shri sammed shikharji: केंद्र सरकार ने झारखंड में श्री सम्मेद शिखरजी (Shri Sammed Shikharji) में टूरिस्ट एक्टिविटी को बैन कर दिया है. सरकार ने जैन धर्म से जुड़े लोगों के भारी विरोध को देखते हुए यह निर्णय लिया है.
जैन समुदाय लगातार झारखंड सरकार की पर्यटन नीति का विरोध कर रहा था, जिसका उद्देश्य पारसनाथ पहाड़ियों (Parasnath hills) में श्री सम्मेद शिखरजी को टूरिस्ट प्लेस के रूप में विकसित करना था.
जैनधर्म ने समाज कल्याण, मानवता व आध्यात्मिक चेतना के पुनर्जागरण में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। मैंने खुद इसे नजदीक से अनुभव किया है।
— Piyush Goyal (@PiyushGoyal) January 5, 2023
मुझे ख़ुशी है कि PM @NarendraModi जी के नेतृत्व में सरकार ने पावन तीर्थ 'सम्मेद शिखर जी' की पवित्रता को बनाए रखने की दिशा में ठोस कदम उठाया है। https://t.co/OWv9eQtHTj
धार्मिक स्थल बना रहेगा:
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने एक ट्वीट के माध्यम से बताया कि मै जैन समुदाय के सदस्यों से मिला, जो सम्मेद शिखर की पवित्रता की रक्षा करने का आग्रह कर रहे हैं. उन्होंने आगे कहा कि सरकार सम्मेद शिखर सहित जैन समुदाय के सभी धार्मिक स्थलों पर उनके अधिकारों को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है.
केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर श्री सम्मेद शिखरजी सहित पारसनाथ पहाड़ियों को इको सेंसिटिव जोन बनाने सम्बन्धी 2019 की अधिसूचना पर रोक लगा दी है. इसके सम्बन्ध में केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने झारखण्ड सरकार को एक ज्ञापन भेजा है. इस आदेश के तहत उस क्षेत्र में होटल, ट्रैकिंग, कैंपिंग सहित सभी प्रकार की एक्टिविटी पर रोक रहेगी.
श्री सम्मेद शिखरजी विवाद:
झारखंड सरकार ने एक आदेश में कहा था कि सम्मेद शिखरजी सहित पारसनाथ पर्वत को टूरिस्ट एक्टिविटी के लिए विकसित किया जायेगा. जिसके बाद जैन समुदाय के लोग इस फैसले का विरोध करने लगे. यह विरोध धीरे-धीरे पूरे देश में होने लगा.
इसके संदर्भ में मध्य प्रदेश के फॉर्मर सीएम कमलनाथ ने पीएम मोदी और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर फैसले को वापस लेने की अपील की थी. मुंबई, अलीगढ़ और दिल्ली सहित देश के विभिन्न हिस्सों में कई विरोध प्रदर्शन किए गए है.
श्री सम्मेद शिखरजी के बारें में:
श्री सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का एक पवित्र तीर्थस्थल है. यहाँ पर जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20वें तीर्थंकर सहित जैन धर्म के अनेक जैन मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया था. जिस कारण से जैन समुदाय के लोग इसे अपने पवन स्थलों में से एक मानते है.
यह झारखंड के गिरिडीह जिले में झारखंड के सबसे ऊँचे पर्वत शिखर पारसनाथ हिल पर स्थित है. जैन धर्म के दोनों पंथो दिगंबर (Digambara) और श्वेतांबर (Svetambara) इसे सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ स्थल के रूप में मानते हैं.
जैन धर्म के ग्रन्थ ज्ञाताधर्मकथा (Jnatrdharmakatha) में शिखरजी का उल्लेख एक तीर्थ स्थल के रूप में है. ज्ञाताधर्मकथा जैन धर्म के बारह मौलिक ग्रंथों में से एक है.
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