिकार
राष्ट्रीय एकता परिषद, संविधान (16वां संशोधन) अधिनियम, 1963 ने संसद को भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित में (कानून द्वारा) उचित प्रतिबंध लगाने की शक्ति दी है;
-वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
-संघ या एसोसिएशन बनाने का अधिकार
-शांतिपूर्वक और बिना हथियार के एकत्र होने का अधिकार
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में परिवर्तन
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने न केवल 2008 के एनआईए अधिनियम में बदलाव किया था, बल्कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 में भी बदलाव किया। लोकसभा ने 15 जुलाई, 2019 को एनआईए संशोधन अधिनियम, 2019 पारित किया, और राज्यसभा ने इसे 17 जुलाई 2019 को पारित किया था।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की अनुसूची 4 में संशोधन से एनआईए को आतंकवाद से संबंध रखने वाले संदिग्ध व्यक्ति को आतंकवादी घोषित करने की अनुमति मिली थी।
वर्तमान में केवल संगठनों को ही 'आतंकवादी संगठन' कहा जाता है, लेकिन यूएपीए, 1967 में बदलाव के बाद किसी व्यक्ति को भी आतंकवादी संदिग्ध कहा जा सकता है।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रसिद्ध गिरफ्तारी
-बिनायक सेन, एक डॉक्टर और मानवाधिकार कार्यकर्ता। उन्हें मई 2007 में कथित तौर पर गैरकानूनी नक्सलवादियों का समर्थन करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था।
-सुधीर धवले, दलित अधिकार कार्यकर्ता, 2018 में गिरफ्तार
-आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता महेश राउत को 2018 में गिरफ्तार किया गया
-कवि वरवर राव को 2018 में गिरफ्तार किया गया।
-दलित और आदिवासी अधिकारों के वकील सुरेंद्र गाडलिंग को 2018 में गिरफ्तार किया गया।
-शोमा सेन, प्रोफेसर, 2018 में गिरफ्तार
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