India’s New Labour Laws 2025: भारत में नए Labour Codes देशभर में श्रम क़ानूनों की सबसे बड़ी पुनर्रचना के रूप में लागू हो चुके है, जिसमें 29 केंद्रीय श्रम क़ानूनों को समेटकर 4 कोड बनाए गए हैं। इनका लक्ष्य क़ानूनों को सरल बनाना, मज़दूरों की सुरक्षा बढ़ाना और उद्योगों के लिए कंप्लायंस को आसान करना, साथ ही गिग और असंगठित क्षेत्र तक सामाजिक सुरक्षा पहुँचाना है।
नए Labour Codes/Laws हाई लाइट्स
भारत सरकार ने 29 पुराने केंद्रीय श्रम कानूनों को चार कोड में समाहित किया है-
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Code on Wages, 2019
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Industrial Relations Code, 2020
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Code on Social Security, 2020
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Occupational Safety, Health and Working Conditions (OSHWC) Code, 2020
ये चारों कोड 21 नवंबर 2025 से प्रभावी हो गए हैं और चरणबद्ध तरीके से इनके विभिन्न प्रावधान लागू किए जा रहे हैं, जबकि कई मामलों में केंद्र और राज्यों के सहायक नियम (rules) भी अधिसूचित किए जा रहे हैं।
कब से लागू हुए नए कोड:
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने 21 नवंबर 2025 को अधिसूचनाओं के ज़रिए चारों कोड के प्रमुख प्रावधान लागू किए, जिससे पुरानी 29 केंद्रीय अधिनियम व्यावहारिक रूप से प्रतिस्थापित हो जाते हैं। हालाँकि कुछ प्रावधानों के लिए राज्य सरकारों के नियम और अधिसूचनाएँ आवश्यक हैं, इसलिए व्यावहारिक इम्प्लिमेंटेशन कुछ पहलुओं में चरणबद्ध होगा।
नए कोड में क्या है खास
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Code on Wages: सभी सेक्टर के कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन, समय पर भुगतान, बोनस और “wages” की एक समान परिभाषा सुनिश्चित करता है।
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Industrial Relations Code: हायरिंग-फायरिंग, रिट्रेंचमेंट, ट्रेड यूनियन, स्ट्राइक और विवाद निपटान की रूपरेखा तय करता है, तथा कुछ उद्योगों को अधिक लचीलेपन के साथ काम करने की सुविधा देता है।
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Code on Social Security: EPF, ESIC, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी, gig और platform workers, तथा असंगठित मज़दूरों के लिए एकीकृत सामाजिक सुरक्षा ढाँचा बनाता है।
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OSHWC Code: कार्यस्थल पर सुरक्षा, स्वास्थ्य, working hours, रजिस्टर, लाइसेंस और श्रमिकों के लिए सुविधाओं के न्यूनतम मानक तय करता है।
कर्मचारियों के लिए प्रमुख बदलाव
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हर कर्मचारी के लिए स्टैच्यूटरी न्यूनतम वेतन और राष्ट्रीय floor wage की व्यवस्था की गई है, जिससे पहले केवल “scheduled employments” तक सीमित सुरक्षा अब व्यापक हो जाती है।
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सभी कर्मचारियों को नियुक्ति पत्र (appointment letter) देना अनिवार्य है, जिससे रोजगार संबंध की पारदर्शिता और प्रूफ मज़बूत होगा।
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गिग, प्लेटफॉर्म और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पहली बार सोशल सिक्योरिटी के दायरे में स्पष्ट रूप से शामिल किया गया है।
मज़दूरों के लिए ग्रेच्युटी, मातृत्व लाभ, स्वास्थ्य बीमा (ESIC), EPF और अन्य लाभों की पहुँच को व्यापक और पोर्टेबल बनाया जा रहा है, ताकि नौकरी बदलने या जगह बदलने पर भी लाभ जारी रहें।
सैलरी स्ट्रक्चर, PF और ग्रेच्युटी में बदलाव
एक समान “wage” परिभाषा के कारण CTC में basic+DA का अनुपात बढ़ाना पड़ेगा, जिसके चलते PF और ग्रेच्युटी योगदान बढ़ सकते हैं और take‑home वेतन कुछ कर्मचारियों के लिए घट सकता है। इससे दीर्घकालीन सेवानिवृत्ति बचत और ग्रेच्युटी राशि में वृद्धि होगी, लेकिन अल्पकाल में मिलने वाला वेतन कम लग सकता है।
EPF और ESIC जैसे अंशदानों के लिए स्पष्ट समय‑सीमा और प्रक्रिया निर्धारित की जा रही है, जैसे EPF जांचों के लिए 5 वर्ष की सीमा और निपटान के लिए निर्धारित समय, जिससे विवाद लंबा खिंचने की संभावना कम होगी।
Night Shift में महिलाओं के लिए नया प्रावधान
नए कोड के अनुसार महिलाएँ night shift में काम कर सकती हैं, लेकिन नियोक्ता को सुरक्षा, परिवहन और आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करानी होंगी। इससे IT, सर्विस सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग में महिला भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।
गिग, प्लेटफॉर्म और असंगठित श्रमिकों के लिए बदलाव
1. औपचारिक मान्यता: Social Security Code में गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को अधिकारपूर्वक शामिल किया गया है।
2. सामाजिक सुरक्षा फंड
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एग्रीगेटर कंपनियाँ 1–2% टर्नओवर का योगदान करेंगी (सीमा के भीतर)।
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पेनल्टी और अन्य स्रोतों से भी फंड बनाया जाएगा।
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इस धन का उपयोग असंगठित और प्रवासी मज़दूरों के कल्याण में किया जाएगा।
3. लाभों की पोर्टेबिलिटी: आधार-लिंक्ड एकीकृत प्रणाली से श्रमिक जहाँ भी काम करें, उनके लाभ वहीं उपलब्ध रहेंगे।
पुराने कानून बनाम नए Labour Codes
| पहलू | पुराने कानूनों में स्थिति | नए Labour Codes 2025 के बाद |
| कानूनों की संख्या | 29 अलग-अलग अधिनियम | 4 समेकित कोड |
| न्यूनतम वेतन | केवल ‘scheduled employments’ | सभी कर्मचारियों के लिए लागू |
| नियुक्ति पत्र | कई सेक्टरों में अनिवार्य नहीं | सभी कर्मचारियों के लिए अनिवार्य |
| सामाजिक सुरक्षा | संगठित व कुछ असंगठित तक सीमित | गिग, प्लेटफॉर्म, फिक्स्ड-टर्म, असंगठित व प्रवासी मज़दूर शामिल |
| वेतन परिभाषा | अलग-अलग कानूनों में भिन्न | एक समान परिभाषा; PF/ग्रेच्युटी प्रभावित |
| रिट्रेंचमेंट सीमा | 100 कर्मचारियों से ऊपर सख्त नियंत्रण | सीमा 300 तक; Reskilling Fund आवश्यक |
| महिलाओं का night shift | कई जगह प्रतिबंध | night shift संभव; सुरक्षा प्रावधान अनिवार्य |
| कंप्लायंस मोड | मैन्युअल, कई रजिस्टर | डिजिटल रजिस्टर, ई-फाइलिंग |
Labour Codes 2025 भारत के श्रम ढाँचे को सरल, आधुनिक और एकीकृत बनाने की एक ऐतिहासिक पहल हैं। इनसे एक ओर मज़दूरों की सुरक्षा व सामाजिक सुरक्षा मजबूत होगी और दूसरी ओर उद्योगों को अधिक लचीलापन और आसान कंप्लायंस मिलेगा।
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