भारत की मेहमाननवाजी पूरी दुनिया में मशहूर है, चाहे वह स्ट्रीट फूड बेचने वाले हों या शानदार होटल, लेकिन कुछ जगहें ऐसी भी हैं, जिनकी कहानी देश के सबसे पुराने होटलों की तरह ही दिलचस्प है। गुलामी के दौर की शानो-शौकत से लेकर आजादी के लिए हुए आंदोलनों तक, इन ऐतिहासिक होटलों में बहुत कुछ देखने को मिलता है। ये सिर्फ ठहरने की जगहें नहीं हैं, बल्कि ये भारत के अतीत के जीते-जागते म्यूजियम हैं, जहां वास्तुकला, इतिहास और लग्जरी का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
द ग्रेट ईस्टर्न होटल, कोलकाता
यह होटल 1840 में ऑकलैंड होटल के नाम से खुला था और यह भारत का पहला लग्जरी होटल था। इसे कभी "पूर्व का गहना" कहा जाता था और यह अंग्रेजी शासन के दौरान जीवन का एक प्रमुख केंद्र था। मार्क ट्वेन और महारानी एलिजाबेथ II जैसी मशहूर हस्तियां यहां ठहर चुकी हैं। इसकी एक खास बात यह है कि जब कोलकाता शहर में बिजली नहीं आई थी, तब इस होटल में अपनी बिजली की सप्लाई थी।
ताज कोन्नेमारा, चेन्नई
ताज कोन्नेमारा दक्षिण भारत का सबसे पुराना होटल है, जो पहली बार 1854 में खुला था। इसकी वास्तुकला में अंग्रेजी और आर्ट डेको शैलियों का सुंदर मिश्रण है। यह कभी अंग्रेजों के लिए एक लोकप्रिय जगह हुआ करती थी। इसके हरे-भरे बगीचे और पुरानी इमारतें मद्रास प्रेसीडेंसी के दौर की झलक दिखाती हैं।
दार्जिलिंग सर्किट हाउस
इसे 19वीं सदी के मध्य में बनाया गया था। यह मूल रूप से दार्जिलिंग आने वाले अंग्रेज अधिकारियों के लिए एक आरामगाह थी। हालांकि यह कोई भव्य महल नहीं है, लेकिन इसका सादा आकर्षण, चाय के बागानों और कंचनजंगा की चोटियों के शानदार नजारों ने इसे एक ऐतिहासिक स्थल बना दिया है। ऐसा भी कहा जाता है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस यहां ठहरे थे।
द ताज महल पैलेस, मुंबई
इसे 1903 में उद्योगपति जमशेदजी टाटा ने बनवाया था। ताज महल पैलेस होटल सिर्फ एक लग्जरी होटल नहीं था, बल्कि यह गर्व और हिम्मत का प्रतीक था। इस इमारत के पीछे की कहानी यह है कि टाटा ने इसे तब बनाने का फैसला किया, जब उन्हें नस्लीय भेदभाव के कारण अंग्रेजों के एक होटल में घुसने से मना कर दिया गया था। यूरोपीय और भारतीय वास्तुकला के मिश्रण से डिजाइन किया गया यह होटल अपने युग का एक अजूबा बन गया। यह भारत का पहला होटल था, जिसमें बिजली, अमेरिकी पंखे और यहां तक कि जर्मन लिफ्ट भी थीं।
इन सालों में ताज महल पैलेस ने राजाओं, गणमान्य लोगों, विश्व नेताओं और मशहूर हस्तियों की मेजबानी की है। इसी वजह से यह देश के सबसे प्रतिष्ठित होटलों में से एक बन गया है।
द इंपीरियल, नई दिल्ली
1936 में खुला द इंपीरियल होटल भारत के अंग्रेजी शासन वाले अतीत की जीती-जागती तस्वीर जैसा है। यहां अंग्रेजी शासन के समय की और उसके बाद की कला का एशिया का सबसे बड़ा संग्रह है। ऐतिहासिक रूप से यह उन महत्त्वपूर्ण बैठकों का गवाह रहा है, जिनके कारण भारत का विभाजन हुआ। यहां महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे नेता मिलते थे।
ये पुराने होटल सिर्फ इमारतें नहीं हैं, बल्कि ये भारतीय संस्कृति और इतिहास का एक अहम हिस्सा हैं। हर इमारत की अपनी एक अलग कहानी है। इन कहानियों में देश के इतिहास के राजनीतिक मोड़ से लेकर विद्रोह और समाज में हुए नए बदलावों तक सब कुछ शामिल है। ये होटल मेहमानों को आधुनिक मेहमाननवाजी का आनंद लेते हुए अतीत के कुछ पलों को फिर से जीने का मौका देते हैं।
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