बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 31 मार्च 2017 को घोषणा की कि 2017-18 वित्त वर्ष से राज्य सरकार बिजली कंपनियों के बजाए उपभोक्ताओं को बिजली बिल पर सब्सिडी देगी.
यह घोषणा ऊर्जा मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव की उपस्थिति में राज्य विधानसभा में की गई. मुख्यमंत्री की यह घोषणा बिहार विद्युत नियामक आयोग (बीईआरसी) द्वारा बिजली की दरों में 55 फीसदी की असंभावित बढ़ोतरी किए जाने के छह दिनों के बाद आई. बीईआरसी द्वारा दरों में की गई बढ़ोतरी का पूरे राज्य में विरोध हो रहा था.
मुख्य बातें:
• मुख्य उद्देश्य है ग्राहकों को यह समझाना कि किस दर पर उन्हें बिजली मिलेगी और उनकी खपत के लिए राज्य सरकार द्वारा कितनी सब्सिडी उनको दी जाएगी.
• उपभोक्ता इसे अच्छी तरह से समझ सकें, इसे सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी की मात्रा को स्पष्ट रूप से बताया गया है.
• राज्य के मुख्यमंत्री के अनुसार, सीधे उपभोक्ताओं को बिजली सब्सिडी देने की नीति पर प्रयोग करने के कदम के साथ ही बिहार ऐसा करने वाला पहला राज्य बन गया है.
इसके अलावा, राज्य ने विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरों की मुख्य व्यवस्थाओं की भी घोषणा की:
• गरीबी रेखा से नीचे गुजर– बसर करने वाले परिवारों को 50 यूनिट की सीमा के साथ बीईआरसी ने प्रति यूनिट 6.08 रुय की दर की घोषणा की थी. सरकार की 3.58 रु. प्रति यूनिट की सब्सिडी दर के बाद अंतिम दर प्रति यूनिट 2.50 रु. रह जाएगी.
• ग्रामीण इलाकों के घरेलू उपभोक्ताओं के लिए, आयोग ने प्रति इकाई 6.45 रु. की दर प्रस्तावित की थी, राज्य द्वारा दी जाने वाली 3.10 रु. प्रति यूनिट की सब्सिडी के बाद प्रति यूनिट दर 3.35 रु. रह गई है.
• शहरी घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बीईआरसी ने प्रति यूनिट 6.48 रु. की दर निर्धारित की थी, 1.48 रु. प्रति यूनिट के सरकारी सब्सिडी के बाद उपभोक्ताओं को अब 5 रु. प्रति यूनिट की दर से बिजली के बिल का भुगतान करना होगा.
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