केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा दिवाला और दिवालियापन (संशोधन) अध्यादेश को स्वीकृति

May 24, 2018, 09:22 IST

इस कानून के तहत अभी तक केवल वित्तीय संस्थाओं जैसे कि बैंक और अन्य उधारदाताओं को ही ये अधिकार था कि वह अपना बकाया वापस ले सकें लेकिन आम लोगों के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं था.

Cabinet approves Ordinance amending insolvency law
Cabinet approves Ordinance amending insolvency law

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 23 मई 2018 को दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) अध्यादेश में संशोधन की घोषणा की. इस अध्यादेश के विधेयक में परिवर्तित होने पर आम लोगों को अधिकार एवं बड़ी राहत मिल सकेगी.

इस कानून के तहत अभी तक केवल वित्तीय संस्थाओं जैसे कि बैंक और अन्य उधारदाताओं को ही ये अधिकार था कि वह अपना बकाया वापस ले सकें लेकिन आम लोगों के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं था.

अध्यादेश में संशोधन के मुख्य तथ्य

•    आईबीसी कानून में ताजा संशोधन का प्रस्ताव इसमें नई धारा 29ए को जोड़े जाने के एक माह बाद आया है. पिछले वर्ष नवंबर में आईबीसी संहिता में संभावित बोलीदाताओं की अयोग्यता को लेकर नये मानदंड जोड़े गये थे.

•    कानून में ताजा संशोधन सरकार द्वारा इस संबंध में सिफारिशें देने के लिये गठित 14 सदस्यीय समिति की सिफारिशों पर आधारित हैं.

•    दिवाला कानून पर गठित समिति ने पिछले महीने ही कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को दी गई अपनी सिफारिश में कहा है कि रियल एस्टेट डेवलपर की परियोजनाओं में मकान खरीदने वाले ग्राहकों को भी बैंकों की तरह वित्तीय कर्जदाता की श्रेणी में माना जाना चाहिए.

•    समिति ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को भी आईबीसी कानून के तहत राहत पहुंचाने का सुझाव दिया है.

क्यों महत्वपूर्ण

  • यह अध्यादेश इसलिए आवश्यक है क्योंकि देश में लाखों लोगों की शिकायत है कि उनके पैसे बिल्डर के पास फंसे हुए हैं. मकान न मिलने की स्थिति में भी उनकी जमा राशि तक वापिस नहीं की जाती.
  • समिति ने सुझाव दिए थे कि घर खरीदने वाले लोग भी बैंक की तरह बिल्डर को लोन देने वालों की श्रेणी में शामिल किए जाए और घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर का दर्जा दिया जाए.
  • यदि कोई रिएल एस्टेट कंपनी दिवालिया घोषित होती है तो रिजॉल्यूशन प्रक्रिया में घर खरीदारों की बराबर भागीदारी हो.
  • ग्राहक बिल्डर को पहले पैसा देते हैं और उन्हें सालों बाद घर का पजेशन मिलता है. इस प्रकार पूरी परियोजना के तैयार होने में ग्राहक का पैसा भी शामिल होता है.


पृष्ठभूमि

इससे पहले लोकसभा में 29 दिसंबर 2017 को दिवाला एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन का विधेयक परित हुआ था. इसके तहत यह प्रावधान किया गया था कि जान बूझकर कर्ज नहीं चुकाने वाले बकायेदार खुद की संपत्ति की बोली नहीं लगा सकते. आईबीसी कार्यान्वयन कॉरपोरेट मामलों द्वारा ही किया जाता है जिसे 2016 दिसंबर में लागू किया गया था, जो समयबद्ध तरीके से दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करती है.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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