टेक्नोलॉजी के इस मॉडर्न युग में रोटी, कपड़ा और मकान के अलावा आज हर इन्सान के लिए एक और बुनियादी ज़रूरत जो सामने आ रही है वो है ‘इन्टरनेट’l न केवल बड़ों के लिए बल्कि बच्चों के लिए भी इसके बिना एक दिन भी गुज़ारना जैसे किसी भयंकर सपने से कम नहीं है l बेशक इन्टरनेट पे बहुत सी उपयोगी सामग्री मौजूद है जिसे बड़े अपने काम-काज या बिज़नेस के लिए और बच्चे अपनी पढ़ाई और किसी भी तरह के स्कूल प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन इन सब के अलावा टेक्नोलॉजी के इस वरदान को कुछ लोगों ने ग़लत तरह का कन्टेन्ट डाल कर दूषित कर दिया है जिसका उपयोग करने से इन्सान की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता हैl ऊपर से बच्चे या किशोर तो गलत चीज़ों के प्रति बहुत जल्दी आकर्षित भी हो जाते हैं और ग़लत गतिविधियों में शामिल हो जाते हैं। इन ग़लत गतिविधियों में बात चाहे सोशिअल मीडिया के बढ़ते चलन की हो, ब्लू व्हेल जैसी गेमिंग ऐप्स के द्वारा बढ़ते साइबर क्राइम की हो या अभदर कन्टेन्ट दिखने वाली साइट्स की हो, ये सभी बच्चों को शिष्टाचार से दूर ले जाते हुए उनपे गहरा मानसिक प्रभाव डाल रहे हैं जिनकी चर्चा आज हम यहाँ इस लेख में करेंगेl
आइए जानते हैं इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल से बच्चों पे पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में जो उनको जीवन के असली लक्ष्य से कर रहे हैं दूर:
1. इन्टरनेट एडिक्शन है सबसे बड़ा ख़तरा
इन्टरनेट एडिक्शन यानि इन्टरनेट की लत किसी नशे की लत से किसी भी प्रकार से कम नहीं हैl जैसे किसी नशे की लत लगने से इन्सान अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है ठीक वैसे ही इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल से इन्सान अपने आस पास घाट रही घटनाओं से अचेत रहते हुए अपनी ही दुनिया में व्यस्त रहता है जिसका सीधे असर उसकी मानसिक स्थिति पर तो पड़ता ही है साथ ही निजी जीवन में भी रिश्ते कमज़ोर होने लगते हैंl
अक्सर हम बच्चों को घंटों फ़ोन में ऑंखें गड़ाए गेम्स खेलते या सोशिअल वेबसाइट्स का इस्तेमाल करते देखते हैं और ऐसे बच्चों से यदि कुछ समय के लिए फ़ोन ले लिया जाए तो उनमें गुस्से और चिड़चिड़ापन आम देखा जा सकता है इन्टरनेट की लत के चलते उनमें आने वाले मानसिक बदलाव की निशानी माना जा सकता हैl
2. विद्यार्थियों और किशोरों में डिप्रेशन का मुख्य कारन है इन्टरनेट
हाल ही में शोधकर्ताओं के इन्टरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल पे किये गए अध्ययन से ये बात सामने आई है की इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग करने वाले लोगों के डिप्रेशन (अवसाद) की चपेट में जाने का खतरा सबसे ज़्यादा होता है। खासकर विद्यार्थियों और किशोरों में यह स्थिति बहुत खतरनाक पाई गई है। ऐसे लोगों में बेचैनी की समस्या भी देखी गई है। विशेषज्ञों ने बताया कि इंटरनेट की लत के शिकार लोग मानसिक रूप से इतने विचलित हो जाते हैं कि उन्हें अपने दैनिक कार्यों से निपटने में ज़्यादा परेशानियों का सामना करना प़डता है जिससे वे किसी भी कार्य सफलतापूर्वक निपटने में असमर्थ रहते हैं जो उनकी बेचैनी या परेशानी का कारन बनता है और यहीं से डिप्रेशन का ख़तरा पैदा होना शुरू हो जाता है।
इसके अलावा सोशिअल मीडिया के द्वरा बनते बिगड़ते रिश्ते भी डिप्रेशन पैदा करने का एक मुख्य कारन है।
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3. इन्टरनेट की लत बनाये आपको अनिद्रा का शिकार
Insomnia यानि अनिद्रा की बीमारी जो अकसर उन लोगों में पाई जाती है जो या तो किसी गंभीर चिंता का शिकार हैं या जिन लोगों को आराम करने के लिए उपयुक्त समय नहीं मिल पाता। लेकिन आज सबसे शक्तिशालीग्लोबल ग्लोबल सिस्टम माना जाने वाला इन्टरनेट लोगों में अनिद्रा की बीमारी को फैला रहा है। इन्टरनेट एडिक्डिशन के चलते बच्चे हों या बड़े सभी रात के दौरान मिलने वाले ख़ाली समय को इन्टरनेट ब्राउज़िंग के लिए इस्तेमाल करना पसंद करते हैं जिससे वे कम समय के लिए ही नींद ले पाते। हर रोज़ देर रात तक दोस्तों से चैट करने और फेसबुक-ट्विटर जैसी सोशिअल मीडिया साइट्स में व्यस्त रहने से आपको वैसी ही आदत पड़ जाएगी जिससे आप सोना चाहो भी तो आपको नींद नहीं आएगी और यहीं से शुरुवात होगी ‘Insomnia’ की।
4. मानसिक विकास के साथ साथ शारीरिक विकास को रोकता है इन्टरनेट एडिक्शन
हम सभी जानते हैं कि विद्यार्थी जीवन में स्कूली शिक्षा के साथ साथ अन्य खेल कूद की गतिविधियाँ भी उतनी ही ज़रूरी हैं। सम्पूर्ण शिक्षा का मतलब ही होता है विद्यार्थी का मानसिक व शारीरिक विकास। इसलिए तो स्कूल के दौरान बच्चों को एक या दो बार ब्रेक दिया जाता है और एक स्पोर्ट्स पीरियड भी रखा जाता है जिसमें बच्चे खेल-कूद कर अपने शरीर व मस्पेशियों को रिलैक्स कर सकें। लेकिन इन्टरनेट एडिक्शन ने मानो बच्चों को खेल-कूद के मतलब से दूर कर दिया हो। बीते समय में जहाँ बच्चे अपने फ्री टाइम में बाहर जाकर दोस्तों के साथ दौड़-भाग कर तरह तरह की खेलें खेलना पसंद करते थे वहीँ आज बच्चे अपने कंप्यूटर या स्मार्ट फ़ोन से चिपके बैठे रहते हैं। इससे उनके शारीरिक विकास पर बेहद बुरा प्रभाव पड़ता है।
5. इन्टरनेट एडिक्शन विद्यार्थियों से करवाता है समय का दुरुपयोग
अगर इन्टरनेट के नेगेटिव इफेक्ट्स की बात करें तो समाय की बर्बादी इसमें सबसे महतवपूर्ण तथ्य माना जा सकता है। जाहिर है कि यदि आप अपना अधिक्तर समय इन्टरनेट के इस्तेमाल में गँवा देते हो तो आपके पास दिन के अन्य महतवपूर्ण कार्य करने के लिए पर्याप्त समय नहीं बचता। विद्यार्थियों की पढ़ाई पे इसका क्या प्रभाव पड़ता होगा शायद यहाँ व्याख्या करने की ज़रूरत नहीं है। जहाँ इन्टरनेट का असली मकसद विद्यार्थियों को पढ़ाई के लिए उचित व बेहतर सामग्री उपलब्ध करवाना था वहीँ इसके सदुपयोग से विद्यार्थियों में योग्यता व असमर्थता फ़ैल रही है।
निष्कर्ष
बेशक हर विद्यार्थी इस लेख में इन्टरनेट एडिक्शन से जुड़े सभी नेगेटिव इफेक्ट्स के बारे मैं सचेत होगा लेकिन फिर भी इन बातों को दोहराने का हमारा मकसद सिर्फ़ एक था और वोह है हमारे किशोरों के भटकते हुए क़दमों को सही दिशा दिखाना जिससे हमारे देश का भविष्य खुद को किसी भी प्रकार की बुराई से दूर करते हुए अपने अकादमिक करियर में बेहतरीन सफलता पा सके और भविष्य में एक सफ़ल नागरिक बने।
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