बजट 2017 : भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 1 फरवरी 2017 को लोकसभा में केंद्रीय बजट 2017-2018 प्रस्तुत किया. भारतीय अर्थव्यवस्था पर बजट 2017 का क्या प्रभाव पड़ेगा, विशेषज्ञों और आम जनता द्वारा इसका अनुमान तीन प्रमुख कारणों से लगाया जा रहा है . पहला, वर्ष 1924 के बाद यह पहली बार था जब रेल बजट को केंद्रीय बजट के साथ प्रस्तुत किया गया . दूसरा, विमुद्रीकरण के प्रभावों ने लोगों के बीच काफी उत्सुकता और प्रश्न पैदा किए .
तीसरा, बजट से जीएसटी बिल के बारे में अस्पष्टता के दूर किए जाने की उम्मीद की जा रही थी.
यहां, हमने भारतीय अर्थव्यवस्था पर बजट 2017 के प्रभावों का विश्लेषण करने की कोशिश की है. बजट 2017 में कई प्रमुख घोषणाएं हुईं और ये घोषणाएं किस प्रकार संभावित उद्योगों और अर्थव्यवस्था के क्षेत्रों को प्रभावित करेंगी, इस पर यहां हम विस्तार से चर्चा करेंगे.
1. राजनीतिक दलों के फंडिंग में सुधार के प्रभाव
सरकार ने भारत में राजनीतिक दलों के फंडिंग में पारदर्शिता लाने हेतु साहसिक कदम उठाया है. पहले किसी भी राजनीतिक दल द्वारा नकद में दान लेने की अधिकतम सीमा 20,000रु. थी और इस पैसे का स्रोत स्पष्ट रूप से पता नहीं होता था. इसलिए, यह राजनीतिक दलों के फंड में अज्ञात पैसों के होने की संभावना पैदा कर रहा था. अब से कोई भी राजनीतिक दल, किसी भी एक स्रोत से, अधिकतम 2000 रु. नकद दान ही ले सकेगा.
राजनीतक दल डिजिटल विधि या चेक के जरिए दान लेने को अधिकृत होंगे. भारत सरकार की योजना के अनुसार आरबीआई को चुनाव बॉन्ड जारी करने में सक्षम बनाने का प्रस्ताव भी था.
दानदाता अधिकृत बैंकों से बॉन्ड खरीद सकता है और दान की राशि दल के ईडी के पंजीकृत खातों में ही प्रतिदेय होगी. इस कदम से राजनीतिक दलों के फंड में काले धन के प्रवाह को समाप्त किया जाएगा.
2. करों और वित्त पर प्रभाव
आंकड़ों के अनुसार भारत में कर देने योग्य ज्यादातर लोग कर भुगतान से बचते हैं. इस समस्या के समाधान के तौर पर सरकार ने टैक्स नेट ( कर के दायरे) को बढ़ाने का फैसला किया है क्योंकि आयकर जमा करने वाले ज्यादातर करदाता वेतनभोगी कर्मचारी होते हैं.
सरकार ने दावा किया है कि कर चोरी करने वालों का बोझ वेतनभोगी करदाताओं से साझा किया गया था. इसलिए सरकार आयकर दाताओँ पर से कर का बोझ कम करने की पहल कर रही है. सरकार ने 2.5 लाख रु. से लेकर 5 लाख रु. सालाना की आमदनी वालों के लिए कर की दर को कम किया है. इतनी आमदनी वाले लोगों को पहले 10% कर देना होता था अब ये सिर्फ 5 % आयकर ही देंगे.
एलएनजी के लिए बेसिक कस्टम ड्यूटी को भी 5 % से कम कर 2.5% कर दिया गया है. यह एलएनजी की कीमतों को कम करेगा और कम– आमदनी वाले परिवारों के बोझ को कम करने में मदद भी करेगा. चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा नकद दान की सीमा को भी कम कर 10,000 रु. से 2,000 रु. कर दिया गया है.
भारत में करीब 67 लाख कंपनियां लघु व्यापार श्रेणी में आती हैं. इस बजट में सरकार ने छोटे व्यापारों की सहायता के लिए भी कदम उठाए हैं. अब छोटे व्यापारों, जिनका टर्नओवर 50 करोड़ रुपये का है, को पहले के 30% कर की जगह अब 25% कर का ही भुगतान करना होगा.
काले धन की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) की अनुशंसा को भी सरकार ने स्वीकार कर लिया है. सरकार द्वारा टैक्स भरने की प्रक्रिया से मदद की गई है. अब 5 लाख रु. के भीतर आयकर आमदनी के लिए एक पृष्ठ वाला टैक्स फीलिंग फॉर्म जारी किया जाएगा.
इसके अलावा, 50 लाख रु. से लेकर 1 करोड़ रु. के बीच की सालाना आमदनी वाले लोगों पर 10% सरचार्ज लगाया जाएगा.
सरकार ने डिस्ऑनर्ड चेकों के पीड़ितों के लिए कानूनी प्रक्रिया को सहज बनाने की दिशा में भी काम किया है. सरकार ने घोषणा की है कि वह नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट में संशोधन करेगी ताकि डिस्ऑनर्ड चेक धारकों को आसानी से भुगतान मिल सके.
3. डिजिटल अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
भारतीय अर्थव्यवस्था का डिजिटलीकरण का महत्व वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बताया था. भारतीय अर्थव्यवस्था पर इसके लाभों के कारण यह आइडिया सरकार के मुख्य एजेंडा में है. बजट में यह स्पष्ट कर दिया गया था कि सरकार भीम एप (BHIM app) को प्रोत्साहित करने के लिए दो नई योजनाएं शुरु करेगी. इसमें व्यापारियों के लिए कैशबैक योजना भी शामिल है. जिन लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं है, उनकी मदद करने के लिए सरकार आधार पे (Aadhaar Pay ) की शुरुआत करेगी.
डिजिटल अर्थव्यवस्था में वित्तीय समावेशन को मजबूत बनाने के लिए सरकार ग्रामीण और अर्ध– ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस करेगी. इस दिशा में सरकार के पैनल ने ग्रामीण और अर्ध– ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल भुगतानों पर संरचनात्मक सुधारों की सिफारिश की है.
डिजिटल भुगतानों की सुरक्षा हेतु आरबीआई में पेमेंट रेग्युलेटरी बोर्ड बनाया जाएगा.
4. रेल बजट और प्रभाव
वित्त मंत्री ने भारतीय रेलवे के लिए 1 लाख करोड़ रुपये के कोष के साथ रेल संरक्षण कोष बनाए जाने की घोषणा की है. सरकार एक सीड फंड की व्यवस्था करेगी और बाकी पैसों का बंदोबस्त रेलवे द्वारा किया जाएगा.
रेलवे की सुरक्षा को मजबूत बनाने के क्रम में अनाम लेवल क्रॉसिंगों को 2020 तक हटाया जाना प्रस्तावित है. देश भर में रेलवे लाइनों की लंबाई को 3500 तक बढ़ाया जाएगा. इसके जरिए जरूरत वाले क्षेत्रों को कवर किया जाएगा. भारतीय समाज की धार्मिकता को ध्यान में रखते हुए धार्मिक पर्यटन के लिए समर्पित ट्रेनें चलाईं जाएंगी.
भारतीय रेलवे में स्वच्छता के लिए बड़ा कदम उठाया गया था. भारतीय रलवे के सभी कोचों में 2019 तक बायो– टॉयलेट लगाए जाएंगे. स्वच्छता के आधार पर 2017-18 के दौरान कम– से– कम 25 स्टेशनों को पुरस्कृत किया जाएगा. विकलांग नागरिकों की देखभाल के लिए 500 स्टेशनों पर एस्केलेटर और लिफ्ट की सुविधा के जरिए उन्हें सुविधा प्रदान की जाएगी .
इसके अलावा, सरकार एक नई मेट्रो रेल नीति की घोषणा करेगी. यह मेट्रो इंफ्रास्ट्रक्चर के आधुनिकीकरण के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करेगा.
आईआरसीटीसी (IRCTC) से टिकटें बुक करने वालों को कोई सर्विस चार्ज नहीं देना होगा. इससे टिकट की कीमत कम होगी और आम जनता को लाभ होगा.
5. कृषि क्षेत्र पर प्रभाव
सरकार ने पांच वर्षों में किसानों की आमदनी को दोगुना करने के वादे को पूरा करने के लिए बड़ा कदम उठाया है.
सरकार ने किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा दायरे को मजबूत बनाने के लिए भी कदम उठाए हैं. इसे हल करने के उद्देश्य से कृषि ऋण के लिए 10 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए गए और फसल बीमा कवरेज को 2017-18 में बढ़ाकर 40 फीसदी एवं 2018-19 में बढ़ाकर 50 फीसदी किया जाएगा.
किसानों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए सभी राज्यों में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग (अनुबंध खेती) पर एक आधुनिक कानून परिचालित किया जाएगा.
6. स्वास्थ्य क्षेत्र पर प्रभाव
सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए लाभार्थी प्रावधान रखे हैं. अब उन्हें ऐसे आधार कार्ड मिलेंगें जिन पर उनके स्वास्थ्य की स्थिति लिखी होगी. इससे वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य की स्थितियों को जानने में मदद मिलेगी.
गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल दायरे को और व्यापक बनाने के क्रम में झारखंड एवं गुजरात में दो नए एम्स खोले जाएंगे.
चिकित्सा क्षेत्र में नियामक सुधार एवं प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों में अधिक डीएनबी कोर्सेज के लिए कदम उठाया गया.
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की स्वास्थ्य समस्याओं पर भी गौर किया है. इसके लिए तृतीयक स्तर (tertiary level) पर और अधिक चिकित्सक/ डॉक्टरों की नियुक्ति की जाएगी. देश में सभी को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने के क्रम में आगामी चार वर्षों में करीब 28,000 फ्लोराइड एवं आर्सेनिक और फ्लोराइड– प्रभावित क्षेत्र सुरक्षित पेयजल प्राप्त कर सकेंगे.
7. ग्रामीण क्षेत्र पर प्रभाव
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों के साथ ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2017-18 के लिए बजट का आवंटन 1,87,223 करोड़ रु. निर्धारित किया गया है. पिछले वर्ष की आवंटित धनराशि की तुलना में यह 24% अधिक है.
सरकार का लक्ष्य 50,000– ग्राम पंचायतों को गरीबी मुक्त बनाना है.
पारदर्शिता के उद्देश्य के लिए मनरेगा की संपत्ति को भू– टैग किया जाएगा और उसे सार्वजनिक क्षेत्र (public domain ) में डाला जाएगा.
मनरेगा के लिए कुल आवंटन 3 लाख करोड़ रु. है, यह सरकार के किसानों की आमदनी को दुगना करने के लक्ष्य को साकार करने में मदद करेगा.
इस नए बजट के अनुसार मनरेगा में महिलाओं की भागीदारी 48% से बढ़कर 55% हुई है.
8. आवास क्षेत्र पर प्रभाव
वर्षों की मांग के बाद आवास क्षेत्र को इंफ्रास्ट्रक्चर का दर्जा दिया गया . इससे जरूरतमंदों को आवास ऋण प्रदान करने में मदद मिलेगा क्योंकि यह ऋण प्रक्रिया का सुविधा प्रदान करेगा.
यह देर से पूरे होने वाले आवासीय परियोजनाओं को भी गति प्रदान करेगा जो रियल स्टेट क्षेत्र के लिए सकारात्मक संकेत है.
सरकार ने आवास कार्यक्रम के तहत 1 करोड़ घर बनाने की योजना बनाई है .
प्रधानमंत्री आवास योजना को इस वित्त वर्ष के लिए 23,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं.
9. ऊर्जा उद्योग पर प्रभाव
1 मार्च 2018 तक सरकार ने 100 फीसदी गांवों के विद्युतीकरण का वादा किया है. इसके लिए अगले वित्त वर्ष के लिए अतिरिक्त 4,814 करोड़ रुपये निर्धारित किए जाएंगे. सौर ऊर्जा क्षेत्र में सौर ऊर्जा उत्पादन में 20,000 मेगावाट की बढ़ोतरी की जाएगी.
- शिक्षा पर प्रभाव
सरकार ने स्थानीय नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए नवाचार कोष ( innovation fund) की स्थापना की है. उच्चशिक्षा और प्रवेश परीक्षा संरचना को बदलने की जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी को दी जाएगी.
सरकार ने स्कूलों में शिक्षा के स्तर को मापने के लिए एक प्रणाली शुरु करने का प्रस्ताव दिया है जो भारतीय स्कूलों में शिक्षा को बढ़ाने का आधार होगा. इसके लिए शैक्षणिक रूप से पिछड़े कुल 3,479 ब्लॉकों को चुना जाएगा जहां सरकार स्कूलों में सालाना शिक्षण परिणाम (annual learning outcome) को मापने की प्रथा शुरु करने का प्रस्ताव देगी. प्रधानमंत्री कौशल केंद्र देश भर के 600 से अधिक जिलों में होंगे. देश भर में व्यावसायिक प्रशिक्षण के लिए 2,200 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा.
बजट कैसा होगा और प्रस्तुत किए जाने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा क्या होगी ?, इस पर विशेषज्ञों की अपनी अलग अटकलें थीं किन्तु अब इन सभी अटकलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली के बजट 2017 भाषण के साथ विराम लग गया. इसलिए, हमने बजट 2017 का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभावों का विश्लेषण किया है. उपरोक्त विश्लेषण के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि भारत चट्टान से मजबूत सपनों और सक्षम नेतृत्व के साथ ठोस पथ पर चल रहा है.
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