21 सितंबर: विश्व अल्जाइमर दिवस
विश्व अल्जाइमर दिवस 21 सितंबर 2012 को मनाया गया. इसका उद्देश्य विश्व भर में लोगों को अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूक करना है. स्मरणशक्ति खो देना, शब्दों को बोलने में कठिनाई होना, समय व स्थान का ध्यान न रख पाना या निर्णय ले पाने में सक्षम न होना इस बीमारी के लक्षण हैं. इन लक्षणों के आधार पर वर्ष1906 में जर्मन न्यूरोलॉजिस्ट एलोइस अल्जाइमर ने इसे एक बीमारी का नाम दिया. एलोइस अल्जाइमर के नाम पर इस बीमारी को अल्जाइमर कहा गया.
क्या है अल्जाइमर: अल्जाइमर वह दीमागी बीमारी है, जो धीरे-धीरे याददाश्त को समाप्त करने लगती है. जब यह ज्यादा घातक होती है तो व्यक्ति अपनी जिंदगी के रोजमर्रा के आसान से काम करने में भी अक्षम हो जाता है. वह नाम, पता व टेलीफोन नंबर भूलने लगता है. दिशाओं का और मौसम का ज्ञान खोने लगता है. करीबी लोगों के नाम, फिर चेहरे भूलने लगता है. विचार प्रकट करने में कमजोर पड़ने लगता है. और धीरे-धीरे अपने को समाज से दूर कर लेता है.
इलाज: अभी तक तमाम प्रयासों और परीक्षणों के बावजूद इस बीमारी की कोई दवा ईजाद नहीं हुई है.
विदित हो कि हाल ही में किए गए सर्वे के अनुसार विश्व के 18 मिलियन लोगों को अल्जाइमर है. सर्वे में वर्ष 2025 तक इसकी संख्या दोगुनी हो जाने की संभावना व्यक्त की गई है. भारत में इस रोग के मरीज विश्व की कुल संख्या के चौथाई प्रतिशत हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation