असम सरकार राज्य के चाय बागानों में काम कर रही गर्भवती महिलाओं के लिए मजदूरी मुआवजा योजना की पेशकश करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया है. यह योजना गुवाहाटी में असम के मुख्यमंत्री सरबानंद सोनोवाल द्वारा शुरू की जाएगी. यह घोषणा राज्य के स्वास्थ्य और वित्त मंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा द्वारा की गई थी.
इस घोषणा का उद्देश्य चाय बागानों में कार्यरत महिलाओं को होने वाले समस्याओं से निजात दिलाना है ताकि वे अपने जीवन को बेहतर तरीके से चला सकें.
योजना के मुख्य बिंदु
• इस योजना के तहत, गर्भवती महिलाओं को 12,000 रुपये की राशि दी जाएगी ताकि वे स्वयं और नवजात शिशु की देखभाल कर सकें.
• गर्भवती महिलाओं को मजदूरी का मुआवजा 4 किश्तों में दिया जाएगा - पहले तिमाही में 2,000 रुपये, दूसरे तिमाही में 4,000 रुपये, संस्थागत डिलीवरी के लिए 3,000 रुपये और बच्चे के जन्म के पंजीकरण के लिए 3,000 रुपये दिए जाएंगे.
• इस योजना से राज्य की 60,000 से अधिक चाय बागानों में कार्यरत महिलाओं को लाभ होने का अनुमान है.
भारत में मातृत्व अवकाश
• भारत में संशोधित विधेयक में नौ से अधिक कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में कामगार महिलाओं के लिए मातृत्व अवकाश की अवधि 12 से बढ़ाकर 26 हफ्ते कर दी गई है.
• विधेयक में अवकाश का लाभ प्रसव की संभावित तारीख से आठ हफ्ते पहले लिया जा सकता है. 1961 के मूल कानून में यह अवधि छह हफ्ते की थी.
• तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मातृत्व लाभ संशोधन विधेयक, 2016 पर अपनी मुहर लगा दी थी जिसके बाद यह प्रावधान शामिल किए गये.
• विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) अथवा अन्य समाजसेवी संगठनों का मानना है कि मां और बच्चे के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए कामकाजी महिलाओं को 24 हफ्ते का मातृत्व अवकाश देना जरूरी है.
• डब्ल्यूएचओ के अनुसार बच्चों की उत्तरजीविता (सरवाइवल) दर में सुधार के लिए 24 हफ्ते तक उन्हें सिर्फ स्तनपान कराना जरुरी होता है.
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