एक ईमान्दार IAS अधिकारी के कार्य करने की शैली दूसरे IAS अधिकारी एवं संभावित IAS अधिकारियों के लिए प्रेरणाश्रोत होता है। हालांकि एक ईमान्दार IAS अधिकारी को अपने कर्तव्य का सही से निर्वहन करने के दौरान काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। ठीक वैसे हीं एक ईमान्दार एवं कर्मठ IAS अधिकारी थे IAS अनुराग तिवारी जिनकी मौत हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुई है लेकिन अनुराग तिवारी ने अपने कार्य करने की शैली से पूरे देश को गौरवांवित किया है।
कर्नाटक केडर के IAS अधिकारी अनुराग तिवारी 17 मई की सुबह लखनऊ में उत्तर प्रदेश विधानसभा के समीप हजरतगंज इलाके में मीरा बाई वीआईपी गेस्ट हाउस के बाहर संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाये गये थे।
उनकी मृत्यु की खबर राज्य नौकरशाही में तथा परिचित लोगों के लिए एक एक गहरा घात पहुंचा है। तिवारी के परिजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की है और 22 मई को हजरतगंज पुलिस थाने में हत्या की प्राथमिकी दर्ज भी करायी है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले की सीबीआई जांच करने की सिफारिश की है।
हांलांकि पोस्टईमार्टम रिपोर्ट की पहली जानकारी के IAS अनुराग तिवारी की मौत दम घुटने से हुई है।
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शैक्षिक एवं सामाजिक पृष्ठभूमि
तिवारी ने इलेक्ट्रीकल इंजिनियरिंग की पढ़ाई लखनऊ विश्वविद्यालय की थी। उन्होंने UPSC CSE Exam 2006 में पास किया और 2007 के आईएएस अधिकारियों में से एक थे जो कि हाल ही में मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन में मध्य-कैरियर प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लेने के बाद अपने बैचमेट के साथ सरकारी गेस्टहाउस मंज रह रहे थे। 36 वर्षीय तिवारी मूल रूप से यूपी के बहराइच जिले के रहने वाले थे और वह बेंगलुरु में फूड ऐंड सिविल सप्लाइज कमिश्नर के पद पर कार्यरत थे। उन्होंने मधुगिरि के सहायक आयुक्त, कोडागु के उपायुक्त और बेंगलुरु में उप सचिव (वित्त) के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे।
चयन के एक साल बाद तिवारी का विवाह हुआ था लेकिन पत्नी के साथ तनावपूर्ण संबंध के कारण कानूनी रूप से अपनी पत्नी से अलग हो गए।
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‘जलपुरुष’ की उपाधि से प्रसिद्धि मिली
2016 में कर्नाटक के बिदार ज़िले में कई दशकों बाद भयंकर सूखा पड़ा था और इस वर्ष को लोग चाह कर भी भुला नहीं सकते क्योंकि अनुराग तिवारी की भरपूर कोशिशों का ही नतीज़ा था कि बिदार के लोगों ने केवल 18 महीनों में सूखे से निपटने का विकल्प ढूँढ लिया था। अनुराग ने 80 फीट गहरे कुएं से कूड़ा निकलवाकर इसकी सफाई करवाई और आज इस 500 साल पुराने कुँए का पानी पीने योग्य है तथा इसके पानी का उपयोग घर के बाकी कामों के लिए भी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह कहा जाता है कि अनुराग तिवारी ने न केवल 110 से ज्यादा खुले कुओं की सफाई कराई बल्कि सदियों पुराने भूमिगत जलसेतु बावी सुरंग के पुनरुत्थानों के लिए भी काम किया तथा 130 से ज्यादा टैंकों की सफाई भी कराई जिससे जिले के लोगों को पानी की कमी की समस्या से जूझना न पड़े। बिदार जिले के लिए यह काम एक नए जीवन की तरह था। अगले साल वहां 40 प्रतिशत बारिश अधिक हुई और वो सारे टैंक एवं कुएं जिसे हाल हीं मे साफ किया गया था पानी से भर गए और इस तरह पानी की गंभीर समस्या पर क़ाबु पा लिया गया। अनुराग की इस बड़ी उपलब्धि की वजह से लोग इन्हें ‘जलपुरुष’ के नाम से जानते हैं तथा दिल से सम्मान भी करते हैं।
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ज़िले में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कर्नाटक कैडर के अधिकारी अनुराग ने हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र में एक टूरिस्ट सर्किट बनवाया और बिदार किले में घूमने आने वाले पर्यटकों के लिए ऑडियो विजुअल गाइड्स की व्यवस्था भी की। ज़िले के स्थानीय निकायों और मजिस्ट्रेट कोर्ट को पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत करने का श्रेय भी अनुराग तिवारी को ही जाता है। आज भले ही कर्नाटक कैडर के आईएएस अधिकारी लोगों के बीच नहीं हैं लेकिन कर्नाटक के लोग आज भी 'जलपुरुष' के नाम से प्रसिद्ध इस अधिकारी का दिल से सम्मान करते हैं।
अनुराग तिवारी की इमान्दारी का चर्चा पूरे कर्नाटक राज्य में है और उनकी गिनती होशियार नौकरशाह के रूप में होती थी। इंडिया टुडे से बातचीत के दौरान तिवारी के आधिकारिक चालक के रूप में सेवा करने वाले संतोष मंगांडा कहते हैं, "अनुराग तिवारी जी अपने काम में डूबे रहते थे और कभी बॉस या आईएएस अधिकारी की तरह व्यवहार नहीं करते थे। वह देर रात तक कार्यालय में काम करते थे और वे अपनी ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। यह विश्वास करना मुश्किल है कि एक युवा और निडर अधिकारी इस तरह से मर सकता है। उचित जांच केवल इस तथ्य को प्रकट कर सकती है।"
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