चीन एक "अल्ट्रा-लार्ज" मेगाशिप विकसित क्यों कर रहा है?

Aug 25, 2021, 14:06 IST

चीन एक ऐसे अंतरिक्ष यान के निर्माण में दिलचस्पी रखता है जो मीलों लंबा हो. इसलिए चीन लंबी अवधि के मिशन के लिए मिलो लंबे अंतरिक्ष यान की जांच कर रहा है. आइये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं.

Why is China developing an “ultra-large” mega-ship?
Why is China developing an “ultra-large” mega-ship?

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, नेशनल फाउंडेशन फॉर नेचुरल साइंस ऑफ चाइना के प्रस्ताव में "अल्ट्रा-बड़े अंतरिक्ष यान जो मीलों तक फैला है" के निर्माण के यांत्रिकी के विश्लेषण की मांग करता है.

जैसे की हम जानते हैं कि मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशनों के लिए बड़े पैमाने पर इंजीनियरिंग परियोजनाओं की आवश्यकता होती है. 

उदाहरण के लिए, चीन में शोधकर्ता एक अंतरिक्ष यान को ऑर्बिट में असेंबल करने की संभावना का अध्ययन कर रहे हैं. यह परियोजना अंतरिक्ष अन्वेषण का विस्तार करने के लिए देश की महत्वाकांक्षाओं का हिस्सा है, जिसमें लंबी अवधि के समय पर चलने वाले मानव मिशन शामिल हैं.

दूसरे शब्दों में कहें तो चीन एक ऐसे अंतरिक्ष यान के निर्माण में रुचि रखता है जो मीलों लंबा हो.

चीन लंबी अवधि के मिशन के लिए मीलों लंबे अंतरिक्ष यान की तलाश क्यों कर रहा है? आइये जानते हैं.

एक रिपोर्ट के अनुसार यह विशेष प्रयास एक प्रमुख रणनीतिक अंतरिक्ष परियोजना का हिस्सा है, जो "अंतरिक्ष संसाधनों के भविष्य के उपयोग, ब्रह्मांड के रहस्यों की खोज और कक्षा में लंबे समय तक जीवित रहने" को सुनिश्चित करेगा. 

फाउंडेशन द्वारा साझा की गई परियोजना की रूपरेखा के अनुसार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के दायरे में एक एजेंसी द्वारा काम का प्रबंधन किया जा रहा है.

यह गणितीय और भौतिक विज्ञान विभाग द्वारा इस महीने की शुरुआत में जारी किए गए 10 अन्य प्रस्तावित शोध रूपरेखाओं में से एक है, जो 2.3 मिलियन डॉलर के बराबर अधिकतम बजट के साथ कुल पांच परियोजनाओं के वित्तपोषण की योजना बना रहा है.

रूपरेखा में क्या बताया गया है?

रूपरेखा में यह बताया गया है कि मॉड्यूलर अंतरिक्ष यान को कई लॉन्च की आवश्यकता होगी और अंतरिक्ष में असेंबली की भी आवश्यकता होगी, क्योंकि इसका वजन बहुत अधिक होगा और यह एक ही उड़ान में लॉन्च करने के लिए बहुत भारी होगा.

इस प्रकार, परियोजना में शामिल शोधकर्ताओं को एक कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा. उन्हें अंतरिक्ष यान के वजन को कम करने की आवश्यकता है ताकि इसके पार्ट्स को अंतरिक्ष में लाने के लिए आवश्यक कुल प्रक्षेपणों को कम किया जा सके और देश के बजट में फिट होने के लिए निर्माण लागत को भी सरल बनाया जा सके.

योजना के अनुसार असेंबली के दौरान उन्हें ड्रिफ्टिंग, हिलने या अन्यथा नियंत्रण से बाहर होने से रोकने के लिए संरचनाओं की नियंत्रण क्षमताओं में भी सुधार करने की भी ज़रूरत है.

ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि अंतरिक्ष के लिए चीन की महत्वाकांक्षाएं बढ़ रही हैं.

चीन ने पहले ही अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को दोगुना करना शुरू कर दिया है. वह मंगल पर सफलतापूर्वक रोवर उतारने वाला दूसरा देश बन गया. 

देश ने इस साल अप्रैल में अपने तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन (Tiangong space station) को असेंबल करना भी शुरू किया, जिसमें कई और मॉड्यूल अपने भारी लॉन्ग मार्च 5 रॉकेट (Long March 5 rocket) के माध्यम से कम पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किए जाने वाले थे.

पूरा होने के बाद, तियांगोंग स्टेशन अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के आकार का लगभग एक चौथाई होगा. लेकिन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन 16 देशों के गठबंधन द्वारा बनाया गया था, और यह लगभग 356 फीट लंबा और 246 फीट चौड़ा है. यह लगभग एक फुटबॉल मैदान जितना बड़ा है.

भविष्य को देखते हुए, चीन निस्संदेह अंतरिक्ष मिशनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसमें अगली पीढ़ी के लॉन्ग मार्च 9 कैरियर रॉकेट के लिए डिज़ाइन किया गया अल्ट्रा-हैवी रॉकेट इंजन 2030 में अपनी पहली उड़ान के लिए निर्धारित है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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