‘एशियन टाईगर्स’ शब्द का प्रयोग चार एशियाई देशों अर्थात् हांगकांग, दक्षिण कोरिया, ताइवान और सिंगापुर के लिए किया जाता है, जो अपने मुक्त बाजार और विकसित अर्थव्यवस्था के लिए जाने जाते हैं| इन चारों देशों को ‘एशियाई ड्रैगन’ के नाम से भी जाना जाता है| इन चारों एशियाई देशों को उनकी तेज आर्थिक प्रगति के लिए जाना जाता है क्योंकि इन्होने 1960 से 1980 के दौरान इन्होनें निर्यात आधारित आर्थिक नीतियों को अपनाकर अपनी अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की|
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‘एशियन टाईगर्स’ की सामान्य विशेषताएं:
- इन चारों देशों ने विकास की समान नीतियों का अनुसरण किया|
- आयात प्रतिस्थापन इनकी विकास प्रक्रिया का एक प्रमुख घटक/अंग था|
- इन सभी देशों पर चीन का प्रभाव था,जैसे-दक्षिण कोरिया की 65%,सिंगापुर की 75%,हांगकांग की 95% और ताइवान की 98% जनसंख्या चीन मूल के लोगों की है|
- इस सभी देशों की आर्थिक नीतियाँ निर्यात-आधारित थीं अर्थात् ये उच्च औद्योगीकृत देशों को निर्यात करते थे|
- ये सभी देश मोटरवाहन,इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में विश्व में महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरे|
- इन चारों देशों की आर्थिक सफलता में कन्फ्युसियसवाद की भी महत्वपूर्ण भूमिका थी क्योंकि कन्फ्युसियसवाद की संस्कृति स्थिरता,कठिन परिश्रम,निष्ठा और कर्तव्य पालन पर जोर देने के कारण औद्योगिकीकरण में सहायक साबित हुई है|
तीव्र आर्थिक विकास में सहायक उद्योग:
- पेट्रोरसायन उद्योग
- मोटर वाहन उद्योग
- उपभोक्ता वस्तुएं
- इस्पात उद्योग
- ऊर्जा उत्पादन
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