अमरनाथ यात्रा 1 जुलाई 2019 से कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई. तीर्थयात्री वार्षिक अमरनाथ यात्रा करने के लिए हिमालय की पवित्र गुफा में स्थित बाबा बफार्नी के दर्शन के लिए रवाना हो गए. कश्मीर घाटी के लिए 2,000 से अधिक तीर्थयात्रियों का पहला जत्था रवाना होने के बाद 4,417 तीर्थयात्रियों का दूसरा जत्था जम्मू से गुफा के लिए रवाना हुआ.
उत्तरी कश्मीर के गांदरबल जिले में बालटाल आधार शिविर से 7,500 तीर्थयात्री यात्रा के लिए रवाना हुए. शेष पहले ही पहलगाम मार्ग से होकर यात्रा करते हुए छड़ी मुबारक के साथ गुफा तक पहुंच चुके हैं. समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित 45 दिवसीय वार्षिक यात्रा 15 अगस्त को सम्पन्न होगी. इस यात्रा में 31 बच्चों के अलावा 3,543 पुरुषों, 843 महिलाओं का जत्था भगवती नगर यात्री निवास से 142 वाहनों के काफिले के साथ रवाना हुआ.
सुरक्षा के इंतजाम
1 जुलाई से 15 अगस्त तक चलने वाली इस यात्रा की सुरक्षा के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार, सुरक्षाबलों और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुख्ता इंतजाम किए हैं. घाटी में आतंकियों के सफाये के लिए चल रहे ऑपरेशन ऑलआउट के मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा को लेकर सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं. जम्मू रेलवे स्टेशन से लेकर पवित्र अमरनाथ यात्रा के पूरे रूट पर 40 हजार से ज्यादा जवानों को तैनात किया गया है ताकि आतंकी किसी हिंसक वारदात को अंजाम न दे सकें.
किसने की थी खोज?
अमरनाथ की इस पवित्र गुफा की खोज एक मुस्लिम गड़रिए ने की थी. उसका नाम बूटा मलिक था. आज भी इसके वंशजों को दान में चढ़ाई गई राशि का एक हिस्सा दिया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने अमरनाथ गुफा में मां पार्वती को अमर कथा सुनाई थी. इस गुफा में एक हैरान करने वाली बात यह है कि गुफा में शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है जबकि नीचे फैला बर्फ कच्चा होता है.
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