सुपरसोनिक मिसाइल ब्रह्मोस का 16 जुलाई 2018 को सफल परीक्षण किया गया. यह परीक्षण ओडिशा से किया गया. इस परीक्षण की ख़ास बात यह रही कि मिसाइल का परीक्षण खराब मौसम में किया गया.
युद्ध के दौरान के हालातों को देखते हुए खराब मौसम में मिसाइल का परीक्षण किया गया है. सुपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण सुबह 10 बजकर 18 मिनट पर किया गया. बालासोरी ओडिशा के चांदीपुर टेस्टक रेंज पैड नंबर 3 से मिसाइल को छोड़ा गया था. ब्रह्मोस मिसाइल ने सफलतापूर्वक निशाने पर सटीक वार किया.
ब्रह्मोस मिसाइल की विशेषताएं
• भारत और रूस के संयुक्त उपक्रम परियोजना के तहत निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल 290 किमी तक की दूरी तक प्रहार कर सकेगी.
• यह अपने साथ 200 किलोग्राम परमाणु प्रक्षेपास्त्र ले जाने में सक्षम है.
• यह ध्वनि की दोगुनी गति से 14 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकती है. इसमें ठोस प्रणोदक का इस्तेमाल किया जाता है.
• मिसाइल की परिधि 670 मिली की है और लगभग तीन टन वजनी यह मिसाइल जमीन के निकट भी प्रहार कर सकती है.
• ब्रह्मोस को विश्व की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल कहा जाता है जिसे जल, थल एवं वायु सभी स्थानों से दागा जा सकता है.
पृष्ठभूमि
ब्रह्मोस डीआरडीओ और रूस की एनपीओएम का एक संयुक्त उपक्रम है. यह मिसाइल भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में शामिल की जा चुकी है. ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है. रूस इस परियोजना में प्रक्षेपास्त्र तकनीक उपलब्ध करवा रहा है और उड़ान के दौरान मार्गदर्शन करने की क्षमता भारत के द्वारा विकसित की गई है.
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