प्लांट पैथोलॉजी

Jul 5, 2011, 17:56 IST

 प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में पेड़-पौधों में होने वाली बीमारियों के कारण फसलों के नष्ट होने के प्रमाण हैं। यह समस्या उस समय से हैं, जब से सृष्टिï का निर्माण हुआ है। वर्तमान में तेजी से बिगड़ते पर्यावरण से पेड़-पौधों को भारी हानि पहुंच रही है। ब्रिटिश सोसाइटी फॉर प्लांट पैथोलॉजी के अनुसार, इस बदलाव के कारण प्लांट से संबंधित रोगों में तेजी से इजाफा हुआ है। यही कारण है कि इससे संबंधित प्रोफेशनल्स की इन दिनों काफी जरूरत है। यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है, तो इससे संबंधित कोर्स करके बेहतर करियर बना सकते हैं। 
प्लांट पैथोलॉजी

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प्लांट पैथोलॉजी

पौधों के डॉक्टर
पेड़-पौधों को रोगमुक्त रखने का काम एक प्लांट पैथोलॉजिस्ट ही कर सकता है। अमेरिकन पैथोलॉजी सोसाइटी के अनुसार प्लांट पैथोलॉजी के जानकारों की काफी डिमांड है।

कई प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में पेड़-पौधों में होने वाली बीमारियों के कारण फसलों के नष्टï होने के प्रमाण हैं। यह समस्या उस समय से हैं, जब से सृष्टिï का निर्माण हुआ है। वर्तमान में तेजी से बिगड़ते पर्यावरण से पेड़-पौधों को भारी हानि पहुंच रही है। ब्रिटिश सोसाइटी फॉर प्लांट पैथोलॉजी के अनुसार, इस बदलाव के कारण प्लांट से संबंधित रोगों में तेजी से इजाफा हुआ है। यही कारण है कि इससे संबंधित प्रोफेशनल्स की इन दिनों काफी जरूरत है। यदि आपकी रुचि इस क्षेत्र में है, तो इससे संबंधित कोर्स करके बेहतर करियर बना सकते हैं। 

प्लांट पैथोलॉजी
प्लांट पैथोलॉजी कृषि विज्ञान की वह विशेष शाखा है, जिसमें पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने वाले कवक, बैक्टीरिया, वायरस, कीट और अन्य सूक्ष्म जीवों आदि के बारे में अध्ययन के साथ-साथ इनके उपचार के तरीकों की जानकारी दी जाती है। यह विज्ञान की वह शाखा है, जिसका सीधा संबंध माइक्रोप्लाज्मा, कवक विज्ञान, जीवाणु विज्ञान आदि से भी है। प्लांट पैथोलॉजी मुख्य रूप से सामाजिक, पर्यावरणीय और तकनीकी परिवर्तनों से गहराई तक प्रभावित है। यह पौधों और सूक्षम जीवों के मध्य परस्पर अंतरक्रिया के सिद्घांतों का प्रयोग करती है, ताकि पौधों के स्वास्थ्य और उत्पादकता में वृद्घि हो सके।

 क्यों है डिमांड में
यदि साइंटिफिक तरीके से सोचें, तो स्वच्छ पर्यावरण के लिए धरती के कम से कम एक तिहाई भाग पर वनों का होना आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार, इस समय विश्व में केवल 20 प्रतिशत क्षेत्र पर ही वन हैं। बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग से यह स्थिति और भी खतरनाक होती जा रही है। इन परिस्थितियों का मुकाबला पेड़-पौधों से किया जा सकता है। जरूरत है बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण के साथ-साथ पेड़-पौधों को रोग मुक्त रखने की। बीमारियों से वृक्षों की रक्षा एवं उच्च गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थों की आपूर्ति के लिए बड़ी संख्या में इसका कोर्स कर चुके लोगों की आवश्यकता है। इसके प्रोफेशनल्स ऐसी विधियों का विकास कर सकते हैं, जिनसे रोगों द्वारा पेड़-पौधों को होने वाली हानियां कम की जा सकती हैं।
पर्सनल स्किल
एक अच्छा प्लांट पैथोलॉजिस्ट पेड़-पौधों के स्वास्थ्य का ठीक उसी तरह से ध्यान रखता है, जैसे एक डॉक्टर अपने मरीजों का। उसे अच्छी तरह पता होता है कि किन-किन पर्यावरणीय एवं जैविक कारणों से पौधों की वृद्घि दर में रुकावट आती है और उनकी आंतरिक संरचना को हानि पहुंचती है। इन सब चीजों का अच्छा जानकार समय रहते पेड़-पौधों का उपचार करके उनकी प्रगति को सामान्य कर देता है और उन्हें नष्ट होने से बचाता है।
अच्छा प्लांट पैथोलॉजिस्ट वैश्विक स्तर पर पौधों से संबंधित सूचनाओं का आदान-प्रदान भी करता है।

किस तरह के कोर्स
देश के कई विश्वविद्यालयों में इसके लिए अलग से विभाग का गठन किया गया है, साथ ही अधिकांशत: एग्रीकल्चर विश्वविद्यालयों में इसकी पढ़ाई होती है। आप बीएससी में प्लांट पैथोलॉजी का चयन एक विषय के रूप में कर सकते हैं। इसमें एमएससी एवं पीएचडी भी कर सकते हैं।

शैक्षिक योग्यता
यदि आप बारहवीं विज्ञान वर्ग (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स, बायोलॉजी, कृषि विज्ञान आदि) से उत्तीर्ण हैं, तो आपकी एंट्री इस क्षेत्र में हो सकती है।  इस विषय में प्रवेश 'ऑल इंडिया कंबाइंड एंट्रेंस एग्जाम एवं राज्य स्तर पर आयोजित होने वाली परीक्षाओं से लिया जाता है। यह परीक्षाएं अलग-अलग आयोजित की जाती हैं। ऑल इंडिया एंट्रेंस एग्जाम इंडियन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चर रिसर्च द्वारा कराई जाती है। इसमें प्रवेश के लिए सभी विश्वविद्यालयों में अलग-अलग नियम हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप किस यूनिवर्सिटी में एडमिशन लेते हैं।

विदेश में भी शिक्षा
यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो आपके पास बेहतर विकल्प हैं। पौधों की रक्षा से संबंधित विषयों में मास्टर्स एवं डॉक्ट्रेट स्तर की पढ़ाई संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, नीदरलैंड, न्यूजीलैंड आदि देशों में भी की जा सकती है। जो लोग विदेश में यह कोर्स करना चाहते हैं उन्हें अनिवार्य रूप से टॉफेल टेस्ट क्लीयर करना होता है। विदेश से शिक्षा प्राप्त कर चुके बहुत से लोग अंतर्राष्टï्रीय स्तर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रही संस्थाओं के साथ जुड़े हैं।

रोजगार के अवसर
प्लांट पैथोलॉजी का कोर्स करने वालों के पास सरकारी एवं निजी दोनों ही सेक्टरों में अच्छे रोजगार के पर्याप्त अवसर हैं। ये लोग ग्रीन हाउस मैनेजर, पार्क ऐंड गोल्फ कोर्स सुपरिंटेंडेंट, एग्री बिजिनेस सेल्स रिप्रजेंटेटिव आदि के रूप में भी काम कर सकते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए जैसे-जैसे वैश्विक स्तर पर प्रयास तेज किए जा रहे हैं वैसे-वैसे इसके अच्छे जानकारों की रिसर्च कामों के लिए आवश्यकता बढ़ती जा रही है।

प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान

  • इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
  • नेशनल प्लांट प्रोटेक्शन टे्रनिंग इंस्टीट्यूट, हैदराबाद
  • बिरसा एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी, रांची
  • चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी, विश्वविद्यालय, कानपुर
  • जी.बी.पंत कृषि विश्वविद्यालय, नैनीताल


स्पेशल कमेंट्स
प्रमुख यूनिवर्सिटियों में पढ़ाई होने के बावजूद इससे संबंधित प्रोफेशनल्स की काफी कमी है। यदि आप कोर्स कर लेते हैं, तो नौकरी की कमी नहीं है। विदेश में अवसर के साथ ही देश में आप शिक्षा, शोध प्रसार के साथ-साथ मल्टीनेशनल सीड कंपनी, पेस्टीसाइड कंपनी, केन्द्रीय एवं राज्य सरकार के फसल सुरक्षा विभाग आदि में काम कर सकते हैं। चाहें तो अपना स्वयं का प्लांट हेल्थ क्लीनिक सेंटर भी खोल सकते हैं।
डॉ. वेदरत्न
एसोसिएट प्रोफेसर, सीएसए, कानपुर


प्रस्तुति : शरद अग्निहोत्री

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