क्रिएटिविटी का खेल

Jan 20, 2010, 04:12 IST

विदेश के साथ-साथ अब भारत में भी ग्राफिक नॉवेल्स की मांग तेजी से बढ़ रही है। मौलिक सोच रखने वाले युवा विजुअॅल आर्ट का कोर्स करके इस क्षेत्र के जरिए खुद को बुलंदियों पर पहुंचा सकते हैं..

इन दिनों पूरी दुनिया में नई सोच की होड लगी है। जिसके पास ऐसी प्रतिभा है, उसकी तरक्की की कोई सीमा नहीं होती। विजुअॅल आर्ट भी एक ऐसा ही क्षेत्र है। अगर आप अपनी आर्टिस्टिक इंस्टिंक्ट को तरजीह देते हैं, तो विजुअॅल आर्ट आपके लिए बेहतर करियर ऑप्शन बन सकता है। इन दिनों सभी जगह ग्राफिक नॉवेल्स हॉटेस्ट लिटरेरी एसेसरी बन चुके हैं। विदेश में यह पूरी तरह स्थापित है, लेकिन भारत में अभी यह नया है। भारत के पहले ग्राफिक नॉवेल के रूप में प्रचारित सारनाथ बनर्जी कॉरिडर 2004 में प्रकाशित हुआ था। तब से आज तक इस जोनर के प्रति भारतीय पाठकों में उत्सुकता बनी हुई है। हार्डी ब्वॉयज और नैन्सी ड्यू जैसे लोकप्रिय टाइटलों के कॉमिक वर्जन की धुआंधार मार्केटिंग इसके मार्केट बढने की संभावना प्रदर्शित कर रही है।

आवश्यक स्किल

पब्लिशिंग कंपनी मैनिक मॉन्गोल के एडिटर अनिंद्य राय कहते हैं, यह एक कला है, इसलिए कोई इंस्टीट्यूशन इसे जबरदस्ती आपको नहीं सिखा सकता। उन्होंने बताया कि हाल ही में वह एक डिजाइन स्कूल गए थे, जहां के स्टूडेंट्स में ब्रिलिएंट ड्रॉइंग स्किल तो थी, लेकिन जब उन्होंने उनसे स्टोरी सुनाने को कहा, तो वे कहानी को दो मिनट से ज्यादा नहींजारी रख सके। अनिंद्य राय अपनी पहले कॉमिक बुक प्रोजेक्ट पर भी काम कर रहे हैं। इस क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक सभी लोगों के लिए उनका सुझाव है कि अपने इलस्ट्रेशन स्किल्स को परफेक्शन लेवल पर ले आएं और जितना संभव हो सके, लगातार पढें।

कहां है रोजगार

इस क्षेत्र में ज्यादा ज्ञान हासिल करने के लिए आप आर्ट इंस्टीट्यूट्स या कल्चरल सेंटरों द्वारा आयोजित वर्कशॉप्स भी अटेंड कर सकते हैं, लेकिन यह याद रखें कि पैसा कमाने के इरादे से कभी इस क्षेत्र में मत आएं, क्योंकि इसमें पैसा देर से आता है।

अगर आपका रुझान कॉमर्शियल वर्क की ओर है, तो आप एडवरटाइजिंग कंपनी या डिजाइन हाउस ज्वाइन कर सकते हैं। इनके यहां हमेशा इलस्ट्रेटर्स की मांग बनी रहती है। इलस्ट्रेटर और ग्राफिक नॉवेलिस्ट जॉर्ज मैथन कहते हैं, एक कैची लोगो, एक पिक्चर और एक पंच लाइन की चाहत हर एडवरटाइजर को होती है। मैथन कहते हैं, आजकल टॉप ब्रांड्स हर बार एक ही कंपनी को एप्रोच करते हैं। ऐसे में आइडिया रिपीट होने का अंदेशा हो सकता है। इसलिए इलस्ट्रेटर का काम यह भी है कि वह सुनिश्चित करे कि ब्रांड को यूनीक आइडिया ही मिल रहा है या नहीं।

मीडिया इंडस्ट्री में स्टोरी के लिए इलस्ट्रेट कर सकते हैं या कार्टूनिस्ट के रूप में काम कर सकते हैं। किसी अखबार या पत्रिका में कार्टूनिस्ट के लिए मूलभूत स्किल्स के साथ-साथ करेंट अफेयर्स और राजनीतिक परिदृश्य और घटनाओं में भी दिलचस्पी होनी चाहिए।

सैलॅरी

जरूरी कोर्स करके इस सेक्टर में आने वालों की शुरुआती सैलॅरी 8 हजार से 10 हजार रुपये प्रतिमाह हो सकती है। अगर आप फुल पेज इलस्ट्रेशन फ्रीलांस करते हैं, तो छह हजार से दस हजार रुपये पा सकते हैं। लेकिन काम पाने से पहले खुद को स्टैबलिश करना चाहिए। कॉलेज ऑफ आ‌र्ट्स या जामिया मिलिया इस्लामिया से अगर आप फाइन आ‌र्ट्स की डिग्री ले लेते हैं, तो इससे आप अपनी स्किल्स को डेवलप कर सकते हैं। यह ट्रेनिंग आपको जॉब हासिल करने में भी मददगार होगी।

मौलिक सोच जरूरी

दिल्ली की एक मैगजीन से जुडे एक इलस्ट्रेटर कहते हैं, मैं इस क्षेत्र में बेसिक टैलेंट लेकर ही आया था। धीरे-धीरे मैंने अपनी स्टाइल विकसित कर ली। मैथन के अनुसार, ट्रेनिंग का अभाव उनके लिए फायदेमंद साबित हुआ। वह कहते हैं, लोग कहते हैं कि मैं मौलिक इसलिए सोच सकता हूं, क्योंकि मेरा दिमाग पुराने आइडियाज में नहीं भटकता है।

मुख्य रूप से एक इलस्ट्रेटर अपने टैलेंट को दिखाने के लिए कोई भी बेस इस्तेमाल कर सकता है। इन दिनों पब या कैफे में म्यूरल पेंटिंग बनाने के और टैटू डिजाइन करने के अच्छे पैसे मिल जाते हैं। अगर आप अपनी क्रिएटिविटी का खुला इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो किसी मैगजीन या डिजाइन हाउस चुनने के बजाय फ्रीलांस काम करना ज्यादा बेहतर रहेगा। कई टॉप इलस्ट्रेटर ऑफिस के बाद फ्रीलांस करते हैं।

इंस्टीट्यूट्स

कॉलेज ऑफ आ‌र्ट्स, दिल्ली विश्वविद्यालय

www.sol.du.ac.in

जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली

www.jmi.nic.in

इंडिया टुडे ग्रुप

जरूरी नहीं है ट्रेनिंग

मैंने फाइन आ‌र्ट्स में कोई फार्मल ट्रेनिंग नहीं ली है। सेंट जेवियर कॉलेज मुंबई से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया है। यही वह जगह है, जहां मैंने अपनी स्टाइल के साथ एक्सपेरिमेंट्स करना शुरू किया। पब्स के लिए पेंटिंग म्यूरल्स से लेकर टैटू आर्टिस्ट तक मैंने सब कुछ किया। मुझे मुश्किल से ही पैसे मिल पाते थे और काम के लिए चक्कर भी लगाने पडते थे, लेकिन शुरुआती पैसे मायने नहीं रखते। मायने रखता है उस प्लेटफॉर्म का मिलना, जहां से आप ज्यादा से ज्यादा लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकें।

बाद में मैंने एक डिजाइन हाउस में काम किया, जहां मुझे अच्छा पैसा मिला, लेकिन वहां भी मुझे क्रिएटिव सटिस्फैक्शन नहीं मिला। मैंने महसूस किया कि मुझे फ्रीलांसिंग ज्यादा सूट करती है। हालांकि फ्रीलांसिंग नियमित नहीं होती। मैंने अपने प्रोजेक्ट्स पर टाइम देना शुरू किया। मेरा पहला ग्राफिक नॉवेल मूनवार्ड इस साल प्रकाशित हुआ है और मैं अपने दूसरे प्रोजेक्ट पर पहले से ही काम कर रहा हूं। बाकी समय में मैं म्यूरल्स और मैगजीन्स के लिए कॉमिक स्ट्रिप्स बना रहा हूं। इलस्ट्रेटर के रूप में सर्वाइव करना आसान है, लेकिन मैं क्या करना चाहता था-पैसे बनाना या ऐसा आर्टिस्टिक वर्क करना, जिन पर मैं गर्व कर सकूं। मैंने दूसरा रास्ता चुना, क्योंकि मैं खुद को एक्सप्रेस करना चाहता था।

जॉर्ज मैथन

(इलस्ट्रेटर और ग्राफिक नॉवेलिस्ट)

Jagran Josh
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Education Desk

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