अगर लेना है दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग में प्रवेश तो ज़रूर जानें ये बातें

इस लेख में, हम डीयू स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में चर्चा करेंगे अर्थात जो छात्र डिस्टेंस लर्निंग में उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं वे इन कारकों पर विचार कर अपना करियर चुनाव कर सकते हैं.

Mar 16, 2018, 18:43 IST
Things to Know before DU SOL Admissions
Things to Know before DU SOL Admissions

SOL स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू SOL)को दर्शाती है. SOL के तहत, छात्रों को DU के नियमित छात्रों जैसी कक्षाओं में भाग लेने की आवश्यकता नहीं पड़ती है. SOL छात्र अपने आवंटित अध्ययन केन्द्रों पर केवल सप्ताहांत (weekend) पर क्लासेज ले सकते हैं. DU SOL उन छात्रों के लिए एक अच्छा विकल्प है जो किसी कारण वश डीयू या किसी अन्य नियमित कॉलेज या विश्वविद्यालय के नियमित डिग्री में प्रवेश नहीं ले सके.

इस लेख में, हम डीयू स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के फायदे और नुकसान दोनों के बारे में चर्चा करेंगे अर्थात जो छात्र डिस्टेंस लर्निंग में उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं वे इन कारकों पर विचार कर अपना करियर चुनाव कर सकते हैं.

तो आइये पहले जानते हैं कि ओपन लर्निंग स्कूल (डीयू SOL) के फायदे क्या हैं:

1. अतिरिक्त समय का सही उपयोग: जहां नियमित डिग्री के छात्र रेगुलर क्लास, एग्जाम, प्रोजेक्ट्स में व्यस्त रहते हैं वहीँ SOL छात्र productive चीजों में शामिल होने के लिए अपना समय उपयोग कर सकते हैं जैसे सीए(CA), सीएस(CS) जैसे पेशेवर पाठ्यक्रमों में प्रवेश करना, एसएससी(SSC), डिफेन्स, बैंकिंग जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी आदि. आम तौर पर, सरकारी नौकरियों की तैयारी में लगे  उम्मीदवार डिस्टेंस मोड में डिग्री हासिल करना ज्यादा तर पसंद करते हैं ताकि वह अपना बाकि का समय अपनी तैयारी पर दे सकें.

2. स्व-मूल्यांकन(Self Appraisal): डिस्टेंस मोड में स्नातक की डिग्री कर रहे छात्रों को परीक्षाओं और असाइनमेंट के लिए खुद ही अपनी तैयारी पर ध्यान देना पड़ता है. वे अध्ययन केंद्रों (study centres) पर शिक्षकों से मार्गदर्शन तो ले सकते हैं लेकिन उनके पाठ्यक्रमों और परीक्षाओं को कवर करने के लिए स्वयं पर निर्भर होना बेहद ज़रूरी होता है जिस कारण वह नियमित छात्र की तरह किसी पर निर्भर नहीं होते अर्थात इससे उनके ज्ञान और शैक्षणिक कौशल में ही बढ़ोतरी होती है.

3. स्किल्स डेवलपमेंट पर फोकस: अतिरिक्त कौशल(additional skills) विकसित करने के लिए छात्र व्यावसायिक पाठ्यक्रमों या भाषा पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकते हैं. ये अतिरिक्त कौशल रोजगार के अवसरों और भविष्य में एक सफल कैरियर को बढ़ावा देगा.

4. attendence को लेकर कोई चिंता नहीं: जहाँ नियमित डिग्री के छात्रों को 75% उपस्थिति मानदंड पूरा करना आवश्यक होता है वहीँ SOL छात्रों के लिए attendence के ऐसे किसी मानदंड को पूरा करना ज़रूरी नहीं होता है. SOL छात्रों को किसी भी प्रकार की रेगुलर क्लास जाना आवश्यकता नहीं होता है तथा उनकी उपस्तिथि सप्ताहांत कक्षाओं में भी आवश्यक नहीं.

5. कोई द्वि-वार्षिक (bi-annual) परीक्षा नहीं: नियमित छात्रों की तरह DU SOL छात्रों को परीक्षाओं के लिए प्रत्येक सेमेस्टर में उपस्थित नहीं होना पड़ता है क्योंकि SOL की वार्षिक परीक्षा प्रक्रिया होती है.

 

6. डिग्री मान्यता नियमित पाठ्यक्रम के बराबर: इन दिनों, किसी भी इंटरव्यू के दौरान नियोक्ता यह नहीं देखते हैं कि छात्र नियमित डिग्री से पास है या डिस्टेंस लर्निंग से छात्र ने अपनी पढ़ाई पूरी की है. इंटरव्यू के दौरान छात्र के शैक्षिक रिकॉर्ड, योग्यता तथा उनके स्किल्स के बलबूते पर न्युक्ति होती है.

7. कक्षा 12 में कम प्रतिशत होने पर भी समय की बचत: दिल्ली विश्वविद्यालय में नियमित डिग्री कोर्स में दाखिला लेने के लिए, छात्रों को कटऑफ के सभी मानदंडों को पूरा करना पड़ता है और आवेदकों की बड़ी संख्या के कारण, हर साल कट ऑफ वास्तव में उच्च स्तर पर जाता है ऐसे में छात्रों को अपना साल बर्बाद भी करना पड़ जाता है लेकिन SOL में इस तरह की किसी परेशानी का सामना छात्रों को नहीं करना पड़ता है. वह बड़े आसानी से SOL में दाखिला ले आगे की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं.

स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग के नुकसान:

1. कोई नियमित कॉलेज लाइफ नहीं: डिस्टेंस डिग्री में डिग्री हासिल करने वाले छात्रों को नियमित कॉलेज जीवन का आनंद लेने का मौका नहीं मिलता है. वे कॉलेज के इवेंट्स, वार्षिक उत्सव या नियमित डिग्री छात्रों की तरह कॉलेज में होने वाले अन्य गतिविधियों में भाग लेने में सक्षम नहीं हो पाते हैं.

2. कोई सलाहकार नहीं: SOL छात्रों को नियमित छात्रों की तुलना में कॉलेज संकाय सदस्यों से मदद नहीं मिल पाती है अर्थात उन्हें अपने acadmics से जुड़े सभी चीजों के लिए खुद पर ही निर्भर रहना पड़ता है.

3. कैरियर मार्ग का आभाव: नियमित छात्र कॉलेज में पारस्परिक कौशल (interpersonal skills) आसानी से  विकसित कर सकते हैं क्योंकि वे सहपाठियों, संकाय और कोल्लेगे में होने वाले अन्य गतिविधियों में भाग लेते रहते हैं. जबकि SOL के छात्र इस प्रकार की उपलब्धियों से वंचित रहते हैं.

4. बेरोजगारी की संभावना: जहां नियमित डिग्री के छात्रों को असीमित अवसर मिलते हैं वहीँ डिस्टेंस लर्निंग के छात्रों ने यदि उच्च शिक्षा को प्राप्त कर ली है लेकिन उन्हें कोई व्यावसायिक कौशल की कोई जानकारी नहीं है तो उनके रोजगार की संभावनाएं काफी सीमित हो जाती है.

निष्कर्ष:जो छात्र DU SOL से हायर एजुकेशन प्राप्त करना चाहते हैं, उन्हें कॉलेज में एडमिशन लेने से पहले उपर्युक्त कारकों पर विचार करना ज़रूर चाहिए तथा इन कारकों को ध्यान में रखते हुवे अपने सुविधा के अनुसार आगे बढ़ना चाहिए.

पढ़ाई में कैसे नहीं लगेगा मन, अपनाएं ये 5 तरीके

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर सरकारी नौकरी, रिजल्ट, स्कूल, सीबीएसई और अन्य राज्य परीक्षा बोर्ड के सभी लेटेस्ट जानकारियों के लिए ऐप डाउनलोड करें।

    Trending

    Latest Education News