इंजीनियरों की मांग हमेशा से रही है। यही कारण है कि साइंस स्टूडेंट्स के लिए यह क्षेत्र आकर्षण का केंद्र रहा है। आकर्षक सैलरी और बेहतर सुविधाएं मिलने के कारण पहले युवा प्राइवेट सेक्टर को ही वरीयता देते थे, लेकिन मंदी और छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद से सरकारी नौकरी युवाओं के लिए हॉट हो गए हैं। एसएससी ने हाल ही में जूनियर इंजीनियर बनने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए वैकेंसी निकाली है। यदि सिविल इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रिकल अथवा मैकेनिकल से संबंधित डिप्लोमा है, तो आपके लिए बेहतर अवसर है।
क्वालीफिकेशन
इस परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए जरूरी है कि अभ्यर्थी सरकारी मान्यता प्राप्त संस्थान या इंस्टीट्यूट से सिविल, इलेक्ट्रिकल या मेकेनिकल में डिप्लोमा या इसके समकक्ष उत्तीर्ण हो।
उम्र सीमा
जूनियर इंजीनियर्स परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए न्यूनतम उम्र 18 वर्ष तथा अधिकतम 27 वर्ष निर्धारित है। एससी, एसटी के लिए अधिकतम उम्र सीमा में पांच वर्ष, ओबीसी को तीन और समाज के विकलांग व्यक्तियों के लिए दस वर्ष की छूट है।
स्कीम ऑफ एग्जामिनेशन
इसके लिए दो स्टेज के अंतर्गत परीक्षा होगी। प्रथम स्टेज में एक लिखित परीक्षा होगी, जिसके लिए 500 अंक रखे गए हैं। इसमें ऑब्जेक्टिव और सब्जेक्टिव दोनों तरह की परीक्षा होगी। ऑब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा में जनरल इंटेलिजेंस ऐंड रीजनिंग, जेनरल अवेयरनेस और जनरल इंजीनियरिंग से संबंधित प्रश्न रहेंगे।
इसके लिए कुल दो सौ अंक निर्धारित हैं, जिसमें जनरल इंटेलिजेंस और जनरल अवेयरनेस के लिए 50-50 अंक तथा जेनरल इंजीनियरिंग के लिए सौ अंक रखे गए हैं। सब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा में जनरल इंजीनियरिंग से संबंधित प्रश्न पूछे जाएंगे, जिसके लिए कुल 300 अंक है। यदि आप लिखित परीक्षा में पास होते हैं, तो आपको इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। इसके लिए सौ अंक निर्धारित है।
सिलेबस
इस परीक्षा में जेनरल इंजीनियरिंग के प्रश्नों का स्टैंडर्ड डिप्लोमा स्तर का होगा। इसके अतिरिक्त जनरल इंटेलिजेंस ऐंड रीजनिंग में वर्बल और नॉन-वर्बल टाइप के प्रश्न होंगे। इस पेपर में एनालॉजिज, सीमिलर्टीज, डिफरेंसेज, स्पेस विजुलाइजेशन, प्रॉब्लम सॉल्विंग, एनालिसिस, जजमेंट, डिसिजन मैकिंग, विजुअल मैमोरी, ऑब्जर्वेशन, रिलेशनशिप कॉन्सेप्ट्स, अर्थमैटिक रीजनिंग, वर्बल ऐंड फिगर क्लासीफिकेशन तथा अर्थमैटिकल नंबर सीरीज से संबंधित प्रश्न पूछे जा सकते हैं। जनरल अवेयरनेस के प्रश्न में करेंट इवेंट के अतिरिक्त इतिहास, संस्कृति, भूगोल, इकोनॉमिक्स, जनरल पॉलिटी ऐंड साइंटिफिक रिसर्च से संबंधित होंगे।
प्रिपरेशन स्ट्रेटेजी
ओम कोचिंग इंस्टीट्यूट के ओमप्रताप सुधांशु कहते हैं कि इसमें क्वालीफाई करने के लिए स्टूडेंट्स को पिछले वर्षो के प्रश्नों का गहन विश्लेषण करते हुए पैटर्न को अच्छी तरह समझने का प्रयास करना चाहिए। साथ ही, प्रश्नों को जल्द हल करने की ट्रिक डेवलप करें, तो और बेहतर है। इससे परीक्षा भवन में अधिकाधिक प्रश्न हल करने में मदद मिलेगी। अभ्यर्थियों को अपना ध्यान हर समय सिलेबस पर भी फोकस रखना चाहिए।
सुधांशु का मानना है कि इस परीक्षा में बेहतर करने के लिए जरूरी है कि फार्मूलों के एप्लिेकेशन पर खास ध्यान दें। एक क्षेत्र के फॉर्मूले को दूसरे में अप्लाई करने का प्रयास करें। ऐसा करने से फॉर्मूलों को रटने की जरूरत नहीं पडेगी और वे अच्छी तरह से समझ में आ जाएंगे। सब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा में सभी प्रश्नों के उत्तर लिख लेने के बाद अपने उत्तरों पर पुन: एक नजर डालें, ताकि कोई गलती न रह जाए।
इसके साथ ही उत्तर बिखरा हुआ न होकर सरल शब्दों में और सहज होना चाहिए। उसमें सारगर्भिता और क्रमबद्धता हो। जहां जरूरी हो, वहां सब-हेडिंग्स भी लगाएं। इसके अलावा आवश्यक बिंदुओं को हाईलाइटर या स्केच पेन से रेखांकित भी कर सकते हैं। जेनरल अवेयरनेस की तैयारी के लिए बारहवीं तक की एनसीईआरटी पुस्तकों को खूब पढें। इसमें सभी प्रश्नों का सही जवाब दे पाना मुश्किल होता है। परीक्षा भवन में सबसे पहले अपनी तैयारी के हिसाब से तीन-चार स्ट्रांग एरिया चुन लें और कोशिश करें कि इनसे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर गलत न हों। इसमें रिवीजन का समय नहीं बचता।
ऐसी स्थिति में मुश्किल प्रश्नों को बाद के लिए न छोडें। इस परीक्षा में समय प्रबंधन महत्वपूर्ण होता है। यदि आपने समय मैनेज करके अधिक से अधिक प्रश्नों के सही उत्तर दे दिए हैं, तो इसमें जरूर क्वालिफाई कर सकते हैं। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के बाद इंटरव्यू के लिए बुलाया जाएगा। यदि इसमें भी सफल रहते हैं, तो आप जूनियर इंजीनियर बन जाएंगे।
फोप्स का रखें ध्यान
किसी भी प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अलग-अलग रणनीति बनानी पडती है। ऐसा कोई सूत्र नहीं है, जिसके आधार पर सभी प्रश्नों को हल किया जा सके। अगर आप चाहें, तो प्रश्नों को हल करने के लिए FOPS (F-find a problem, O-organise the formulation by using the diagram, P- plan to solve the problem, S- solve it) का उपयोग कर सकते हैं। कहने का आशय यह है कि आप सबसे पहले प्रश्नों को समझने की कोशिश करें कि आखिर उसमें कहा क्या जा रहा है? उसे हल करने के लिए किस तरह के सूत्र कारगर हो सकते हैं, उसे दिमाग में बैठाएं। यदि इससे संबंधित कोई सूत्र या फार्मूला फिट बैठता हो, तो उसे हल करने के लिए रणनीति बनाएं तथा अंत में उसे हल करने के लिए जुट जाएं।
विजय झा
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