Carbon Footprint Calculator: ग्रीन टेक स्टार्टअप फर्म Myplan8 ने हाल ही में, लोगों को उनके कार्बन फुटप्रिंट (carbon footprint) के बारे में संवेदनशील (सेंसिटाइज) बनाने और कार्बन इमिशन को कम करने में मदद के लिए एक ऐप लांच किया है.
'Myplan8' के अनुसार, यह ऐप लोगों के प्रतिदिन की एक्टिविटी के कारण उत्पन्न होने वाले कार्बन फुटप्रिंट को ट्रैक करने में मदद करेगा. इसकी मदद से कोई भी व्यक्ति अपने से सम्बंधित कार्बन फुटप्रिंट रिकॉर्ड की जानकारी रख सकेगा.
इस अवसर पर 'Myplan8' की को-फाउंडर निधि मेहरा ने कहा कि हर देश कार्बन फुटप्रिंट में कमी पर जोर देता है. हमारा लक्ष्य Myplan8 में 100 मिलियन लोगों को रजिस्टर करना है और 2030 तक लगभग 1 गीगा टन कार्बन इमिशन को ख़त्म करना है.
With the rise in #climate emergencies we need #awareness & #climateacton.
— Myplan8 (@myplan8_earth) December 27, 2022
At @myplan8_earth we are trying to bring this to individuals. You can understand the #science behind the #climatechange & your impact on the planet which will help you in neutralization.#ClimateEmergency pic.twitter.com/echM7gBKG6
Myplan8 ऐप के बारें में:
इस ऐप की मदद से कोइ भी व्यक्ति कुछ सवालों के माध्यम से कार्बन फुटप्रिंट इमिशन के बारें में जानकारी प्राप्त कर सकता है. यह अपने में एक तरह की अनोखी पहल है.
इस कार्बन कैलकुलेटर को तैयार करने के लिए सबसे प्रतिष्ठित फ्रेमवर्क में से एक का उपयोग किया है. जो जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के कार्बन मानकों पर आधारित है.
कार्बन फुटप्रिंट (CO2 emission) क्या है?
कार्बन फुटप्रिंट" किसी व्यक्ति या आर्गेनाइजेशन (जैसे, भवन, निगम, देश,आदि) द्वारा उत्पादित कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन की कुल मात्रा को संदर्भित करता है.
इसमें जीवाश्म ईंधन, हीटिंग, ट्रांसपोर्टेशन और इलेक्ट्रिक कंज्यूमर गुड्स इमिशन शामिल हैं. "कार्बन फुटप्रिंट" प्रदूषकों में मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड और क्लोरोफ्लोरोकार्बन (CFC) शामिल हैं. इसे प्रतिवर्ष उत्सर्जित CO2 (टन में) के रूप में मापा जाता है.
1990 तक, 22 बिलियन मीट्रिक टन कार्बन का उत्पादन किया गया, जो 1970 की तुलना में चार गुना अधिक था. हम सालाना 34 बिलियन टन से अधिक प्रदूषण पैदा करते हैं, जो एक तेज वृद्धि है. वर्ष 2017 में पुर्तगाल, फ्रांस और यूके ने प्रति व्यक्ति 5.3, 5.5 और 5.8 टन उत्सर्जन किया.
कार्बन फुटप्रिंट का प्रभाव:
कार्बन फुटप्रिंट को क्लाइमेट चेंज के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार माना जाता है. प्राकृतिक या मानव निर्मित ग्रीनहाउस गैसें अर्थ के तापमान को और बढ़ा देती है.
18वीं शताब्दी के मध्य से लेकर आज तक, वैश्विक उत्सर्जन में लगातार वृद्धि देखी गई है. केवल एक तिहाई उत्सर्जन संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोप से आता है. जो क्लाइमेट चेंज को लगातार प्रभावित करते है जिससे विभिन्न प्रकार की आपदाएं आती रहती है.
हाल का ही एक उदहारण ले तो इस समय यूएसए और कनाडा बॉम्ब साइक्लोन (Bomb Cyclone) की चपेट में है. जिससे पूरा क्षेत्र कोल्ड वेव से प्रभावित हुआ है जिसमें कई लोगों की जान जा चुकी है. कहीं न कहीं परोक्ष रूप से क्लाइमेट चेंज इसके लिए जिम्मेदार है.
कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के उपाय:
कार्बन फुटप्रिंट को कम करने के लिए पुन:उपयोग (Reuse) तथा पुनर्चक्रण (Recycle) आदि अवधारणा को अपनाकर हम कार्बन फुटप्रिंट को कम करने में मदद कर सकते है.
साथ ही सार्वजनिक परिवहन का उपयोग अपनी आदत में शामिल करके हम इसमें सहयोग कर सकते है.
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) और नेशनल वेटलैंड कंजर्वेशन प्रोग्राम जैसे पहल से भारत भी कार्बन फुटप्रिंट को कम करने का प्रयास कर रहा है.
ग्रीन पहल को बढ़ावा देकर हम कार्बन फुटप्रिंट को कम किया जा सकता है. साथ ही स्पष्ट रूप से, नीति और तकनीकी निर्णयों से भी फर्क पड़ता है. Myplan8 जैसे प्रयास भी इसको कम करने में मदद कर सकते है.
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