सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने का फैसला निरस्त किया

Jan 9, 2019, 18:55 IST

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कोई ऐसा कानून नहीं है कि सरकार बिना सेलेक्ट कमेटी के परमिशन के किसी सीबीआई डायरेक्टर को पद से हटाए. कोर्ट ने कहा कि नियुक्ति, पद से हटाने और ट्रांसफर को लेकर साफ नियम हैं.

CBI Dispute SC reinstates Alok Verma as CBI Director
CBI Dispute SC reinstates Alok Verma as CBI Director

सुप्रीम कोर्ट ने 08 जनवरी 2019 को अहम फैसला देते हुए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के फैसले को निरस्‍त कर दिया है.

यानी अब आलोक वर्मा अपने तय कार्यकाल यानी 31 जनवरी तक सीबीआई निदेशक के पद पर बने रहेंगे. 06 दिसंबर 2018 को सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने आलोक वर्मा की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा लिया था. सीजेआई रंजन गोगोई आज छुट्टी पर हैं, ऐसे में जस्टिस संजय किशन ने फैसला पढ़कर सुनाया है.

 

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि उनको छुट्टी से भेजने से पहले अप्‍वाइंटमेंट कमेटी से सलाह लेनी चाहिए थी. उनको इस तरह पद से हटाना गलत है. इस फैसले के बाद आलोक वर्मा एक बार फिर ड्यूटी ज्‍वाइन कर सकेंगे. हालांकि इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक मामले की जांच चल रही है तब तक आलोक वर्मा नीतिगत फैसला नहीं ले सकेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी में प्रधानमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और लोकसभा में नेता विपक्ष होंगे. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि ये कमेटी एक हफ्ते के भीतर आलोक वर्मा पर कार्रवाई पर फैसला ले. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि आगे से ऐसे बड़े मामलों में उच्च स्तरीय कमेटी ही फैसला करेगी.  

ग़ौरतलब है कि छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश के ख़िलाफ़ सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे. कॉमन कॉज़ नाम की एक ग़ैर-सरकारी संस्था ने भी सरकार के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी.

आलोक वर्मा को 23 अक्‍टूबर को पद से हटाया गया:

उल्‍लेखनीय है कि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक आलोक वर्मा और ब्यूरो के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग सार्वजनिक होने के बाद सरकार ने 23 अक्टूबर 2018 को दोनों अधिकारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर अवकाश पर भेजने का निर्णय किया था. दोनों अधिकारियों ने एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे.

 

 केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के बारे में:

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) भारत सरकार की प्रमुख जाँच एजेन्सी है. यह आपराधिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए भिन्न-भिन्न प्रकार के मामलों की जाँच करने के लिये लगायी जाती है. यह कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधीन कार्य करती है. केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो की उत्‍पत्ति भारत सरकार द्वारा वर्ष 1941 में स्‍थापित विशेष पुलिस प्रतिष्‍ठान से हुई है.

केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के बारे में:

भारत का केन्द्रीय सतर्कता आयोग (CVC) भारत सरकार के विभिन्न विभागों के अधिकारियों/कर्मचारियों से सम्बन्धित भ्रष्टाचार नियंत्रण की सर्वोच्च संस्था है. इसकी स्थापना वर्ष 1964 में की गयी थी. इस आयोग के गठन की सिफारिश संथानम समिति (1962-64) द्वारा की गयी थी जिसे भ्रष्टाचार रोकने से सम्बन्धित सुझाव देने के लिए गठित किया गया था. केन्द्रीय सतर्कता आयोग किसी भी कार्यकारी प्राधिकारी के नियन्त्रण से मुक्त है तथा केन्द्रीय सरकार के अन्तर्गत सभी सतर्कता गतिविधियों की निगरानी करता है. यह केन्द्रीय सरकारी संगठनो मे विभिन्न प्राधिकारियों को उनके सतर्कता कार्यों की योजना बनाने, निष्पादन करने, समीक्षा करने तथा सुधार करने मे सलाह देता है.

केन्द्रीय सतर्कता आयोग विधेयक संसद के दोनो सदनों द्वारा वर्ष 2003 में पारित किया गया जिसे राष्ट्रपति ने 11 सितम्बर 2003 को स्वीकृति दी. आयोग में एक अध्यक्ष और दो सतर्कता आयुक्त होते हैं जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक तीन सदस्यीय समिति की सिफारिश पर होती है. इस समिति में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता व केन्द्रीय गृहमंत्री होते हैं. इनका कार्यकाल 4 वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो), तक होता है. अवकाश प्राप्ति के बाद आयोग के ये पदाधिकारी केन्द्र अथवा राज्य सरकार के किसी भी पद के योग्य नहीं होते हैं.

 

मामला क्या था?

गौरतलब है कि एजेंसी ने राकेश अस्थाना और कई अन्य के खिलाफ कथित रूप से मांस निर्यातक मोइन कुरैशी से घूस लेने के आरोप में 21 अक्टूबर 2018 को एफआईआर दर्ज की थी. कुरैशी धनशोधन और भ्रष्टाचार के कई मामलों का सामना कर रहा है.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिसंबर 2017 और अक्टूबर 2018 के बीच कम से कम पांच बार रिश्वत दी गई. इसके एक दिन बाद डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया गया था. घूसखोरी के मामले में एफआईआर के बाद अब सीबीआई ने राकेश अस्थाना पर फर्जीवाड़े और जबरन वसूली का मामला भी दर्ज किया है.

सीबीआई ने अपने ही विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर केस दर्ज किया है. सीबीआइ द्वारा दर्ज की गई रिपोर्ट के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचे विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने याचिका में सीबीआइ निदेशक आलोक वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सीबीआई के डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी इस जंग के बीच, केंद्र ने सतर्कता आयोग की सिफारिश पर दोनों अधिकारियों को छु्ट्टी पर भेज दिया और जॉइंट डायरेक्टर नागेश्वर राव को सीबीआई का अंतरिम निदेशक बना दिया गया.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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