इलाहाबाद बसपा सरकार में शुरू की गई 72825 सहायक प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती को हाईकोर्ट की हरी झंडी मिल गई है। कोर्ट ने इस भर्ती के लिए जारी विज्ञापन को सही करार देते हुए सपा शासन में किए गए संशोधनों को रद कर दिया है। इसी के साथ चयन के मानकों को लेकर चल रही उहापोह भी खत्म हो गई है। इस भर्ती में चयन का आधार टीईटी की मेरिट ही होगी। अदालत ने निर्देश दिया है कि 31 मार्च, 2014 तक यह पद भर दिए जाएं। अदालत ने टीईटी पास बीएड डिग्रीधारकों को प्रशिक्षु शिक्षक नियुक्त करने के सरकार के फैसले को भी अवैधानिक करार दिया है।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति विपिन सिन्हा की खंडपीठ ने सपा सरकार के फैसले के खिलाफ दाखिल शिवकुमार पाठक, नवीन श्रीवास्तव व अन्य सैकड़ों विशेष अपीलों पर बुधवार को यह बहुप्रतीक्षित फैसला सुनाया। कोर्ट के समक्ष प्रश्न था कि अध्यापकों की नियुक्ति शैक्षिक गुणांक के आधार पर हो या टीईटी मेरिट के आधार पर। बसपा शासन में बेसिक शिक्षा नियमावली में बदलाव करके टीईटी की मेरिट को चयन का आधार बनाया गया था। बाद में सपा के सत्ता में आने के बाद नियमावली में फिर परिवर्तन करते हुए टीईटी मेरिट के स्थान पर शैक्षिक गुणांक को आधार बना दिया गया था। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा विापन में निर्धारित नियुक्ति मानक में परिवर्तन कर शैक्षिक अंकों को मानक बनाने का फैसला कानून के विपरीत है। सरकार क्राइटेरिया नहीं बदल सकती। इसके साथ ही कोर्ट ने सपा सरकार में इस नियुक्ति के संदर्भ में किए गए संशोधनों और शासनादेशों को रद कर दिया। कहा है कि 30 नवंबर 2011 (बसपा शासन) में जारी विापन के आधार पर भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाय। कोर्ट ने कहा है कि अध्यापकों की नियुक्ति पर लगी रोक की याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है। ऐसे में भर्ती प्रक्रिया पूरी करने में कोई अवरोध नहीं है।
कोर्ट ने कहा है कि प्रदेश में एक लाख 25 हजार परिषदीय प्राथमिक विद्यालय है। जिनमें दो लाख 70 हजार सहायक अध्यापकों के पद खाली पड़े हैं। ऐसे में सरकार यह नहीं कह सकती कि उसने अनिवार्य शिक्षा के केंद्रीय कानून का पालन किया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 10 सितंबर की अधिसूचना से धारा 23 (2) के अंतर्गत अनिवार्य शिक्षा कानून लागू करने की समय सीमा 31 मार्च 14 तक बढ़ा दी है। इससे पहले ही सरकार को भर्ती करनी होगी।
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