छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने केंद्र के कृषि सुधार कानूनों को सुप्रीम कोर्ट में इस आधार पर कानूनी तौर पर चुनौती दी है कि, ये कानून राज्य सूची के विषय का उल्लंघन करते हैं. यह विपक्षी दल द्वारा शासित राज्य इस मामले को अदालत में ले जाने वाला पहला राज्य बन जाएगा.
यह राज्य इस आधार पर अपनी अपील प्रस्तुत करेगा कि, संविधान में राज्य के एक विषय कृषि पर केंद्र ने कानून बनाए हैं.
मुख्य विशेषताएं
छत्तीसगढ़, हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा देने वाले केंद्र के कृषि कानूनों को कानूनी रूप से चुनौती देने वाला पहला राज्य होगा.
यह राज्य सुप्रीम कोर्ट में यह अपील करने की योजना बना रहा है कि, व्यापार कृषि उपज से संबंधित है और केंद्र ने व्यावहारिक रूप से राज्य के विपणन तंत्र और जिस तरह से उनकी उपज बेची जा रही है, उसे बेकार कर दिया है. जिस तरह से केंद्र ने विधेयकों को आगे बढ़ाने के लिए एक बैकचैनल का इस्तेमाल किया है, उसके खिलाफ भी यह राज्य अपील करने जा रहा है.
इसके अलावा, यह राज्य केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रभाव को नकारने के लिए अलग-अलग अधिसूचनाएं और कानून भी लाएगा. इन अलग-अलग कानूनों के तहत प्रत्येक व्यापारी के लिए यह घोषित करना आवश्यक होगा कि, वह किस फसल की कितनी मात्रा में स्टॉकिंग कर रहा है और उसने इस फसल का कितना कारोबार किया गया है. इससे जमाखोरी पर अंकुश लगेगा.
राज्य ने निजी मंडियों में निजी व्यक्तियों को खरीदने की अनुमति देने के लिए केंद्र के कदम को नकारने के लिए अपना नया कानून लाने की भी योजना बनाई है, जो सबसे बड़ा हस्तक्षेप होगा. पंजाब और हरियाणा के विपरीत, छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर सहकारी समितियों के माध्यम से कृषि उपज की खरीद होती है, जिनकी मंडी व्यवस्था मजबूत है. इन सहकारी समितियों का प्रबंधन छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (MARKFED) द्वारा किया जाता है.
इसलिए, राज्य यह सुनिश्चित करने के लिए एक अलग कानून लाने की योजना बना रहा है कि, कृषि बाजार खोलने के लिए किसी निजी कंपनी या व्यक्ति को कोई जमीन न दी जाए. इससे यह सुनिश्चित होगा कि राज्य में कोई निजी मंडियां न हों.
इस राज्य का कृषि विभाग और कानूनी विशेषज्ञ किसी भी कमी का पता लगाने के लिए इन तीनों ही कृषि कानूनों का अध्ययन कर रहे हैं. ऐसी किसी भी कमी को एक अलग कानून या अधिसूचना के माध्यम से निपटाया जायेगा. यह राज्य इन विशेष कानूनों को पारित करने के लिए एक विशेष विधानसभा सत्र भी बुलाएगा.
पृष्ठभूमि
छत्तीसगढ़ के सर्वोच्च न्यायालय में जाने और केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ अपील करने का यह निर्णय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा कांग्रेस शासित राज्यों को केंद्र के कृषि कानून को नकारने के लिए एक कानून पारित करने का निर्देश जारी करने के बाद आया है.
इससे पहले, कांग्रेस सांसद टी.एन. प्रतापन ने मूल्य आश्वासन और फार्म सेवा अधिनियम, 2020 के तहत किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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