Do you know: जानें किस शहर को एक दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया था और क्यों?

क्या आप जानते हैं कि देश की राजधानियां समय के साथ बदलती रहीं है और नई दिल्ली हमेशा से भारत की राजधानी नहीं रही है? प्राचीन और मध्ययुगीन में भारत कई राज्यों में विभाजित था, प्रत्येक की अपनी राजधानी हुआ करती थी. इनमें से कई बड़े व्यापारिक केंद्र और सांस्कृतिक केंद्रों में विकसित हुए. लेकिन ऐसा कौन सा शहर था जिसे ब्रिटिश शासन काल के दौरान एक दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया और क्यों? आइये जानें इसके बारे में विस्तार से
Prayagraj (Allahabad)
Prayagraj (Allahabad)

ब्रिटिश काल के दौरान देश में एक ऐसा भी शहर था जिसे एक दिन के लिए देश की राजधानी बनाया गया था.  क्या आप जानते हैं ऐसा कौन सा शहर था ?  जिसे एक दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया था और ऐसा क्यों किया गया था. हमेशा से दिल्ली भारत की राजधानी नहीं रही है. प्राचीन और मध्ययुगीन काल में भारत कई राज्यों में विभाजित था, प्रत्येक की अपनी राजधानी हुआ करती थी. इनमें से कई व्यापार केंद्रों और सांस्कृतिक केंद्रों में विकसित हुए.

जानें किस शहर को एक दिन के लिए भारत की राजधानी घोषित किया गया था और क्यों?

1858 में, इलाहाबाद को एक दिन की अवधि के लिए भारत की राजधानी बनाया गया था क्योंकि ईस्ट इंडिया कंपनी ने शहर में ब्रिटिश राजशाही को राष्ट्र का प्रशासन सौंप दिया था. उस समय इलाहाबाद उत्तर-पश्चिमी प्रांतों की राजधानी भी था. यहाँ पर उस समय अंग्रेजों ने उच्च न्यायालय से लेकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना की थी और अकबर के किले में सेना रहती थी. 

अंग्रेजों ने 1911 में राजधानी को कलकत्ता (अब कोलकाता) से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया, जबकि शिमला 1864-1939 के दौरान ग्रीष्मकालीन राजधानी थी. दिल्ली को औपचारिक रूप से 13 फरवरी, 1931 को राष्ट्रीय राजधानी के रूप में घोषित  किया गया था.

आइये  इलाहाबाद (अब प्रयागराज) के इतिहास के बारे में एक नज़र डालते हैं.

प्रयागराज का अतीत काफी गौरवशाली रहा है. वर्तमान के साथ यह भारत के ऐतिहासिक और पौराणिक शहरों में से एक है. यह उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े शहरों में से भी एक है और तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है. इस मिलन के स्थल को त्रिवेणी के रूप में भी जाना जाता है और यह हिंदुओं के लिए विशेष रूप से पवित्र माना जाता है. इस शहर में आर्यों की पहले की बस्तियाँ बसी हुई थीं, जिसे तब प्रयाग के नाम से जाना जाता था.

इसकी पवित्रता पुराणों, रामायण और महाभारत में इसके संदर्भों से प्रकट होती है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की शुरुआत में 'प्रकृति यज्ञ ' करने के लिए पृथ्वी पर एक भूमि (यानी प्रयाग) को चुना और उन्होंने इसे तीर्थ राज या सभी तीर्थ केन्द्रों के राजा के रूप में भी संदर्भित किया था. 

प्रयाग में स्नान करने का ब्रह्म पुराण में उल्लेख है. ऐसी मान्यता है कि प्रयाग में गंगा यमुना के तट पर माघ के महीने में स्नान करने से लाखों अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है. 

प्रयाग सोम, वरुण और प्रजापति का जन्म स्थान है. प्रयाग को ब्राह्मणवादी (वैदिक) और बौद्ध साहित्य में पौराणिक व्यक्तित्वों से जोड़ा गया है. वर्तमान झूंसी क्षेत्र, संगम के बहुत करीब, चंद्रबंशिया (चंद्र कबीले) राजा पुरुरवा का राज्य था. कौशाम्बी के निकट वत्स और मौर्य शासन के दौरान यह काफी समृद्ध  हुआ. अब आइये कुछ तथ्यों पर नज़र डालते हैं.

1575 AD - सम्राट अकबर ने "इलाहाबास" (“ILLAHABAS”) के नाम से शहर की स्थापना की, जो बाद में इलाहाबाद बन गया जिसका अर्थ था "अल्लाह का शहर" और यह संगम के रणनीतिक महत्व से प्रभावित था.  मध्ययुगीन भारत में शहर को भारत का धार्मिक-सांस्कृतिक केंद्र होने का सम्मान प्राप्त था. लंबे समय तक यह मुगलों की प्रांतीय राजधानी थी. बाद में इस पर मराठों ने कब्जा कर लिया था. 

1801 AD - शहर का ब्रिटिश इतिहास इस वर्ष शुरू हुआ जब अवध के नवाब ने इसे ब्रिटिश सिंहासन को सौंप दिया. उस समय ब्रिटिश सेना ने किले का इस्तेमाल अपने सैन्य उद्देश्यों के लिए किया था.

1857 AD - यह शहर स्वतंत्रता संग्राम का केंद्र था और बाद में अंग्रेजों के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का मुख्य स्थल बन गया.

1858 AD - ईस्ट इंडिया कंपनी ने आधिकारिक तौर पर यहां मिंटो पार्क में भारत को ब्रिटिश सरकार को सौंप दिया. स्वतंत्रता के पहले संग्राम के बाद शहर का नाम "इलाहाबाद" (“ALLAHABAD” ) रखा गया और इसे आगरा और अवध के संयुक्त प्रांत की राजधानी बनाया गया.

1868 AD - इलाहाबाद उच्च न्यायालय की स्थापना के साथ यह न्याय करने का स्थान बन गया.

1887 AD - प्रयागराज चौथे सबसे पुराने विश्वविद्यालय - इलाहाबाद विश्वविद्यालय की स्थापना के साथ ज्ञान का केंद्र  बन गया. 

यह शहर ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का महत्वपूर्ण केंद्र रहा, जिसका केंद्र आनंद भवन था. यह प्रयागराज (तब इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था) में महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए अहिंसक प्रतिरोध के अपने कार्यक्रम का प्रस्ताव रखा था. प्रयागराज ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के प्रधानमंत्रियों की सबसे बड़ी संख्या प्रदान की है जिनमें पं जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, वी.पी. सिंह. पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र थे.

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि प्राचीन काल की सभ्यता के दिनों से प्रयागराज विद्या, ज्ञान और लेखन का महत्वपूर्ण स्थान रहा  और साथ ही आध्यात्मिक रूप से काफी लोकप्रिय है.

Source: prayagraj.nic.in

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