जानें भारत में SPG सुरक्षा किसको दी जाती है?

SPG देश के सबसे जांबाज सिपाही कहे जाते हैं. जब ये देश के पीएम या भारत दौरे पर आए किसी अति विशिष्ट अतिथि की सुरक्षा देखते हैं तो उस वक्त ये जहन में आता है कि आखिर ये कैसे चुने जाते हैं, इनकी ट्रेनिंग कैसी होती है? इत्यादि.
विशेष सुरक्षा दल (Special Protection Group- SPG), 2 जून, 1988 में भारत की संसद के एक अधिनियम द्वारा बनाया गया था. इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है. यह केंद्र का विशेष सुरक्षाबलों में से एक है. क्या आप जानते है कि SPG का मुकाबला अमेरिकन राष्ट्रपति की सुरक्षा करने वाली 'US Secret Service' से होता है. इन जवानों का चयन पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स (BSF, CISF, ITBP, CRPF) से किया जाता है. यह बल गृह मंत्रालय के अधीन है. SPG देश की सबसे पेशेवर एवं आधुनिकतम सुरक्षा बलों में से एक है.
ये एक फुली ऑटोमेटिक गन FNF-2000 असॉल्ट राइफल से लैस होते हैं. कमांडोज के पास ग्लोक 17 नाम की एक पिस्टल भी होती है. कमांडो अपनी सेफ्टी के लिए एक लाइट वेट बुलेटप्रूफ जैकेट भी पहनते हैं और साथी कमांडो से बात करने के लिए कान में लगे ईयर प्लग या फिर वॉकी-टॉकी का सहारा लेते हैं. यहां तक की इनके जूते भी काफी अलग होते है जो किसी भी जमीन पर फिसलते नहीं हैं. साथ ही इनके हाथों में खास तरह के दस्ताने होते है जो कमांडो को चोट लगने से बचाते हैं. परन्तु सवाल यह उठता है कि आखिर यह सुरक्षा भारत में किसको दी जाती है और कितने समय तक दी जाती है. आइये इस लेख के माध्यम से यह जानने की कोशिश करते हैं.
भारत में SPG सुरक्षा किसको दी जाती है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा, SPG सात अन्य लोगों - पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, उनकी पत्नी गुरशरण कौर, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, उनकी दत्तक बेटी नमिता भट्टाचार्य, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके दो बच्चे राहुल और प्रियंका गांधी की सुरक्षा करती है. इसके जवान पीएम को 24 घंटे एक विशेष सुरक्षा घेरा प्रदान करते हैं. राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, देश के अन्य हिस्से, तथा विदेशी दौरों पर, हर स्थान पर, हर क्षण, प्रधानमंत्री की अंगरक्षा एवं किसी भी प्रकार के हमले से उनकी सुरक्षा, SPG की ज़िम्मेदारी होती है. इसके अलावा SPG, प्रधानमंत्री आवास, प्रधानमंत्री कार्यालय तथा हर वह स्थान जहाँ प्रधानमंत्री रहते हैं, उनकी सुरक्षा करती है.
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SPG फोर्स कैसे काम करती है
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SPG के जवानों को विश्व स्थर की ट्रेनिंग से गुजरना पड़ता है. ये वही ट्रेनिंग है जो युनाइटेड स्टेट सीक्रेट सर्विस एजेंट्स को दी जाती है. 'इंटेलिजेंस ऐंड टूर्स' धमकी और खतरे को भांपता है, इंटरनल इंटेलिजेंस पर नजर रखता है और साथ में यात्राओं का जिम्मा संभालता है. SPG के जवान हाई ग्रेड बुलेटप्रूफ वेस्ट पहने होते हैं, जो लेवल-3 केवलर की होती है. इसका वजन 2.2 किग्रा होता है और यह 10 मीटर दूर से एके 47 से चलाई गई 7.62 कैलिबर की गोली को भी झेल सकती है.
SPG के जवानों के पास FNF-2000 असॉल्ट राइफल और ग्लॉक 17 पिस्टल होती हैं. ये जवान सुरक्षा तंत्र के जरिए कम्युनिकेशन डिवाइसेस से जुड़े होते हैं. हमले की सूरत में सेकंड कार्डन की जिम्मेदारी होती है कि वह पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर खड़े जवानों को सिक्यॉरिटी कवर दें ताकि प्रधानमंत्री को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके. क्या आप जानते है कि यह हमलावर फोर्स नहीं बल्कि रक्षात्मक फोर्स है. यह कमांडोज चश्मा भी पहनते हैं, जो उनकी आखों को हमले से बचाते हैं और किसी भी प्रकार का डिस्ट्रैक्शन नहीं होने देता हैं.
आपको बता दे की SPG के जवानों के साथ पीएम के काफिले में एक दर्जन गाड़ियां होती हैं, जिसमें बीएमडब्ल्यू 7 सीरीज की सिडान, 6 बीएमडब्ल्यू एक्स3 और एक मर्सिडीज बेंज होती है. इसके अलावा मर्सिडीज बेंज ऐंम्बुलेंस, टाटा सफारी जैमर भी इस काफिले में शामिल होते है.
SPG का गठन कैसे हुआ, इसके पीछे का इतिहास
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1981 से पहले, भारत के प्रधानमंत्री के आवास पर प्रधानमंत्री की सुरक्षा पुलिस उपायुक्त (DCP) के प्रभारी दिल्ली पुलिस के विशेष सुरक्षा जिले की जिम्मेदारी हुआ करती थी. अक्टूबर 1981 में, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) द्वारा, नई दिल्ली में और नई दिल्ली के बाहर प्रधानमंत्री को सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक विशेष टास्क फोर्स (STF) का गठन किया गया.
अक्टूबर 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद, समीक्षा सचिवों की एक समिति ने तय किया की प्रधानमंत्री को एक विशेष समूह के अधीन निर्दिष्ट अधिकारी, STF और प्रत्यक्ष नियंत्रण के तहत नई दिल्ली और बाहर दोनों जगह सौंप दिया जाए.
इस पर 18 फरवरी 1985 को, गृह मंत्रालय ने बीरबल नाथ समिति की स्थापना की और मार्च 1985 में, बीरबल नाथ समिति ने एक स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (SPU) के गठन के लिए सिफारिश को प्रस्तुत किया. 30 मार्च 1985, को भारत के राष्ट्रपति ने कैबिनेट सचिवालय के तहत इस यूनिट के लिए 819 पदों का निर्माण किया. SPU को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप का नाम दिया गया और पुलिस महानिरीक्षक के पद को निदेशक के रूप में पुनः नामित किया गया था.
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SPG, 8 अप्रैल,1985 को अस्तित्व में आया, जब इंटेलिजेंस ब्यूरो के तत्कालीन संयुक्त निदेशक (VIP Security) एस. सुब्रमण्यम ने पद को ग्रहण किया. स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप ने अप्रैल 1985 से 2 जून 1988 तक एक सुरक्षा समूह के तौर पर कार्यकारी आदेश की शक्ति के तौर पर तीन साल के लिए कानून के बिना काम किया था. ब्लू बुक में इसके प्रावधान निहित है, जिसमें प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश भी दिए गए है, की कैसे निकटतम सुरक्षा को इस नई अवधारणा के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से मिश्रित होना चाहिए.
मई 1991 में राजीव गांधी की हत्या के बाद, 1991 में SPG अधिनियम को पूर्व प्रधानमंत्री और उनके तत्काल परिवारों को 10 वर्ष की अवधि के लिए सुरक्षा प्रदान करने के लिए संशोधित किया गया था. अत: फिर से 2002 में, SPG अधिनियम में एक और संशोधन किया गया जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री को प्रदान की गई सुरक्षा की अवधि को कम करके एक वर्ष कर दिया गया था और यह प्रावधान है कि इस अवधि को खतरे के स्तर के आधार पर बढ़ाया जा सकता है. हालांकि, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके परिवार के मामले में एक अपवाद बनाया गया था, जिसमें प्रधानमंत्री के पैमाने पर लगातार एसपीजी संरक्षण दिया जा रहा हैं.
SPG का प्रमुख कौन होता है?
SPG का पद तीन साल के निश्चित कार्यकाल के लिए बनाया गया है. SPG फोर्स कैबिनेट सचिवालय के अन्तर्गत काम करता है और रक्षा सचिव इसका प्रमुख होता है.
इस लेख के माध्यम से यह ज्ञात होता हैं कि SPG क्या होती है, कैसे काम करती है, भारत में किनको यह सुरक्षा दी जाती हैं आदि.
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