वैश्विक जलवायु आपातकाल: 153 देशों के 11,000 से अधिक वैज्ञानिकों द्वारा एक संयुक्त घोषणा

Nov 7, 2019, 11:50 IST

बायोसाइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से 69 सहित 11,258 हस्ताक्षरकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के वर्तमान लक्षण को प्रस्तुत किया है. इससे निपटने हेतु उठाए जा सकने वाले प्रभावी कदमों का भी उल्लेख किया है.

global warming rprstive
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हाल ही में 153 देशों के 11,000 से अधिक वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल घोषित किया है. दूसरी ओर, अमेरिका ने पेरिस समझौते से अपनी सदस्यता वापस लेने की औपचारिक घोषणा की है. इन वैज्ञानिकों ने चेताया है कि अगर भूमंडल के संरक्षण हेतु तत्काल कदम नहीं उठाए जाते हैं तो ‘अनकही पीड़ा’ सामने आयेगी.

बायोसाइंस जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत से 69 सहित 11,258 हस्ताक्षरकर्ताओं ने जलवायु परिवर्तन के वर्तमान लक्षण को प्रस्तुत किया है. इससे निपटने हेतु उठाए जा सकने वाले प्रभावी कदमों का भी उल्लेख किया है. वैज्ञानिकों ने दावा किया कि यह संयुक्त घोषणा 40 से अधिक वर्षों के वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित है.

यह अध्ययन अमेरिका के ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी (ओएसयू) के पर्यावरणविद प्रोफेसर विलियम जे रिपल और ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर वुल्फ द्वारा प्रकाशित किया गया था. इसमें ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के शोधकर्ता भी शामिल थे. यह स्पष्ट रूप से बताता है कि ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन एक बड़ी चुनौती है.

इससे संबंधित मुख्य तथ्य

• वैज्ञानिकों ने एकदम स्पष्ट रूप से कहा है कि पर्यावरण को लेकर विश्व को अब गंभीर कदम उठाने की जरूरत है.

• वैज्ञानिकों ने रिपोर्ट में कहा की हमारा यह नैतिक दायित्व है कि हम किसी भी ऐसे संकट के बारे में स्पष्ट रूप से सूचित करें जिससे महान अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा हो.

• ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता विलियम रिपल तथा क्रिस्टोफर वुल्फ लिखते हैं की वैश्विक जलवायु वार्ता के चालीस वर्षों के बाद भी हमने अपना कारोबार उसी तरह से जारी रखा है तथा इस विकट स्थिति को दूर करने में असफल रहे हैं.

• उन्होंने इस रिपोर्ट में स्पष्ट रूप सुझाव दिया कि पृथ्वी पर जीवन बनाए रखने हेतु हमें मानवीय कार्य करना होगा, क्योंकि हमारा केवल एक ही घर है और वह सिर्फ पृथ्वी है.

• अध्ययन में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, जनसंख्या वृद्धि दर, प्रति व्यक्ति मांस उत्पादन और विश्व स्तर पर व्यापक रूप से काटे गए पेड़ का हवाला दिया गया है.

मुख्य रूप से छह कदम उठाने के सुझाव

इस घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले विश्व के 11,000 से अधिक वैज्ञानिकों ने जलवायु आपातकाल से निपटने के लिए छह सुझाव दिए हैं. इन छह सुझाव में (i) जीवाश्म ईंधन की जगह उर्जा के अक्षय स्रोतों का इस्तेमाल (ii) मीथेन गैस जैसे प्रदूषकों का उत्सर्जन रोकना (iii) पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा (iv) वनस्पति भोजन के इस्तेमाल और मांसाहार घटाना (v) कार्बन मुक्त अर्थव्यवस्था का विकास (vi) जनसंख्या को कम करना शामिल है.

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वैज्ञानिकों द्वारा मांसाहार छोड़ने की अपील

वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए छह सुझावों में से एक मांसाहार छोड़ने की अपील भी है. वैज्ञानिकों ने विश्व में लोगों से शाकाहार की ओर बढ़ने का आग्रह करते हुए लोगों से अधिक से अधिक फल और सब्जी खाने को कहा है. इससे मीथेन तथा ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी. वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि हमें विश्वभर में भोजन की बर्बादी को भी कम करना चाहिए.

ऊर्जा संरक्षण पर काम करने की जरूरत

ऊर्जा पर किए गए अध्ययन में कहा गया है कि पूरी दुनिया को ऊर्जा संरक्षण पर काम करना होगा. हमें ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों का उपयोग बढ़ाना होगा, जिसका उपयोग कई बार किया जा सकता है. लोगों को कोयले जैसे जीवाश्म ईंधन के उपयोग को सीमित करने का प्रयास करना चाहिए. वैज्ञानिकों का मानना है कि इन कदमों से जलवायु परिवर्तन के बारे में जागरूकता बढ़ेगी तथा एक ठोस परिणाम आएगा.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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